




शारदीय नवरात्रि के पावन अवसर पर महाराष्ट्र के पुणे में एक अद्भुत दृश्य देखने को मिला, जब सारसबाग स्थित श्री महालक्ष्मी माता मंदिर में देवी महालक्ष्मी को 16 किलो सोने की भव्य साड़ी पहनाई गई। यह अवसर विशेष रूप से विजयादशमी का था, जब बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक रावण दहन भी मंदिर के सामने संपन्न हुआ। इस भव्य आयोजन और देवी के स्वर्ण अलंकरण की तस्वीरें सोशल मीडिया और भक्तों के बीच खूब चर्चा में रही।
सारसबाग महालक्ष्मी मंदिर में माता के कुल तीन रूपों की पूजा होती है – महासरस्वती, महालक्ष्मी और महाकाली। पारंपरिक मान्यता के अनुसार, महासरस्वती को विद्या की देवी माना जाता है, महालक्ष्मी समृद्धि और सुख-शांति प्रदान करती हैं, जबकि महाकाली बुरी शक्तियों और मृत्यु पर विजय दिलाती हैं। इस बार विजयादशमी के दिन महालक्ष्मी का स्वरूप विशेष रूप से भव्य स्वर्ण अलंकरण में प्रस्तुत किया गया, जो श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत मनोहारी अनुभव बन गया।
16 किलो सोने की साड़ी में सजी देवी महालक्ष्मी का यह रूप मंदिर परिसर में भक्तों को मंत्रमुग्ध कर रहा था। सुबह से ही भक्तों की भारी भीड़ मंदिर में दर्शन के लिए उमड़ पड़ी। महिलाएं और पुरुष दोनों ने मां के इस भव्य स्वरूप का लुत्फ उठाया और उन्हें फूल, चंदन, और विशेष भोग अर्पित किया। मंदिर में सुरक्षा व्यवस्था को भी विशेष तौर पर मजबूत किया गया था ताकि भारी भीड़ में किसी प्रकार की असुविधा न हो।
विजयादशमी का दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। इसी के अनुरूप, मंदिर के सामने रावण का दहन किया गया। रावण दहन का यह दृश्य श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत आकर्षक रहा और उन्होंने उत्सव का हिस्सा बनकर माता के आशीर्वाद की कामना की। रावण दहन की लपटों के बीच 16 किलो सोने की साड़ी में सजी महालक्ष्मी का रूप और भी दिव्य प्रतीत हो रहा था।
इस भव्य आयोजन की तैयारी कई दिनों से चल रही थी। मंदिर समिति ने विशेष रूप से सोने की साड़ी तैयार कराई और इसे देवी महालक्ष्मी के चरणों में पहनाया। इसके साथ ही फूलों और पारंपरिक आभूषणों से देवी का श्रृंगार किया गया। इस अवसर पर भक्तों ने माता महालक्ष्मी से अपने जीवन में समृद्धि, सुख और शांति की प्रार्थना की।
भक्तों के अनुसार, इस बार का विजयादशमी उत्सव पिछले सालों से कहीं अधिक भव्य और यादगार रहा। स्थानीय लोग और देश-विदेश से आए श्रद्धालु देवी के इस स्वर्ण अलंकरण के दर्शन कर अत्यंत प्रसन्न दिखाई दिए। मंदिर परिसर में मंदिर की मुख्य पूजा, आरती और भजन-कीर्तन का आयोजन भी किया गया, जिससे पूरे माहौल में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार हुआ।
महालक्ष्मी के इस स्वरूप को देखकर लोगों ने इसे देवी की कृपा और आशीर्वाद का प्रतीक माना। कई भक्तों ने मंदिर समिति का धन्यवाद किया और कहा कि इस प्रकार के आयोजन से न केवल धार्मिक भावना को बल मिलता है, बल्कि लोगों में सांस्कृतिक और आध्यात्मिक चेतना भी जागृत होती है।
विजयादशमी और नवरात्रि के इस अवसर पर पुणे में यह आयोजन धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से विशेष महत्व रखता है। मंदिर प्रशासन ने बताया कि भविष्य में भी इस प्रकार के भव्य आयोजन किए जाएंगे ताकि भक्तों को माता के विभिन्न रूपों के दर्शन का अवसर मिले और धार्मिक परंपराओं को बनाए रखा जा सके।
भक्तों का कहना है कि 16 किलो सोने की साड़ी में सजी महालक्ष्मी ने सभी के मन को मोह लिया और उन्होंने माता से अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की कामना की। इस आयोजन ने पुणे शहर में धार्मिक उत्सव और भक्ति भाव का नया उत्साह पैदा कर दिया।