




जहानाबाद, बिहार – बिहार की राजनीति में एक बार फिर जोरदार हलचल देखने को मिल रही है। जहानाबाद के पूर्व विधायक राहुल शर्मा ने जनता दल (यूनाइटेड) यानी जदयू छोड़कर राजद (राजद समाजवादी दल) का दामन थाम लिया है। यह कदम बिहार में आगामी चुनावी माहौल में एक महत्वपूर्ण राजनीतिक मोड़ माना जा रहा है, खासकर मगध क्षेत्र के भूमिहार मतदाताओं को आकर्षित करने की रणनीति के तहत।
राहुल शर्मा, जो घोसी विधानसभा क्षेत्र से पूर्व विधायक रह चुके हैं, अब राजद के उम्मीदवार बनने की संभावना पर चर्चा चल रही है। वह मगध क्षेत्र के कद्दावर भूमिहार नेता जगदीश शर्मा के पुत्र हैं। उनके परिवार का बिहार की राजनीति में लंबा और गहरा इतिहास रहा है। जगदीश शर्मा 1977 से 2009 तक लगातार घोसी विधानसभा क्षेत्र से आठ बार विधायक रहे और 2009 में जदयू से सांसद बने। उनके राजनीतिक सफर और जनाधार के कारण उनका परिवार क्षेत्र में अत्यधिक प्रभावशाली माना जाता है।
राहुल शर्मा का राजनीतिक करियर भी उनके परिवार की विरासत के अनुरूप रहा है। उन्होंने 2010 से 2015 तक घोसी से जदयू के विधायक के रूप में जनता की सेवा की। इसके बाद उन्होंने अपनी राजनीतिक राह बदलने का निर्णय लिया और अब राजद का दामन थामकर अपने क्षेत्र में अपनी पैठ को और मजबूत करने का प्रयास कर रहे हैं।
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और उनके पुत्र तेजस्वी यादव के लिए यह कदम विशेष महत्व रखता है। राहुल शर्मा की राजद में शामिल होने से मगध क्षेत्र के भूमिहार वोट बैंक को जोड़ने में मदद मिलेगी। यह रणनीति तेजस्वी यादव की आगामी चुनावी तैयारियों का एक अहम हिस्सा मानी जा रही है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि भूमिहार समुदाय बिहार की राजनीति में हमेशा महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है, और इस समुदाय के नेताओं का किसी दल में शामिल होना चुनावी गणित को बदलने की क्षमता रखता है।
राहुल शर्मा की राजनीतिक यात्रा में उनके परिवार का योगदान भी विशेष रूप से उल्लेखनीय है। उनके पिता जगदीश शर्मा की लोकप्रियता और उनके संघर्षशील जीवन ने क्षेत्र में उनकी पैठ को मजबूत किया। 2009 में जगदीश शर्मा के सांसद बनने के बाद, उनकी पत्नी शांति शर्मा को घोसी उपचुनाव में विधायक चुना गया। ऐसे में राहुल शर्मा की राजद में शामिल होने की प्रक्रिया परिवार की राजनीतिक विरासत और क्षेत्र में जनाधार को जोड़ने का महत्वपूर्ण संकेत है।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि राहुल शर्मा का जदयू छोड़कर राजद में शामिल होना केवल व्यक्तिगत बदलाव नहीं है, बल्कि यह बिहार की राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है। यह कदम राजद को न केवल भूमिहार मतदाताओं तक पहुँचाने में मदद करेगा, बल्कि विपक्षी दलों, विशेष रूप से जदयू और भाजपा के लिए चुनौती भी खड़ी करेगा।
मागध क्षेत्र में भूमिहार समुदाय की संख्या और उनका राजनीतिक प्रभाव हमेशा चुनावी रणनीतियों में अहम रहा है। राहुल शर्मा की राजद में शामिल होने से राजद को इस समुदाय के साथ तालमेल बनाने और आगामी विधानसभा तथा लोकसभा चुनावों में बढ़त हासिल करने का अवसर मिलेगा। राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि यह कदम तेजस्वी यादव के लिए मगध क्षेत्र में राजद की पकड़ को मजबूत करने की दिशा में निर्णायक साबित हो सकता है।
राहुल शर्मा ने अपनी राजद में शामिल होने की घोषणा करते हुए कहा कि उनका मुख्य उद्देश्य क्षेत्र की जनता की सेवा करना और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देना है। उन्होंने यह भी कहा कि उनका यह निर्णय व्यक्तिगत या राजनीतिक लाभ के लिए नहीं, बल्कि अपने क्षेत्र और समुदाय की भलाई के लिए है।
राजनीतिक गलियारों में इस खबर ने जोरदार हलचल मचा दी है। जदयू ने अभी तक इस कदम पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन सूत्रों के अनुसार पार्टी के नेताओं के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण स्थिति बन सकती है, क्योंकि राहुल शर्मा की लोकप्रियता और उनके परिवार का जनाधार जदयू के लिए नुकसानदायक हो सकता है।