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    अगस्त में चीन ने खरीदा आधे से ज्यादा सोना, 2300 टन पार हुआ रिजर्व — दुनिया के बाजार में मचा हड़कंप

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    दुनियाभर में सोने की कीमतें इस साल लगातार नए रिकॉर्ड बना रही हैं। हर कुछ हफ्तों में गोल्ड का नया ऑल-टाइम हाई देखने को मिल रहा है। अगस्त 2025 में भी सोने की चमक बरकरार रही, लेकिन इस बार इसकी वजह और भी चौंकाने वाली है।
    रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त महीने में जितना सोना सेंट्रल बैंकों ने खरीदा, उसमें से आधे से ज्यादा सोना केवल चीन ने खरीदा। इस खरीद के बाद चीन का गोल्ड रिजर्व इतिहास में पहली बार 2300 टन के पार पहुंच गया है।

    चीन बना दुनिया का सबसे बड़ा गोल्ड बायर

    वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की हालिया रिपोर्ट में बताया गया है कि अगस्त 2025 में दुनिया के सभी सेंट्रल बैंकों ने कुल 15 टन सोना खरीदा। इनमें सबसे ज्यादा खरीद चीन की ओर से की गई, जिसने अकेले ही करीब 8 टन से अधिक सोना अपने रिजर्व में जोड़ा।
    यह लगातार 22वां महीना है जब चीन के केंद्रीय बैंक पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना (PBoC) ने गोल्ड रिजर्व में इजाफा किया है।

    रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चीन ने पिछले एक साल में अपने सोने के भंडार में 200 टन से अधिक की बढ़ोतरी की है।
    इस तेजी से खरीदारी के चलते चीन अब अमेरिका के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गोल्ड रिजर्व रखने वाला देश बन गया है।

    सोने की कीमतों में आग — 40 बार बना ऑल-टाइम हाई

    इस साल सोने की कीमतों में जबरदस्त तेजी आई है।
    2025 की शुरुआत से अब तक सोना 40 बार ऑल-टाइम हाई बना चुका है।
    भारत में 10 ग्राम 24 कैरेट गोल्ड की कीमत अब ₹74,000 के करीब पहुंच गई है, जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में यह $2,650 प्रति औंस पर ट्रेड हो रहा है।

    विशेषज्ञों का कहना है कि दुनिया की अर्थव्यवस्था में बढ़ती अस्थिरता, डॉलर की कमजोरी, और भू-राजनीतिक तनाव ने निवेशकों को सुरक्षित विकल्प के रूप में सोने की ओर मोड़ दिया है।
    चीन द्वारा भारी मात्रा में सोना खरीदने से कीमतों पर और भी दबाव बना है।

    चीन क्यों बढ़ा रहा है अपना गोल्ड रिजर्व?

    चीन के बढ़ते सोना भंडारण के पीछे कई आर्थिक और रणनीतिक कारण हैं।
    सबसे बड़ा कारण है — डॉलर पर निर्भरता कम करना
    चीन लंबे समय से अमेरिकी डॉलर की पकड़ से मुक्त होने की रणनीति पर काम कर रहा है।
    सोना डॉलर का सबसे बड़ा विकल्प माना जाता है, इसलिए चीन अपनी मुद्रा युआन को मजबूत बनाने और अमेरिकी मुद्रा से अलग पहचान देने के लिए लगातार सोने का भंडार बढ़ा रहा है।

    इसके अलावा, चीन की अर्थव्यवस्था इस समय दबाव में है — खासकर रियल एस्टेट संकट, मैन्युफैक्चरिंग में सुस्ती, और एक्सपोर्ट पर निर्भरता घटने के कारण।
    ऐसे में गोल्ड रिजर्व बढ़ाना चीन की फाइनेंशियल स्टेबिलिटी को सुरक्षित करने की एक बड़ी कोशिश मानी जा रही है।

    गोल्ड रिजर्व में उछाल से दुनिया में चिंता बढ़ी

    चीन के इस कदम ने वैश्विक वित्तीय जगत में हलचल मचा दी है।
    कई विश्लेषक मानते हैं कि चीन द्वारा लगातार सोना खरीदना आने वाले समय में डॉलर की स्थिति को कमजोर कर सकता है।
    अमेरिका, जापान और यूरोपीय सेंट्रल बैंक भी इस ट्रेंड पर नजर रखे हुए हैं।

    वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के सीनियर एनालिस्ट एलन बेकर के अनुसार,

