




केरल की राजनीति में आज फिर एक बार सबरीमाला मंदिर को लेकर विवाद उभर कर सामने आया। सबरीमाला मंदिर में हाल ही में स्वर्ण कमी की खबरों ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी और इसका असर सीधे केरल विधानसभा की कार्यवाही पर पड़ा। चौथे दिन भी यूडीएफ विधायकों ने इस मुद्दे को लेकर हंगामा किया, जिससे पहले विधानसभा की कार्यवाही कुछ समय के लिए स्थगित करनी पड़ी और अंततः पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई।
यूडीएफ विधायक इस बात को लेकर असंतुष्ट थे कि सबरीमाला मंदिर से स्वर्ण का अचानक कम होना अत्यंत गंभीर मामला है और राज्य सरकार की तरफ से इसकी उचित जांच नहीं की जा रही है। उन्होंने इसे धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत के प्रति उपेक्षा करार दिया। हंगामा करने के दौरान सदन में नारेबाजी और अध्यक्ष की चेतावनियों को अनसुना किया गया।
विपक्षी दलों ने कहा कि मंदिर से स्वर्ण की कमी केवल एक आर्थिक या प्रशासनिक मामला नहीं है, बल्कि यह राज्य में धार्मिक प्रतिष्ठानों की सुरक्षा और पारदर्शिता को लेकर गंभीर सवाल उठाता है। यूडीएफ विधायक लगातार यह मांग कर रहे थे कि मंदिर प्रबंधन और प्रशासन दोनों को जिम्मेदार ठहराया जाए और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए।
हालांकि, केरल विधानसभा के स्पीकर ने इस हंगामे को गंभीरता से लिया। उन्होंने चेतावनी दी कि सदन में नियम और शिष्टाचार बनाए रखना सभी विधायकों का दायित्व है। इसके बावजूद, विधायकों ने हंगामा जारी रखा, जिसके परिणामस्वरूप स्पीकर ने यूडीएफ के तीन विधायकों को पूरे शेष सत्र के लिए निलंबित कर दिया।
इस निलंबन के बाद विधानसभा की कार्यवाही स्थगित कर दी गई और राज्य की राजनीति में यह मुद्दा तेजी से चर्चा का विषय बन गया। विपक्ष और सरकार दोनों पक्षों ने इस घटना पर प्रतिक्रिया दी। सरकार के प्रवक्ताओं का कहना है कि यह केवल संसदीय शिष्टाचार का उल्लंघन था और इस पर कार्रवाई करना अनिवार्य था। वहीं, यूडीएफ ने इसे धार्मिक मामलों में जनता की आवाज दबाने की कोशिश करार दिया।
विशेषज्ञों का कहना है कि सबरीमाला मंदिर में स्वर्ण की कमी के मुद्दे ने केवल धार्मिक दृष्टि से नहीं, बल्कि राजनीतिक दृष्टि से भी गंभीर बहस को जन्म दिया है। यह राज्य में सरकार और विपक्ष के बीच सत्ता संघर्ष और जनचेतना का प्रतीक बनता जा रहा है। यूडीएफ का कहना है कि वे केवल जनता की आवाज उठा रहे हैं और सरकार के पास पर्याप्त जवाब नहीं हैं कि स्वर्ण का अभाव क्यों हुआ।
केरल विधानसभा में यह घटना राजनीतिक गतिरोध की नई कड़ी के रूप में उभरी है। सदन में आज के हंगामे ने यह दर्शाया कि धार्मिक और सांस्कृतिक मामलों में राजनीतिक दल किस तरह अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि आगामी चुनावों को देखते हुए इस तरह के मुद्दे राजनीतिक दलों के प्रचार और चुनाव रणनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
इस विवाद ने सोशल मीडिया और स्थानीय समाचार माध्यमों में भी ध्यान खींचा। आम जनता में भी मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। कुछ लोगों ने सरकार की कड़ी कार्रवाई को सही ठहराया, जबकि अन्य ने इसे धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप और लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर असर डालने वाला कदम माना।
सबरीमाला मंदिर में स्वर्ण कमी के मुद्दे ने केरल विधानसभा में एक बार फिर राजनीतिक उथल-पुथल पैदा कर दी। यूडीएफ के तीन विधायकों का निलंबन और पूरे दिन की कार्यवाही का स्थगित होना राज्य की राजनीति में महत्वपूर्ण घटना है। यह स्पष्ट करता है कि धार्मिक संस्थानों के आर्थिक और प्रशासनिक मामलों में पारदर्शिता के लिए राजनीतिक दल लगातार सवाल उठाते रहेंगे।
इस घटना ने यह भी संकेत दिया है कि केरल में राजनीति और धर्म का समीकरण अब भी संवेदनशील है। आने वाले समय में यह मुद्दा विधानसभा, मीडिया और जनता के बीच गर्मागर्म बहस का हिस्सा बनेगा। सबरीमाला का यह विवाद केवल मंदिर तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह राजनीतिक रणनीति और चुनावी राजनीति में भी अहम भूमिका निभा सकता है।