




भारत जल्द ही अपना पहला स्वदेशी AI मॉडल पेश करने जा रहा है। सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि यह मॉडल फरवरी 2026 तक तैयार हो जाएगा और इसे पूरी तरह से भारतीय डेटा पर आधारित बनाया जाएगा। केंद्रीय सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने बताया कि यह पहल देश के डेटा की सुरक्षा और AI के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से की जा रही है।
स्वदेशी AI मॉडल का निर्माण भारतीय सर्वर पर ही किया जाएगा, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि देशवासियों का डेटा विदेशी प्लेटफ़ॉर्म्स पर न जाए। सरकार का कहना है कि डेटा सुरक्षा और गोपनीयता को ध्यान में रखते हुए यह कदम अत्यंत आवश्यक है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से भारत तकनीकी रूप से स्वावलंबी और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बन सकेगा।
इस पहल के तहत विकसित होने वाले AI मॉडल का उपयोग विभिन्न सरकारी और निजी परियोजनाओं में किया जाएगा। इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, स्मार्ट शहर, कृषि, वित्त और सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में AI तकनीक को लागू किया जाएगा। इससे देश के तकनीकी ढांचे को मजबूत करने और डिजिटल इंडिया के लक्ष्य को साकार करने में मदद मिलेगी।
केंद्रीय मंत्रालय ने बताया कि AI मॉडल के लिए डेटा संग्रह और प्रशिक्षण पूरी तरह से भारतीय नागरिकों और स्थानीय संस्थाओं से होगा। किसी भी विदेशी डेटा या प्लेटफ़ॉर्म का इसमें उपयोग नहीं किया जाएगा। यह देश में AI सुरक्षा और गोपनीयता मानकों को लागू करने में भी मील का पत्थर साबित होगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि स्वदेशी AI मॉडल भारत के तकनीकी विकास और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे भारतीय युवा, स्टार्टअप्स और कंपनियों को नए अवसर मिलेंगे और वे वैश्विक स्तर पर AI परियोजनाओं में योगदान दे सकेंगे।
सरकार का उद्देश्य है कि इस मॉडल के माध्यम से डेटा की सुरक्षा, सूचना की गोपनीयता और तकनीकी स्वावलंबन सुनिश्चित किया जा सके। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत AI और मशीन लर्निंग के क्षेत्र में विश्व स्तरीय अनुसंधान और नवाचार में प्रमुख खिलाड़ी बन सकता है।
स्वदेशी AI मॉडल का उपयोग शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में भी किया जाएगा। उदाहरण के लिए, शिक्षा क्षेत्र में बच्चों की सीखने की प्रक्रिया को AI के माध्यम से ट्रैक किया जा सकेगा, स्वास्थ्य क्षेत्र में मरीजों का डेटा सुरक्षित रहेगा और कृषि क्षेत्र में किसानों को AI आधारित सलाह दी जाएगी।
इस मॉडल की सबसे बड़ी विशेषता यह होगी कि यह पूरी तरह स्थानीय और भारतीय संदर्भों पर आधारित होगा। विदेशी AI मॉडल की तुलना में यह भारत के भौगोलिक, सामाजिक और आर्थिक परिदृश्य को बेहतर ढंग से समझ सकेगा। इस कारण यह सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों में बेहद उपयोगी साबित होगा।
सरकार ने इस परियोजना के लिए देशभर के तकनीकी विशेषज्ञों, आईटी कंपनियों और अनुसंधान संस्थानों के साथ साझेदारी की है। इसमें डेटा वैज्ञानिक, AI इंजीनियर और मशीन लर्निंग विशेषज्ञ शामिल हैं। उन्होंने कहा कि यह प्रयास भारत के डिजिटल भविष्य को सुरक्षित और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में ऐतिहासिक पहल है।
विशेषज्ञों का मानना है कि फरवरी 2026 तक तैयार होने वाला यह स्वदेशी AI मॉडल न केवल डेटा सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, बल्कि भारत को वैश्विक AI परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनाएगा। इसके साथ ही यह देशवासियों के डिजिटल अधिकारों की रक्षा करने में भी सक्षम होगा।
इस पहल के माध्यम से यह भी संदेश दिया गया है कि भारत अब तकनीकी दृष्टि से विदेशी निर्भरता कम करने और आधुनिक तकनीक में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहा है। भारतीय युवाओं और स्टार्टअप्स को इस क्षेत्र में नए अवसर मिलेंगे और वे AI आधारित नवाचारों के माध्यम से वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना सकेंगे।
स्वदेशी AI मॉडल न केवल तकनीकी दृष्टि से बल्कि राष्ट्रिय सुरक्षा और आर्थिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इससे भारतीय डेटा को सुरक्षित रखने के साथ-साथ नवाचार और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। भारत की यह पहल डिजिटल दुनिया में एक मजबूत और सुरक्षित भविष्य की नींव रख रही है।
इस प्रकार, भारत का पहला स्वदेशी AI मॉडल फरवरी 2026 तक तैयार होने के बाद देश को AI के क्षेत्र में आत्मनिर्भर और सुरक्षित बनाएगा। यह देशवासियों के डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ तकनीकी नवाचार, रोजगार और डिजिटल भारत के सपने को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।