




तकनीक की दुनिया लगातार बदल रही है और शिक्षा उसका सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा बनती जा रही है। डिजिटल युग में जहाँ पारंपरिक कक्षाओं का रूप बदल चुका है, वहीं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) ने शिक्षा में नई ऊर्जा का संचार किया है। इसी परिवर्तन को लेकर युवा नवप्रवर्तक हर्षिता प्रसाद ने अपनी गहरी समझ साझा की है। हर्षिता का मानना है कि एआई न केवल छात्रों के लिए नई संभावनाएं पैदा कर रहा है, बल्कि यह सीखने की प्रक्रिया को व्यक्तिगत, तेज़ और अधिक प्रभावशाली बना रहा है।
AI से सीखने का मतलब है सोचने का नया तरीका
हर्षिता प्रसाद के अनुसार, AI केवल एक मशीन लर्निंग सिस्टम नहीं है, बल्कि यह “मानव सोच का विस्तार” है।
उनका कहना है, “अगर हम सही दिशा में एआई को अपनाएं, तो यह हमारे सीखने के तरीकों को अधिक गहराई और विविधता दे सकता है। AI छात्रों को केवल जानकारी नहीं देता, बल्कि यह उन्हें सिखाता है कि जानकारी को कैसे समझना और उपयोग करना है।”
उन्होंने बताया कि पहले छात्र केवल पुस्तकों और अध्यापकों पर निर्भर रहते थे, लेकिन अब Chatbots, AI Tutors, और Adaptive Learning Platforms जैसे साधनों ने शिक्षा को अधिक इंटरैक्टिव और व्यक्तिगत बना दिया है।
व्यक्तिगत शिक्षा की दिशा में बड़ा कदम
हर्षिता का कहना है कि AI के आने से शिक्षा अब “वन-साइज-फिट्स-ऑल” नहीं रही। अब प्रत्येक छात्र अपनी गति, अपनी रुचि और अपने स्तर के अनुसार सीख सकता है।
AI आधारित टूल्स जैसे Coursera, Khan Academy, Duolingo और Google AI Education अब छात्रों की सीखने की शैली को समझकर कंटेंट को उसी अनुसार प्रस्तुत कर रहे हैं।
हर्षिता बताती हैं, “पहले छात्रों को परीक्षा के अंकों से मापा जाता था, लेकिन अब AI के जरिए यह देखा जा सकता है कि उन्होंने वास्तव में कितना सीखा और किस क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता है। यह शिक्षा को अधिक मानवीय और न्यायसंगत बना रहा है।”
नवाचार के नए अवसर
AI के उपयोग से शिक्षा जगत में नए विचारों और नवाचारों का विस्तार हुआ है।
हर्षिता कहती हैं कि जब एआई छात्रों को समय बचाने और डेटा विश्लेषण में मदद करता है, तो वे अपने रचनात्मक विचारों पर अधिक ध्यान दे सकते हैं।
इससे स्टार्टअप्स, रिसर्च प्रोजेक्ट्स और नई खोजों के अवसर बढ़े हैं।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, “AI के जरिए छात्र अब प्रोजेक्ट्स को सिमुलेशन में परख सकते हैं, कोडिंग को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं और यहां तक कि कला या संगीत जैसे क्षेत्रों में भी नवाचार कर सकते हैं।”
AI और नैतिकता का सवाल
जहां एक ओर एआई शिक्षा को सशक्त बना रहा है, वहीं हर्षिता ने इसके नैतिक पहलुओं पर भी ध्यान देने की जरूरत बताई।
उनका कहना है कि “AI की ताकत बहुत बड़ी है, लेकिन इसका इस्तेमाल जिम्मेदारी से होना चाहिए। अगर हम इसे सही दिशा में नहीं ले गए, तो यह रचनात्मकता के बजाय निर्भरता बढ़ा सकता है।”
हर्षिता ने जोर दिया कि शिक्षा संस्थानों को चाहिए कि वे एआई के उपयोग के साथ नैतिक मूल्यों और डेटा सुरक्षा के विषयों को भी छात्रों के पाठ्यक्रम में शामिल करें।
भारत में AI आधारित शिक्षा का भविष्य
भारत जैसे देश में, जहाँ शिक्षा की पहुंच और गुणवत्ता एक बड़ी चुनौती है, वहाँ AI एक क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है।
हर्षिता मानती हैं कि AI ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की पहुंच बढ़ाने में भी अहम भूमिका निभा सकता है।
“एक छात्र जो दूरदराज के गांव में बैठा है, वह अब वर्चुअल ट्यूटर के माध्यम से उसी स्तर की शिक्षा प्राप्त कर सकता है जो किसी मेट्रो सिटी के स्कूल में मिलती है,” उन्होंने कहा।
सरकार की नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP 2020) में भी AI को शिक्षा प्रणाली में शामिल करने की दिशा में कई कदम उठाए गए हैं।
हर्षिता का मानना है कि अगर इन योजनाओं को सही तरीके से लागू किया गया, तो भारत AI-आधारित लर्निंग के क्षेत्र में अग्रणी देश बन सकता है।
हर्षिता प्रसाद: युवाओं की प्रेरणा
सिर्फ 22 वर्ष की उम्र में हर्षिता ने शिक्षा में तकनीक को जोड़ने के लिए कई छोटे प्रोजेक्ट्स पर काम किया है।
उन्होंने “LearnAI” नामक एक पहल शुरू की है, जिसका उद्देश्य है — स्कूलों और कॉलेजों में छात्रों को AI की बुनियादी समझ देना और उन्हें इनोवेशन की ओर प्रेरित करना।
उनका मानना है कि आने वाला दशक AI Literacy का दशक होगा, जिसमें हर छात्र को यह समझना होगा कि तकनीक का सही इस्तेमाल कैसे किया जाए।
हर्षिता कहती हैं — “अगर हम AI को समझेंगे, तो यह हमारे लिए अवसरों का सागर बन सकता है; लेकिन अगर हम इससे डरेंगे, तो यह सिर्फ एक चुनौती रह जाएगा।”
शिक्षा और तकनीक का संगम
AI अब शिक्षा का सिर्फ एक उपकरण नहीं, बल्कि एक साथी बन चुका है।
हर्षिता के अनुसार, आने वाले वर्षों में स्कूल और कॉलेज ऐसे सिस्टम अपनाएंगे, जहाँ एआई छात्रों की मानसिक स्थिति, रुचि और क्षमताओं को समझकर उन्हें सही दिशा में मार्गदर्शन देगा।
इससे न केवल परीक्षा परिणाम सुधरेंगे बल्कि छात्रों में आत्मविश्वास और रचनात्मक सोच भी बढ़ेगी।
हर्षिता प्रसाद का दृष्टिकोण स्पष्ट है — AI शिक्षा में बदलाव का साधन है, न कि खतरा।
अगर इसे सही मार्गदर्शन और मानवीय मूल्यों के साथ जोड़ा जाए, तो यह दुनिया भर में सीखने की प्रक्रिया को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा सकता है।
उनके विचार आज की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा हैं कि तकनीक से डरने के बजाय, उसे समझकर आगे बढ़ा जाए।