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    वो जूते की धूल भी नहीं… मायावती के बहाने रोहिणी घावरी ने चंद्रशेखर पर साधा वार, साम्राज्य खत्म करने की चेतावनी

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    लखनऊ में कांशीराम परिनिर्वाण दिवस के अवसर पर आयोजित रैली में बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए पार्टी की ताकत और लोकप्रियता का एहसास कराया। इस दौरान पीएचडी स्कॉलर और राजनीतिक विश्लेषक रोहिणी घावरी ने अपनी विचारधारा और राजनीतिक दृष्टिकोण के माध्यम से एक बार फिर आजाद समाज पार्टी के प्रमुख और नगीना सांसद चंद्रशेखर आजाद पर तीखा हमला बोला।

    रोहिणी घावरी ने कहा कि चंद्रशेखर आजाद का राजनीतिक साम्राज्य अब खत्म होने के कगार पर है। उनका कहना था कि उनके द्वारा रची गई रणनीति और राजनीतिक खेल बस “जूते की धूल के बराबर” नहीं है। घावरी ने यह भी कहा कि बसपा और मायावती के नेतृत्व में अब राजनीति का नया अध्याय लिखा जा रहा है, जिसमें जनता का समर्थन सबसे बड़ा हथियार होगा।

    मायावती की रैली और संदेश
    रैली में मायावती ने दलितों और पिछड़े वर्ग के उत्थान की बात करते हुए बताया कि कांशीराम की सोच और उनके आदर्शों को आज भी बसपा के नेता और कार्यकर्ता फॉलो कर रहे हैं। उन्होंने अपने भाषण में जोर देकर कहा कि बसपा अब केवल उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे देश में समाज के हाशिए पर खड़े वर्गों के लिए एक मजबूत राजनीतिक ताकत बन चुकी है।

    मायावती ने कहा कि पिछले वर्षों में उन्होंने राजनीति में कई बार चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का सामना किया, लेकिन उनकी दृढ़ता और जनता का भरोसा उन्हें हर बार मजबूती देता रहा। उन्होंने अपने भाषण में दलितों, पिछड़ों और महिला सशक्तिकरण पर भी जोर दिया।

    रोहिणी घावरी का चंद्रशेखर पर वार
    रैली के दौरान रोहिणी घावरी ने चंद्रशेखर आजाद पर विशेष रूप से निशाना साधा। उनका कहना था कि आज़ाद समाज पार्टी ने मायावती और बसपा के सत्ता और प्रभाव को कमजोर करने का प्रयास किया, लेकिन उनकी सारी योजनाएं बेकार साबित हुईं। घावरी ने कहा, “चंद्रशेखर आजाद का साम्राज्य अब केवल यादों तक सीमित रह गया है। जनता अब नए नेतृत्व और स्पष्ट दृष्टिकोण को पहचान रही है। उनका साम्राज्य बसपा की ताकत और लोकतंत्र के मूल्यों के सामने कुछ भी नहीं है। उनके राजनीतिक प्रयास अब जूते की धूल के बराबर हैं।”

    घावरी ने आगे कहा कि मायावती के नेतृत्व में बसपा ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में जो बदलाव और मजबूती दिखाई है, वह अन्य दलों के लिए एक चुनौती बन चुकी है। उन्होंने कहा कि बसपा केवल सत्ता में रहने के लिए नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और समानता के सिद्धांतों को स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

    राजनीतिक हलचल और भविष्य
    राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, रोहिणी घावरी का यह बयान केवल एक व्यक्तिगत राय नहीं बल्कि बसपा और आज़ाद समाज पार्टी के बीच बढ़ती राजनीतिक टकराहट का संकेत भी है। यह बयान आगामी विधानसभा चुनावों और राजनीतिक गठजोड़ों पर प्रभाव डाल सकता है।

    विशेषज्ञों का मानना है कि मायावती की लोकप्रियता और पार्टी की संगठनात्मक मजबूती आज भी उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। वहीं, चंद्रशेखर आजाद और उनकी पार्टी के लिए यह चुनौती बनी हुई है कि वे कैसे अपनी राजनीतिक पैठ बनाए रखें।

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