• Create News
  • Nominate Now

    छत्तीसगढ़ पीडीएस घोटाले पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: CBI या SIT जांच की याचिकाएं खारिज, राज्य सरकार को मिली राहत

    इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं।

    छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित पीडीएस (Public Distribution System) घोटाले से जुड़ी एक अहम सुनवाई में हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने सीबीआई (CBI) या एसआईटी (Special Investigation Team) जांच की मांग करने वाली याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा है कि इस मामले में राज्य की जांच एजेंसियां पहले से ही सक्रिय हैं, और अब किसी बाहरी एजेंसी के दखल की आवश्यकता नहीं है।

    यह फैसला छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की मुख्य पीठ बिलासपुर ने सुनाया। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ताओं द्वारा लगाए गए आरोप राजनीतिक प्रेरणा से प्रेरित लगते हैं और उनके पास ऐसा कोई ठोस सबूत नहीं है, जिससे यह सिद्ध हो सके कि राज्य पुलिस या जांच एजेंसियां निष्पक्ष जांच नहीं कर रहीं।

    अदालत का रुख और तर्क
    मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने कहा कि जांच के दौरान यदि किसी प्रकार की लापरवाही या पक्षपात का प्रमाण मिलता है, तो उस स्थिति में अदालत हस्तक्षेप कर सकती है, लेकिन इस चरण में बाहरी जांच एजेंसी को सौंपने की कोई जरूरत नहीं है।

    पीठ ने अपने आदेश में यह भी उल्लेख किया कि राज्य की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) और एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) पहले से ही इस मामले में जांच कर रहे हैं और कई स्तरों पर जांच रिपोर्ट भी प्रस्तुत की जा चुकी है।

    अदालत ने कहा कि “राज्य सरकार के अधीन कार्यरत एजेंसियों द्वारा अब तक की गई जांच में कोई ऐसा तथ्य सामने नहीं आया है, जो न्यायिक हस्तक्षेप या स्वतंत्र जांच की आवश्यकता दर्शाता हो।”

    क्या है मामला
    छत्तीसगढ़ में वर्ष 2022 में सामने आया यह कथित पीडीएस घोटाला उस समय चर्चा में आया था, जब यह आरोप लगे कि राशन वितरण प्रणाली के तहत अनाज और अन्य वस्तुओं की आपूर्ति में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है। शिकायत में कहा गया था कि गरीबों को मिलने वाला अनाज और अन्य वस्तुएं फर्जी लाभार्थियों के नाम पर उठाई गईं और बाजार में बेच दी गईं।

    मामला उस वक्त और गंभीर हो गया जब कुछ अफसरों और अधिकारियों के खिलाफ अनियमितताओं के आरोप लगे। विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को विधानसभा से लेकर सड़कों तक उठाया और CBI या SIT जांच की मांग की।

    इसके बाद कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और विपक्षी नेताओं ने हाईकोर्ट में याचिकाएं दाखिल कीं, जिनमें कहा गया कि राज्य की जांच एजेंसियां निष्पक्ष जांच नहीं कर रहीं और मामला राजनीतिक प्रभाव में दबाया जा रहा है।

    सरकार का पक्ष
    राज्य सरकार की ओर से पेश हुए अधिवक्ता ने अदालत में दलील दी कि सरकार पारदर्शिता के साथ काम कर रही है और जांच में कोई राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं हो रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि EOW ने अब तक 150 से अधिक गवाहों के बयान दर्ज किए हैं और सैकड़ों दस्तावेज जब्त किए गए हैं।

    सरकार का तर्क था कि इस तरह की याचिकाएं केवल राजनीतिक लाभ के लिए लाई गई हैं और इससे जांच प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है।

    अदालत ने क्या कहा
    हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ताओं ने यह साबित नहीं किया कि राज्य एजेंसियां निष्पक्ष नहीं हैं। अदालत ने कहा,

    “केवल आरोप लगाना पर्याप्त नहीं होता, उसके समर्थन में ठोस साक्ष्य भी होने चाहिए। जांच एजेंसियों पर अविश्वास करना तब तक उचित नहीं है, जब तक यह साबित न हो कि वे जानबूझकर जांच में ढिलाई बरत रही हैं।”

    इसके साथ ही अदालत ने कहा कि यदि भविष्य में यह पाया जाता है कि जांच में कोई अनियमितता हुई है, तो याचिकाकर्ता पुनः अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं।

    फैसले के राजनीतिक मायने
    इस फैसले को छत्तीसगढ़ सरकार के लिए बड़ी राहत माना जा रहा है। राज्य में विपक्ष लगातार सरकार पर पीडीएस घोटाले को दबाने का आरोप लगा रहा था और सीबीआई जांच की मांग कर रहा था। अदालत के इस आदेश के बाद सरकार ने दावा किया है कि उसने हमेशा पारदर्शिता के साथ काम किया है।

    राज्य के खाद्य मंत्री ने कहा कि “यह फैसला न्याय की जीत है। विपक्ष केवल राजनीति कर रहा था, लेकिन सच्चाई सामने आ गई है कि सरकार किसी भी प्रकार की धांधली में शामिल नहीं है।”

    वहीं विपक्ष ने कहा कि वे इस फैसले की समीक्षा करेंगे और यदि आवश्यक हुआ तो सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि “राज्य की एजेंसियां सरकार के नियंत्रण में हैं, इसलिए निष्पक्ष जांच की उम्मीद नहीं की जा सकती। जनता सच्चाई जानना चाहती है।”

    न्यूज़ शेयर करने के लिए क्लिक करें .
  • Advertisement Space

    Related Posts

    पूर्व IAS अधिकारी कन्नन गोपीनाथन कांग्रेस में हुए शामिल, बोले– अब लोकतंत्र की लड़ाई राजनीति के भीतर से लड़नी होगी

    इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं। पूर्व भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी और नागरिक अधिकारों के प्रखर पैरोकार कन्नन गोपीनाथन ने सोमवार को आधिकारिक रूप से…

    Continue reading
    रील बनाती हर्षिता दवे बनीं 22 साल की उम्र में डिप्टी कलेक्टर, पीसीएस 2024 में महिला वर्ग में टॉप

    इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं। इंदौर की 22 वर्षीय हर्षिता दवे की कहानी न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि यह युवा पीढ़ी के लिए यह उदाहरण…

    Continue reading

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *