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    Bitcoin बनाम Gold: कीमत 10 लाख डॉलर पार, फिर भी क्यों सोना रहेगा बिटकॉइन पर भारी? जानिए विशेषज्ञों की राय

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    दुनिया की सबसे लोकप्रिय और चर्चित डिजिटल करेंसी बिटकॉइन (Bitcoin) ने एक बार फिर इतिहास रच दिया है। बिटकॉइन की कीमत $10,00,000 (लगभग ₹8.3 करोड़) के स्तर को पार कर गई है, जिससे इसका कुल मार्केट कैप 2.5 ट्रिलियन डॉलर से भी ऊपर पहुंच गया है। यह क्रिप्टोकरेंसी बाजार के लिए ऐतिहासिक क्षण है, जिसने दुनियाभर के निवेशकों का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है।

    लेकिन सवाल यह है कि इतनी ऊंची कीमत और रिकॉर्ड मार्केट कैप के बावजूद भी क्या बिटकॉइन सोने (Gold) की बराबरी कर सकता है? वित्तीय विशेषज्ञों और बाजार विश्लेषकों का मानना है कि भले ही बिटकॉइन ने क्रिप्टो मार्केट में हलचल मचा रखी हो, लेकिन सोना अब भी निवेश के लिहाज से ज्यादा भरोसेमंद और स्थिर विकल्प है।

    बिटकॉइन का नया रिकॉर्ड, लेकिन स्थिरता पर सवाल

    बिटकॉइन की कीमत में यह उछाल मुख्य रूप से संस्थागत निवेश, वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता और क्रिप्टोकरेंसी की बढ़ती स्वीकृति के कारण आया है। ब्लैकरॉक (BlackRock) और ग्रेस्केल (Grayscale) जैसे बड़े निवेश फंड्स ने डिजिटल एसेट्स में बड़ी हिस्सेदारी दिखाई है।

    हालांकि, बिटकॉइन की कीमत में यह वृद्धि जितनी तेज है, उतनी ही तेज गिरावट की संभावना भी बनी रहती है। पिछले अनुभवों से यह साफ है कि बिटकॉइन की वैल्यू बेहद वोलाटाइल (अस्थिर) होती है। कभी-कभी यह कुछ घंटों में 10% तक ऊपर या नीचे जा सकता है।

    सोना – हजारों साल पुराना भरोसेमंद निवेश

    सोने की ताकत इसकी स्थिरता और ऐतिहासिक विश्वसनीयता में निहित है। हजारों वर्षों से सोना आर्थिक संकटों, युद्धों और बाजार की अस्थिरता के समय में निवेशकों के लिए “सुरक्षित पनाहगाह” साबित हुआ है।

    बिटकॉइन भले ही “डिजिटल गोल्ड” कहलाता हो, लेकिन असल गोल्ड के मुकाबले यह अब भी भरोसे के पैमाने पर पीछे है।
    सोने की भौतिक मौजूदगी, उसकी सीमित आपूर्ति और सार्वभौमिक स्वीकृति उसे बिटकॉइन पर बढ़त दिलाती है।

    विशेषज्ञों का कहना है…

    वित्तीय विश्लेषक डॉ. रॉबर्ट मैक्सवेल के अनुसार,

    “बिटकॉइन डिजिटल एसेट्स की दुनिया में क्रांति लाया है, लेकिन यह अब भी एक सट्टा आधारित निवेश है। सोना एक ऐसा एसेट है, जिसकी कीमत शताब्दियों से मानव सभ्यता ने मान्य की है।”

    वहीं भारतीय बाजार विशेषज्ञ प्रशांत महाजन का कहना है,

    “भारत जैसे देश में सोने की भावनात्मक और सांस्कृतिक महत्ता भी है। यहां निवेशक बिटकॉइन को अभी भी जोखिम भरा समझते हैं। यह आने वाले वर्षों में बढ़ सकता है, लेकिन स्थिरता की दृष्टि से सोना अब भी अग्रणी है।”

    दोनों एसेट्स की तुलना: कौन कितना मजबूत?

    पहलू बिटकॉइन (Bitcoin) सोना (Gold)
    स्थिरता अत्यधिक अस्थिर स्थिर और दीर्घकालिक भरोसेमंद
    लिक्विडिटी डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध वैश्विक रूप से आसानी से खरीदा-बेचा जा सकता
    मूल्य निर्धारण मांग-आपूर्ति और सट्टा पर आधारित अंतरराष्ट्रीय मानकों पर आधारित
    भौतिक अस्तित्व पूरी तरह डिजिटल भौतिक रूप में मौजूद
    दीर्घकालिक सुरक्षा जोखिम अधिक सुरक्षित और स्थिर
    रिटर्न की संभावना अत्यधिक, लेकिन जोखिम के साथ मध्यम, लेकिन भरोसेमंद

    यह तुलना साफ करती है कि जहां बिटकॉइन तेजी से लाभ दिला सकता है, वहीं सोना दीर्घकालिक सुरक्षा और स्थायित्व प्रदान करता है।

    गोल्ड की कीमतें भी ऊंचे स्तर पर

    2025 में अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतें भी रिकॉर्ड स्तर के पास हैं। $2,500 प्रति औंस (लगभग ₹2.10 लाख प्रति 10 ग्राम) तक पहुंचने के बाद सोना फिर से निवेशकों के लिए आकर्षक साबित हो रहा है।

    बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि बिटकॉइन की बढ़ती अस्थिरता के बीच कई बड़े निवेशक अब फिर से गोल्ड ETFs और फिजिकल गोल्ड की ओर लौट रहे हैं।

    क्यों कहा जाता है – “Gold Never Fails”

    इतिहास गवाह है कि जब भी दुनिया किसी आर्थिक संकट या मंदी के दौर में रही है, सोना हमेशा स्थिर निवेश बना रहा है।
    2008 की ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस हो या 2020 की महामारी, सोने ने निवेशकों को कभी निराश नहीं किया।

    बिटकॉइन के साथ ऐसा नहीं कहा जा सकता। 2022–23 में जब बाजार में मंदी आई थी, तब बिटकॉइन अपनी वैल्यू का लगभग 60% तक खो बैठा था, जबकि सोने की कीमतों में उस दौरान 10% की वृद्धि हुई थी।

    भारत में बिटकॉइन बनाम गोल्ड निवेश की स्थिति

    भारत में अभी भी निवेशक पारंपरिक रूप से सोने पर ज्यादा भरोसा करते हैं।
    हालांकि, नई पीढ़ी बिटकॉइन और क्रिप्टो को “भविष्य का निवेश” मान रही है, लेकिन सरकारी नियमन और टैक्स संबंधी जटिलताएं इसके विस्तार को सीमित कर रही हैं।

    भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने भी बार-बार कहा है कि क्रिप्टोकरेंसी अभी तक आधिकारिक मुद्रा नहीं है और इसमें जोखिम अधिक है।
    इसके विपरीत, सोना न केवल कानूनी रूप से सुरक्षित है, बल्कि इसे बैंकों में गिरवी रखकर लोन तक लिया जा सकता है।

    भविष्य की दृष्टि से कौन बेहतर?

    बाजार विश्लेषकों का अनुमान है कि आने वाले 5 वर्षों में बिटकॉइन में उच्च वृद्धि की संभावना बनी रहेगी, लेकिन जोखिम भी साथ रहेगा। वहीं सोना धीमी गति से, पर स्थिर रिटर्न देता रहेगा।

    इसलिए समझदार निवेशक दोनों में संतुलित पोर्टफोलियो बना सकते हैं —
    थोड़ा हिस्सा बिटकॉइन में उच्च लाभ की उम्मीद से और बाकी सोने में स्थायित्व और सुरक्षा के लिए।

    बिटकॉइन भले ही $10,00,000 का आंकड़ा पार कर गया हो और 2.5 ट्रिलियन डॉलर के मार्केट कैप तक पहुंच गया हो,
    लेकिन सोना अब भी अपनी चमक नहीं खोया है।

    जहां बिटकॉइन डिजिटल युग की नई ताकत है, वहीं सोना मानव इतिहास की सदाबहार संपत्ति है।
    एक अस्थिर है लेकिन आकर्षक, दूसरा स्थिर है और भरोसेमंद।

    शायद यही कारण है कि निवेश की दुनिया में अब भी कहा जाता है —
    “Bitcoin is the future, but Gold is forever.”

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