




रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने रूस की सरकार को स्पष्ट निर्देश जारी करते हुए कहा है कि वह भारत के साथ बढ़ते व्यापार असंतुलन को कम करने के लिए व्यावहारिक और रणनीतिक उपायों पर तुरंत काम शुरू करें। यह कदम रूस और भारत के बीच व्यापारिक संबंधों को और संतुलित व समावेशी बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है।
पुतिन ने यह भी कहा कि वह दिसंबर 2025 की शुरुआत में भारत की राजकीय यात्रा पर आने वाले हैं और उन्हें इस यात्रा का बेसब्री से इंतज़ार है।
राष्ट्रपति पुतिन ने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत और रूस के बीच कभी कोई मतभेद या तनाव नहीं रहा, और दोनों देशों ने हमेशा एक-दूसरे की संवेदनाओं और प्राथमिकताओं का सम्मान करते हुए कदम उठाए हैं।
उन्होंने कहा:
“भारत एक पुराना, विश्वसनीय और रणनीतिक साझेदार है। हमारे संबंध समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं। हालांकि, वर्तमान व्यापारिक परिदृश्य में एक असंतुलन उत्पन्न हो गया है, जिसे संतुलित करने की आवश्यकता है।”
पुतिन का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब भारत, रूस से बड़े पैमाने पर क्रूड ऑयल (कच्चा तेल) का आयात कर रहा है, जिससे रूस को अधिक व्यापार लाभ हो रहा है और भारत को भारी वाणिज्यिक घाटा उठाना पड़ रहा है।
हाल के वर्षों में भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय व्यापार में गति आई है, विशेष रूप से यूक्रेन युद्ध के बाद, जब पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के चलते रूस ने भारत जैसे उभरते बाजारों की ओर रुख किया।
वर्ष 2021-22 में भारत और रूस के बीच व्यापार लगभग 13 अरब डॉलर का था, जो अब बढ़कर 68 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। लेकिन इस व्यापार में 70% से अधिक रूस के पक्ष में है, क्योंकि भारत द्वारा ऊर्जा क्षेत्र में रूस से आयात लगातार बढ़ा है।
राष्ट्रपति पुतिन ने अपनी सरकार को जिन क्षेत्रों में भारत से आयात बढ़ाने के निर्देश दिए हैं, वे हैं:
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कृषि उत्पाद: जैसे चाय, मसाले, फल और सब्जियां
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फार्मास्युटिकल्स (दवाइयाँ): भारत विश्व का सबसे बड़ा जेनेरिक दवा उत्पादक है
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आईटी और सेवाएँ: भारत की सेवा आधारित अर्थव्यवस्था में संभावनाएँ
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उद्योगिक सामान: ऑटो पार्ट्स, मशीनरी, सौर पैनल इत्यादि
रूस चाहता है कि इन क्षेत्रों में सीधी डील और लॉजिस्टिक सुधार के ज़रिए भारत से आयात को प्रोत्साहित किया जाए।
भारत की ओर से विदेश मंत्रालय और वाणिज्य मंत्रालय ने पुतिन के इस कदम का स्वागत किया है। सूत्रों के मुताबिक, भारत ने भी यह मुद्दा पहले कई द्विपक्षीय बैठकों में उठाया था कि व्यापार में संतुलन जरूरी है।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कुछ महीनों पहले मॉस्को यात्रा के दौरान कहा था:
“व्यापार में तेजी ज़रूरी है, लेकिन उसे संतुलित और टिकाऊ बनाना भी उतना ही आवश्यक है।”
भारत का उद्देश्य रूस को लंबी अवधि का रणनीतिक साझेदार बनाए रखना है, लेकिन साथ ही अपने घरेलू व्यापार घाटे को भी नियंत्रित करना।
पुतिन द्वारा दिसंबर की भारत यात्रा की पुष्टि के बाद कई अहम मुद्दों पर वार्ता की संभावना है:
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व्यापार समझौते और नीतिगत परिवर्तन
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ऊर्जा सहयोग का पुनर्संयोजन
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रक्षा उपकरणों पर समझौते
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नई भुगतान प्रणाली पर चर्चा (जैसे रूपया-रूबल में लेनदेन)
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यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन (EEU) में भारत की भूमिका
भारत सरकार इस यात्रा को रणनीतिक, राजनयिक और आर्थिक स्तर पर महत्वपूर्ण मान रही है।
व्लादिमीर पुतिन द्वारा भारत के साथ व्यापार असंतुलन को कम करने की मंशा न केवल द्विपक्षीय व्यापार के संतुलन की दिशा में एक ठोस कदम है, बल्कि यह भारत और रूस के बीच बढ़ते हुए आर्थिक और रणनीतिक संबंधों की गहराई को भी दर्शाता है।
पुतिन की आगामी भारत यात्रा से पहले यह स्पष्ट है कि रूस, भारत के साथ भविष्य की साझेदारी को और मजबूत करने के लिए गंभीर प्रयास कर रहा है — और यह दोनों देशों के लिए आर्थिक लाभ और राजनीतिक स्थायित्व का कारण बन सकता है।