




वाराणसी, विश्व की सबसे प्राचीन नगरी, अब अपने दिव्य स्वरूप को आसमान से देखने का अवसर भी प्रदान करने जा रही है। उत्तर प्रदेश सरकार ने देव दीपावली के पावन अवसर से पहले हेलिकॉप्टर से काशी दर्शन (Heli-Tour) की सुविधा शुरू करने की घोषणा की है। इस सेवा के तहत श्रद्धालु और पर्यटक अब केवल 8 मिनट में पूरे वाराणसी का एरियल व्यू देख सकेंगे — जिसमें गंगा घाट, काशी विश्वनाथ धाम, सारनाथ और शहर का अद्भुत दृश्य शामिल होगा।
यह नई पहल न केवल धार्मिक श्रद्धालुओं के लिए आस्था का अनुभव और गहरा करेगी, बल्कि वाराणसी के पर्यटन को भी नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी। विश्वनाथ धाम कॉरिडोर पहले ही वाराणसी को विश्वस्तरीय पहचान दे चुका है, और अब हेलिकॉप्टर टूर ने इस अनुभव को और भव्य बना दिया है।
देव दीपावली पर दिखेगा आसमान से गंगा आरती का दिव्य नजारा
हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाई जाने वाली देव दीपावली वाराणसी की पहचान बन चुकी है। गंगा के घाटों पर लाखों दीपों की रोशनी जब एक साथ जगमगाती है, तो पूरा शहर स्वर्ग जैसा प्रतीत होता है। इस बार श्रद्धालु इसे जमीन से नहीं, बल्कि आसमान से देखने का सौभाग्य भी प्राप्त करेंगे। हेलिकॉप्टर से उड़ान भरने वाले यात्रियों को गंगा आरती, घाटों की लाइटिंग और विश्वनाथ मंदिर की छटा का अद्भुत नजारा देखने को मिलेगा।
पर्यटन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि हेलिकॉप्टर टूर की कीमत लगभग ₹8,000 से ₹12,000 प्रति व्यक्ति रखी गई है, जिसमें 8 मिनट की उड़ान और ऑडियो गाइड की सुविधा शामिल होगी। उड़ान के दौरान यात्रियों को काशी की ऐतिहासिक और धार्मिक जानकारियां दी जाएंगी ताकि वे इस अनुभव को और बेहतर तरीके से समझ सकें।
विश्वनाथ कॉरिडोर ने बदली वाराणसी की तस्वीर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी परियोजना काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर ने पिछले कुछ वर्षों में वाराणसी को एक नई पहचान दी है। यह कॉरिडोर केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी एक गेम चेंजर साबित हुआ है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, विश्वनाथ कॉरिडोर ने उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को लगभग 1.25 लाख करोड़ रुपये का बूस्टर डोज दिया है। इससे स्थानीय व्यापार, होटल, परिवहन, और पर्यटन उद्योग को भारी लाभ पहुंचा है। वहीं, अब तक 25 करोड़ से अधिक श्रद्धालु विश्वनाथ धाम का दर्शन कर चुके हैं, जिससे वाराणसी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व और बढ़ गया है।
पर्यटन और रोजगार में नई क्रांति
हेलीटूर सेवा की शुरुआत से वाराणसी के पर्यटन क्षेत्र में एक नया अध्याय जुड़ गया है। हेलिकॉप्टर संचालन के लिए वाराणसी हवाई अड्डे और रामनगर के बीच विशेष मार्ग तय किया गया है। इसके लिए निजी कंपनियों और राज्य सरकार के बीच समझौते हुए हैं। पर्यटन विभाग का मानना है कि इससे स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी बनेंगे, क्योंकि हेलिकॉप्टर संचालन, गाइडिंग, सुरक्षा और मेनटेनेंस में बड़ी संख्या में लोगों की आवश्यकता होगी।
राज्य पर्यटन मंत्री ने कहा कि “वाराणसी आज आधुनिकता और परंपरा का संगम बन चुकी है। विश्वनाथ कॉरिडोर ने जहां आध्यात्मिक पर्यटन को गति दी, वहीं हेलीटूर जैसी पहल ने इसे अंतरराष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर और मजबूत कर दिया है।”
आर्थिक और धार्मिक महत्व का संगम
वाराणसी का महत्व केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि आर्थिक रूप से भी तेजी से बढ़ रहा है। विश्वनाथ कॉरिडोर और पर्यटन आधारित योजनाओं ने स्थानीय कारोबारियों को नई ऊर्जा दी है। घाटों के आसपास कैफे, होटल, हस्तशिल्प की दुकानें और पारंपरिक बनारसी साड़ियों के बाजारों में व्यापार कई गुना बढ़ गया है।
विशेषज्ञों के अनुसार, आने वाले वर्षों में वाराणसी देश का पहला “स्पिरिचुअल टूरिज्म हब” बन सकता है, जहां श्रद्धालु और पर्यटक दोनों ही आधुनिक सुविधाओं के साथ आध्यात्मिकता का अनुभव कर पाएंगे।
आसमान से दिखेगी दिव्यता की झलक
वाराणसी में हेलिकॉप्टर सेवा के तहत यात्रियों को काशी विश्वनाथ मंदिर, दशाश्वमेध घाट, मणिकर्णिका घाट, रामनगर किला और गंगा का पूरा प्रवाह एक साथ देखने का अवसर मिलेगा। सूर्योदय और सूर्यास्त के समय उड़ानें विशेष रूप से आकर्षक होंगी, क्योंकि उस वक्त गंगा के जल पर पड़ती सूर्य की किरणें शहर को स्वर्णिम आभा में बदल देती हैं।
हेलिकॉप्टर सेवा संचालित करने वाली कंपनियों ने बताया कि आने वाले महीनों में पर्यटकों की मांग को देखते हुए उड़ानों की संख्या बढ़ाई जाएगी। साथ ही, “देव दीपावली स्पेशल” और “सुबह-ए-बनारस” जैसे विशेष पैकेज भी लॉन्च किए जाएंगे।वाराणसी हमेशा से भारत की आत्मा मानी जाती रही है। अब यह शहर अपने आध्यात्मिक वैभव को आसमान से दिखाने के लिए भी तैयार है। देव दीपावली के अवसर पर हेलीटूर की शुरुआत केवल पर्यटन पहल नहीं, बल्कि यह काशी की आध्यात्मिक ऊर्जा और आधुनिक दृष्टि का प्रतीक है।