




असम में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को बड़ा झटका लगा है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय रेल राज्य मंत्री राजेन गोहेन ने गुरुवार को बीजेपी से इस्तीफा दे दिया। गोहेन के साथ-साथ 17 अन्य नेताओं और कार्यकर्ताओं ने भी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया है। इस इस्तीफे ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है और चुनाव से ठीक पहले बीजेपी के भीतर असंतोष के संकेत स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं।
राजेन गोहेन असम की राजनीति में एक बड़ा नाम हैं। वह न केवल बीजेपी के कद्दावर नेता रहे हैं, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल में रेल राज्य मंत्री के रूप में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। उन्होंने लंबे समय तक असम बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में पार्टी संगठन को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई। हालांकि पिछले कुछ महीनों से उनके पार्टी नेतृत्व से मतभेद की खबरें सामने आ रही थीं। बताया जा रहा है कि टिकट वितरण और संगठनात्मक निर्णयों को लेकर गोहेन और राज्य नेतृत्व के बीच मतभेद बढ़ते चले गए।
गोहेन ने अपने इस्तीफे की घोषणा करते हुए कहा कि अब बीजेपी असम की जनता से दूर होती जा रही है। उन्होंने कहा, “मैंने पार्टी के लिए 30 साल से अधिक समय तक काम किया, लेकिन अब यह वही बीजेपी नहीं रही, जो जनता के मुद्दों पर खड़ी होती थी। संगठन में विचार-विमर्श की जगह व्यक्तिगत हित और केंद्रीकरण हावी हो गया है।”
जानकारी के अनुसार, गोहेन के साथ इस्तीफा देने वाले 17 नेताओं में कई जिला स्तर के पदाधिकारी और कार्यकर्ता शामिल हैं, जो लंबे समय से संगठन में सक्रिय रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इन इस्तीफों से बीजेपी को आगामी चुनाव में नुकसान हो सकता है, खासकर उन इलाकों में जहां गोहेन का प्रभाव रहा है।
असम में विधानसभा चुनाव अगले साल होने हैं, और सभी दल अभी से अपनी रणनीति तय करने में जुट गए हैं। बीजेपी, जिसने पिछले दो चुनावों में शानदार प्रदर्शन किया था, अब संगठनात्मक असंतोष से जूझती दिख रही है। पार्टी के अंदर कई पुराने नेता खुद को हाशिए पर महसूस कर रहे हैं, जबकि युवा चेहरों को तरजीह दी जा रही है।
राजेन गोहेन के इस्तीफे को विपक्ष ने भी भुनाने की कोशिश शुरू कर दी है। कांग्रेस और असम गण परिषद (AGP) ने इसे बीजेपी के भीतर ‘लोकतंत्र की कमी’ का उदाहरण बताया है। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, “जब एक वरिष्ठ नेता जैसे राजेन गोहेन पार्टी छोड़ते हैं, तो यह संकेत है कि बीजेपी अब अपने ही अनुभवी कार्यकर्ताओं की आवाज नहीं सुन रही है।”
उधर, बीजेपी ने इस इस्तीफे को लेकर आधिकारिक प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पार्टी किसी भी नेता के जाने से कमजोर नहीं होती। प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि कुछ लोगों को जब व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाएं पूरी नहीं होतीं, तो वे ऐसे निर्णय लेते हैं। हालांकि, अंदरखाने यह माना जा रहा है कि इस घटनाक्रम ने पार्टी नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है।
राजेन गोहेन के इस्तीफे के बाद असम की राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। यह अनुमान लगाया जा रहा है कि वह जल्द ही किसी अन्य राजनीतिक दल से जुड़ सकते हैं। सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस और असम जातीय परिषद (AJP) दोनों ने गोहेन से संपर्क साधा है। हालांकि उन्होंने अभी तक किसी दल में शामिल होने को लेकर स्पष्ट रुख नहीं अपनाया है।
बीजेपी के लिए यह इस्तीफा केवल एक नेता के जाने का मामला नहीं है, बल्कि यह संगठन के अंदर बढ़ते असंतोष का संकेत भी माना जा रहा है। खासकर तब, जब राज्य में चुनावी तैयारियां जोरों पर हैं और विपक्ष इस मौके का फायदा उठाने की पूरी कोशिश में है।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यदि बीजेपी समय रहते इस असंतोष को शांत नहीं कर पाई, तो चुनाव में इसका असर साफ दिखाई दे सकता है। फिलहाल पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने स्थिति को संभालने के लिए दिल्ली से एक विशेष टीम भेजने का फैसला किया है, जो स्थानीय नेताओं से बातचीत कर नाराजगी को दूर करने की कोशिश करेगी।
असम की राजनीति में यह घटनाक्रम न केवल बीजेपी के लिए चुनौती है, बल्कि विपक्ष के लिए अवसर भी। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आगामी चुनावों में यह असंतोष किसे फायदा पहुंचाता है—बीजेपी को पुनर्गठन का मौका या विपक्ष को सत्ता की ओर बढ़ने का रास्ता।