




लद्दाख में हाल ही में हुई गिरफ्तारियों को लेकर कांग्रेस ने केंद्र सरकार और स्थानीय प्रशासन पर सवाल खड़े किए हैं। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि यह कार्रवाई लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है और इससे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला हुआ है। लेकिन इस मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ सांसद निशिकांत दुबे ने कांग्रेस पर कड़ा पलटवार किया है। उन्होंने कांग्रेस की आलोचना करते हुए इसे ‘मगरमच्छ के आंसू’ करार दिया और कांग्रेस के अतीत की घटनाओं का हवाला देते हुए उसके लोकतंत्र प्रेम को दिखावा बताया।
निशिकांत दुबे ने कांग्रेस द्वारा लद्दाख के पर्यावरणविद और सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक के समर्थन को लेकर कहा कि कांग्रेस का इतिहास लोकतंत्र की हत्या से भरा हुआ है। उन्होंने याद दिलाया कि आपातकाल के दौरान कांग्रेस ने न केवल आम नागरिकों को बल्कि समाज और राजनीति की बड़ी हस्तियों को भी जेल में डाला था। दुबे ने विशेष तौर पर राजमाता विजयाराजे सिंधिया का उल्लेख किया, जिन्हें आपातकाल के समय तिहाड़ जेल में डाल दिया गया था। इसके अलावा उन्होंने भीम सेन सच्चर की गिरफ्तारी का उदाहरण देते हुए कांग्रेस की कथनी और करनी के फर्क को उजागर किया।
बीजेपी सांसद ने कहा कि कांग्रेस आज लोकतंत्र और नागरिक अधिकारों की दुहाई दे रही है, जबकि उसके शासनकाल में सबसे ज्यादा लोकतांत्रिक मूल्यों का दमन हुआ। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि आज जब सोनम वांगचुक जैसे लोगों की गिरफ्तारी को लेकर कांग्रेस आंसू बहा रही है, तो यह केवल राजनीतिक नाटक से ज्यादा कुछ नहीं है।
निशिकांत दुबे ने यह भी आरोप लगाया कि सोनम वांगचुक के आंदोलन के पीछे विदेशी ताकतें काम कर रही हैं। उन्होंने कहा कि यह केवल लद्दाख की समस्या का मुद्दा नहीं है, बल्कि इसे अंतरराष्ट्रीय एजेंडा बनाने की कोशिश हो रही है। उनके अनुसार कांग्रेस और विपक्षी दल ऐसे मुद्दों पर केवल राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि देशहित से जुड़े गंभीर पहलुओं की अनदेखी कर रहे हैं।
सोनम वांगचुक, जो लद्दाख में लंबे समय से पर्यावरण और हिमालयी पारिस्थितिकी की सुरक्षा को लेकर आवाज उठाते रहे हैं, हाल ही में स्थानीय प्रशासन और केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ सक्रिय रहे। उन्हें गिरफ्तार किए जाने के बाद कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सरकार असहमति की आवाज दबा रही है। लेकिन बीजेपी की ओर से निशिकांत दुबे जैसे नेताओं ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया और कांग्रेस पर ही पलटवार करते हुए कहा कि जिसने खुद लोकतंत्र का गला घोंटा हो, उसे आज लोकतंत्र की बात करने का कोई अधिकार नहीं है।
दुबे ने यह भी कहा कि कांग्रेस को देश से माफी मांगनी चाहिए क्योंकि उसने आपातकाल जैसे काले अध्याय में पूरे लोकतंत्र को बंधक बना लिया था। उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि क्या कांग्रेस अब भी उन्हीं रास्तों पर चलना चाहती है, जहां नागरिक स्वतंत्रता को दबाकर केवल सत्ता की राजनीति की जाती थी।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि लद्दाख का मुद्दा संवेदनशील है और सोनम वांगचुक जैसे कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच बयानबाजी से यह और ज्यादा राजनीतिक रंग ले चुका है। एक तरफ कांग्रेस इसे लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला बता रही है, तो दूसरी ओर बीजेपी कांग्रेस के अतीत को सामने रखकर उसके दावों को पाखंड बता रही है।
यह पहली बार नहीं है जब सोनम वांगचुक की गतिविधियों को लेकर विवाद हुआ हो। वे पर्यावरणीय चिंताओं के साथ-साथ लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिए जाने और स्थानीय निवासियों के अधिकारों की रक्षा की मांगों पर भी मुखर रहे हैं। उनकी गिरफ्तारी ने कांग्रेस को केंद्र सरकार के खिलाफ हमला बोलने का अवसर दिया, लेकिन बीजेपी का कहना है कि यह केवल ‘राजनीतिक लाभ’ उठाने की कोशिश है।
निशिकांत दुबे का यह बयान मौजूदा राजनीतिक माहौल में विपक्ष और सत्तारूढ़ दल के बीच टकराव को और तेज करता दिख रहा है। जहां कांग्रेस इस मुद्दे को जनता के बीच ले जाकर सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति अपना रही है, वहीं बीजेपी कांग्रेस के अतीत को याद दिलाकर उसके लोकतांत्रिक दावों को खोखला साबित करने की कोशिश कर रही है।
इस पूरे विवाद ने एक बार फिर देश की राजनीति में लोकतंत्र और नागरिक अधिकारों की परिभाषा पर बहस छेड़ दी है। लद्दाख की परिस्थितियों और सोनम वांगचुक जैसे कार्यकर्ताओं की भूमिका को लेकर आने वाले समय में राजनीति और भी गरमा सकती है। लेकिन फिलहाल इतना तय है कि निशिकांत दुबे के आरोपों ने कांग्रेस के लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं और इस बहस को नया मोड़ दे दिया है।