




इज़राइली सेना ने सोमवार, 13 अक्टूबर 2025 को घोषणा की कि हैमस द्वारा गाजा पट्टी में कब्जे में रखे गए सभी 20 जीवित बंधकों को रिहा कर दिया गया है और वे सभी अब इज़राइल वापस आ चुके हैं। यह रिहाई दो साल तक चले युद्ध के बाद लागू हुए संघर्ष विराम का हिस्सा है, जिसने गाजा क्षेत्र को तबाह कर दिया था, हजारों फिलिस्तीनियों की जान ली और दर्जनों नागरिकों व सैनिकों को आतंकवादी समूहों के कब्जे में छोड़ दिया था।
रिहाई की प्रक्रिया सोमवार को शुरू हुई, जिसमें सुबह के समय सात बंधकों को मुक्त किया गया। इसके कुछ ही घंटे बाद बाकी 13 बंधकों को भी रिहा कर दिया गया। इस कदम को एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक सफलता माना जा रहा है क्योंकि यह वर्षों से चले आ रहे हिंसक संघर्ष को कम करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
गाजा पट्टी में दो वर्षों तक चली हिंसा ने इस क्षेत्र की स्थिति को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। इस युद्ध में हजारों फिलिस्तीनी मारे गए, और लाखों लोग विस्थापित हुए। इसी बीच, कई इज़राइली नागरिक और सैनिक भी हैमस के कब्जे में बंधक बने रहे। संघर्ष विराम के बाद इस संकट का समाधान निकालना कूटनीतिक प्रयासों का मुख्य फोकस रहा।
इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस रिहाई को “शांति की दिशा में ऐतिहासिक सफलता” बताया है। उन्होंने कहा कि सरकार इस दिशा में निरंतर काम कर रही है ताकि और अधिक बंधकों को मुक्त कराया जा सके।
दूसरी ओर, मानवाधिकार संगठनों ने इस कदम का स्वागत किया है, लेकिन इस बात पर भी जोर दिया है कि सभी बंधकों की रिहाई के साथ-साथ मानवाधिकारों का सम्मान भी सुनिश्चित होना चाहिए।
हालांकि सभी जीवित बंधकों को मुक्त कर दिया गया है, लेकिन मृत बंधकों की वापसी, युद्ध के बाद पुनर्निर्माण, और स्थायी शांति बनाए रखना अभी भी बड़ी चुनौतियां हैं। गाजा पट्टी की स्थिति नाजुक बनी हुई है, और क्षेत्र में कई राजनीतिक तथा सामाजिक विवाद हैं जिनका समाधान लंबी अवधि के लिए आवश्यक होगा।
हैमस द्वारा कब्जे में रखे गए सभी जीवित बंधकों की वापसी मध्य-पूर्व संघर्ष के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है। यह न केवल बंधकों के परिवारों के लिए राहत लेकर आया है, बल्कि यह क्षेत्र में स्थायी शांति स्थापित करने की दिशा में भी एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है।