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    दिंगाड़ बाजार में सिमटते संकेत: 9 अक्टूबर 2025 को क्या दिखा — निफ्टी, सेंसेक्स और ग्लोबल उतार-चढ़ाव

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    9 अक्टूबर 2025 को भारतीय शेयर बाजारों ने बड़ी तेजी नहीं दिखाई; बल्कि निवेशक सतर्क होकर बाजार को दिशा दे रहे थे। निफ्टी50 और BSE सेंसेक्स दोनों ही शुरुआती सत्र में हल्की बढ़त लेकर खुले, लेकिन तेजी स्थिर नहीं रह सकी। वैश्विक आर्थिक संकेत, अमेरिकी व्यापार नीति और घरेलू आर्थिक स्थितियाँ इस बहाव को प्रभावित करती नजर आईं।

    सुबह के सत्र में निफ्टी 25,050 स्तर के आसपास खुला, जबकि सेंसेक्स 81,800 के करीब था। शुरुआत में हल्की सकारात्मकता देखने को मिली, लेकिन जल्द ही यह उछाल स्थिर भूमिका में बदल गई। बाजार में सपोर्ट और रेसिस्टेंस के बीच संघर्ष सा दिखा। कुछ सेक्टरों, विशेषतः मेटल शेयरों ने मजबूती दिखाई, लेकिन वित्त, बैंकिंग और बड़े ब्लूचिप शेयरों में दबाव बना रहा।

    पिछली सत्र में निफ्टी ने चार दिन की लगातार बढ़त के बाद गिरावट देखी थी। बुधवार को यह 62 अंक गिरकर 25,046.15 पर बंद हुआ। सेंसेक्स भी दबाव के कारण 153 अंक की गिरावट के साथ 81,773.66 पर बंद हुआ था।

    तकनीकी दृष्टि से निफ्टी का संरचनात्मक रुझान अभी भी बलवत्तित है, बशर्ते कि 25,000 का स्तर मज़बूती से बना रहे। यदि वह स्तर टूट गया, तो बिक्री बढ़ने की आशंका है और बाजार नीचे की ओर दब सकता है। प्रतिरोध स्तर 25,130–25,200 के बीच माना जा रहा है।

    वैश्विक संकेतों ने बाजार को मिश्रित दिशा दी। अमेरिकी व्यापार नीतियों, बढ़ते टैरिफ विरोध और वैश्विक जीडीपी वृद्धि की अनिश्चितता ने निवेशकों के मन में संशय रखा। विशेष रूप से ट्रम्प प्रशासन द्वारा भारत पर लगाए गए ऊँचे टैरिफ ने निर्यात-उद्योगों पर दबाव डाला है।

    समय से पहले, एक अमेरिकी कांग्रेस सदस्यों की पत्राचार में ट्रम्प से आग्रह किया गया कि भारत पर लगाए गए टैरिफ वापस लिए जाएँ, क्योंकि वे दोनों देशों की आर्थिक साझेदारी को प्रभावित कर रहे हैं।

    IMF ने भारत की अर्थव्यवस्था को “वैश्विक विकास इंजन” करार दिया है और ट्रम्प के टैरिफ निशानों को ज़्यादा महत्व नहीं दिया। इस बयान ने आर्थिक धारणा को कुछ सकारात्मक रूप दिया।

    अमेरिका की टैरिफ नीति का दक्षिण एशिया के विकास पर असर और नकदी प्रवाह को सीमित करना हो सकता है। वर्ल्ड बैंक ने चेतावनी दी है कि अगले वर्ष दक्षिण एशिया की वृद्धि दर में गिरावट हो सकती है, विशेष रूप से भारत की निर्यात निर्भर इकाइयों पर यह दबाव बनेगा।

    स्थानीय स्तर पर, निवेशक Q2 कंपनियों की आय रिपोर्ट की ओर देख रहे हैं। बाजार भी इस घटना से प्रभावित हो सकता है क्योंकि अच्छे परिणामों पर भरोसा बढ़ेगा और अपेक्षाएँ पूरी न होने पर दबाव बढ़ेगा।

    कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि बाजार इस दौर में “रेंज बाउंड” रहेगा, यानी सीमित उतार-चढ़ाव के बीच संचालित होगा। यदि वैश्विक संकेत स्पष्ट दिशा न दें, तो यह स्थिति और भी स्पष्ट होगी।

    आज का शेयर बाजार एक संयमित और संतुलन की स्थिति में दिख रहा है। निफ्टी और सेंसेक्स में बड़ी छलांग नहीं बल्कि समझदारी भरी चालें देखी जा रही हैं। बाजार में आगे की दिशा तय करने के लिए वैश्विक संकेत, अमेरिकी व्यापार नीति और Q2 कंपनियों की रिपोर्ट अहम भूमिका निभाएँगी। निवेशक इस समय सतर्कता और रणनीति के साथ आगे बढ़ें।

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