    “चीन के गोल्ड रिजर्व में तेजी से हो रही वृद्धि सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि भू-राजनीतिक रणनीति का भी हिस्सा है।
    इसका असर आने वाले महीनों में वैश्विक गोल्ड प्राइस और करेंसी मार्केट पर साफ दिखाई देगा।”

    भारत पर भी पड़ेगा असर

    चीन की इस गोल्ड खरीदारी का असर भारत जैसे देशों पर भी देखने को मिल सकता है।
    भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सोना उपभोक्ता देश है।
    त्योहारों और शादी के सीजन में सोने की मांग लगातार बढ़ती है, ऐसे में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कीमतों में बढ़ोतरी का सीधा असर भारतीय बाजार पर पड़ेगा।

    पहले से ही भारत में सोने की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर हैं, और अगर यह ट्रेंड जारी रहा तो आने वाले दीवाली सीजन में सोना आम उपभोक्ता की पहुंच से और दूर जा सकता है।

    वैश्विक बाजार में गोल्ड बन रहा है ‘सेफ हेवन’

    पिछले कुछ महीनों में शेयर बाजारों में उतार-चढ़ाव, डॉलर इंडेक्स में गिरावट और क्रिप्टो मार्केट की अनिश्चितता ने सोने को फिर से ‘सेफ हेवन एसेट’ बना दिया है।
    निवेशक अपनी पूंजी को सुरक्षित रखने के लिए सोने की ओर रुख कर रहे हैं।
    इसका सबसे बड़ा उदाहरण है कि न केवल चीन, बल्कि तुर्की, पोलैंड, और कतर जैसे देश भी पिछले महीनों में अपने गोल्ड रिजर्व बढ़ा चुके हैं।

    सोने की डिमांड 2025 में ऐतिहासिक स्तर पर

    वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के आंकड़ों के मुताबिक, 2025 के पहले आठ महीनों में ही वैश्विक गोल्ड डिमांड 1,200 टन से अधिक पहुंच चुकी है, जो पिछले दशक का सबसे ऊंचा स्तर है।
    अगर यही रफ्तार जारी रही, तो यह साल सोने की खरीद के मामले में रिकॉर्ड वर्ष साबित हो सकता है।

    भारत में भी निवेशक सोने में तेजी से रुचि दिखा रहे हैं।
    गोल्ड ईटीएफ (Exchange Traded Funds) में इस साल अब तक ₹8,000 करोड़ से अधिक का निवेश हुआ है, जो 2023 की तुलना में 45% ज्यादा है।

    विशेषज्ञों की राय

    वित्तीय विशेषज्ञ अनुज कपूर कहते हैं,

    “चीन की आक्रामक गोल्ड खरीद डॉलर की स्थिति को कमजोर करने की कोशिश है। अगर यह ट्रेंड जारी रहा, तो सोने की कीमतें आने वाले महीनों में $2,800 प्रति औंस तक जा सकती हैं।”

    वहीं, मार्केट एनालिस्ट नीरा भटनागर का मानना है कि,

    “भारत के लिए यह स्थिति चुनौतीपूर्ण हो सकती है क्योंकि घरेलू मांग भी उच्च स्तर पर है और अंतरराष्ट्रीय कीमतें पहले से ऊंची हैं।
    निवेशकों को शॉर्ट-टर्म मुनाफे के बजाय लॉन्ग-टर्म रणनीति अपनानी चाहिए।”

    अगस्त 2025 का महीना सोने के बाजार के लिए ऐतिहासिक साबित हुआ है।
    दुनियाभर में जब सेंट्रल बैंक सीमित मात्रा में सोना खरीद रहे हैं, वहीं चीन ने अकेले आधे से ज्यादा सोना खरीदकर सबको चौंका दिया है।
    इस कदम से न केवल चीन का गोल्ड रिजर्व 2300 टन के पार पहुंचा है, बल्कि वैश्विक बाजारों में सोने की कीमतों में भी नई तेजी देखने को मिल रही है।

    आने वाले महीनों में अगर यह ट्रेंड जारी रहा, तो सोना सिर्फ निवेश का साधन नहीं, बल्कि वैश्विक शक्ति संतुलन का प्रतीक बन सकता है।
    दुनिया अब “गोल्डन वार” के नए दौर में प्रवेश कर चुकी है — और चीन फिलहाल इस दौड़ में सबसे आगे है।

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