




प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन की ओर से दी गई हार्दिक शुभकामनाओं के प्रति गहरा आभार व्यक्त किया है। उपराष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री को देश की प्रगति और जनता की सेवा के लिए सराहना भरा संदेश भेजा गया था, जिसके जवाब में पीएम मोदी ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर एक भावनात्मक प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि “देश की सेवा करना और 140 करोड़ भारतीयों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए कार्य करना मेरे जीवन का सर्वोच्च सम्मान है।”
प्रधानमंत्री का यह बयान न केवल उनके नेतृत्व दृष्टिकोण को दर्शाता है बल्कि यह भी दिखाता है कि वे जनसेवा को अपने जीवन का उद्देश्य मानते हैं। मोदी ने आगे लिखा कि यह भारत के लिए गौरवशाली समय है जब देश तेजी से विकास के मार्ग पर आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि यह यात्रा केवल एक व्यक्ति की नहीं बल्कि पूरे राष्ट्र की सामूहिक शक्ति और एकता की प्रतीक है।
प्रधानमंत्री मोदी और उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन के बीच यह संवाद भारतीय लोकतंत्र की परिपक्वता का एक उदाहरण माना जा रहा है। दोनों नेताओं के बीच आपसी सम्मान और सहयोग की भावना देश की राजनीतिक संस्कृति को और मजबूत बनाती है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि ऐसे सार्वजनिक संदेश न केवल संवैधानिक पदों के बीच सौहार्द को बढ़ाते हैं बल्कि जनता के बीच विश्वास का वातावरण भी निर्मित करते हैं।
उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन, जिन्होंने हाल ही में अपने पद की शपथ ली है, ने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व की सराहना करते हुए कहा था कि भारत ने बीते दशक में वैश्विक मंच पर नई पहचान बनाई है। उन्होंने यह भी कहा था कि मोदी सरकार के तहत देश ने न केवल आर्थिक क्षेत्र में बल्कि सामाजिक और तकनीकी प्रगति में भी अभूतपूर्व सफलता हासिल की है।
राधाकृष्णन ने प्रधानमंत्री को शुभकामनाएं देते हुए कहा था कि भारत के विकास की इस यात्रा में वे सदैव उनके साथ खड़े रहेंगे और दोनों के सहयोग से देश एक नए युग में प्रवेश करेगा। उपराष्ट्रपति के इन शब्दों का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “यह मेरे लिए गर्व की बात है कि मुझे देश के नागरिकों की सेवा करने का अवसर मिला है। हर निर्णय और हर योजना का केंद्र बिंदु भारत का सामान्य नागरिक है। जब देश का हर व्यक्ति सशक्त होगा, तभी भारत विश्वगुरु बनने की दिशा में आगे बढ़ेगा।”
प्रधानमंत्री मोदी के इस संदेश ने सोशल मीडिया पर भी काफी ध्यान आकर्षित किया है। ट्विटर (X) पर उनके इस बयान को लाखों लोगों ने पसंद और साझा किया। लोगों ने इसे “नेतृत्व की विनम्रता” और “सेवा भाव” का प्रतीक बताया। कई राजनीतिक और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कहा कि इस तरह का संवाद लोकतंत्र में सहयोग और पारदर्शिता की भावना को और सशक्त करता है।
विश्लेषकों का मानना है कि यह संवाद ऐसे समय में आया है जब भारत कई अहम वैश्विक मंचों पर अपनी भूमिका को मजबूत कर रहा है। प्रधानमंत्री मोदी की विदेश नीति और उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन का प्रशासनिक अनुभव मिलकर आने वाले वर्षों में भारत की स्थिति को और सुदृढ़ कर सकते हैं।
पीएम मोदी ने अपने संदेश में यह भी जोड़ा कि भारत के नागरिकों ने जिस तरह से देश की प्रगति में सक्रिय भूमिका निभाई है, वह अभूतपूर्व है। उन्होंने कहा कि देश के हर वर्ग, हर समुदाय और हर क्षेत्र से मिल रहा सहयोग भारत की ताकत को और बढ़ा रहा है। मोदी ने लिखा, “मैं हर उस व्यक्ति का आभारी हूं जो भारत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में अपना योगदान दे रहा है। हमारी सामूहिक शक्ति ही भारत को विश्व के अग्रणी राष्ट्रों में शामिल कर रही है।”
उधर, उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन ने भी प्रधानमंत्री की प्रतिक्रिया पर धन्यवाद देते हुए कहा कि भारत का लोकतंत्र दुनिया के लिए एक मिसाल है, जहां सर्वोच्च संवैधानिक पदों पर बैठे नेता भी जनता के हित को सर्वोपरि मानते हैं। उन्होंने कहा कि “हमारा लक्ष्य केवल सत्ता में बने रहना नहीं बल्कि देश की आत्मा को मजबूत करना है।”
प्रधानमंत्री मोदी का यह संदेश एक ऐसे समय में आया है जब केंद्र सरकार देश के कई बड़े प्रोजेक्ट्स — जैसे आत्मनिर्भर भारत, मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया और विकसित भारत 2047 मिशन — को गति दे रही है। पीएम मोदी ने अपने बयान में यह भी संकेत दिया कि देश की आने वाली नीतियाँ जनभागीदारी और पारदर्शिता के आधार पर तैयार की जाएंगी।
राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, मोदी का यह बयान केवल उपराष्ट्रपति के प्रति धन्यवाद नहीं बल्कि एक व्यापक राजनीतिक संदेश भी है — कि सरकार का हर कदम “राष्ट्र प्रथम” की भावना से प्रेरित है। यह संवाद सत्ता के शीर्ष पदों के बीच परस्पर सम्मान और सहयोग की उस परंपरा को भी आगे बढ़ाता है जो भारतीय लोकतंत्र की असली ताकत है।