




मनीष मल्होत्रा की दिवाली पार्टी शाम को जब बॉलीवुड के युवा चेहरे और फैशन की दुनिया के उभरते सितारे रेड कार्पेट पर चमक रहे थे, तब ‘ड्रीम गर्ल’ हेमा मालिनी और ‘उमराव जान’ रेखा ने एक बार फिर दिखा दिया कि असली ग्लैमर उम्र को नहीं मापता। पार्टी के हर कोने में सुंदरता, स्टाइल और कपड़ों की चमक थी, लेकिन जैसे ही हेमा मालिनी और रेखा अपनी साड़ियों में उपस्थित हुईं, सबका अटेंशन सिर्फ उन्हीं पर टिक गया।
उस रात की शुरुआत ही इस तरह हुई कि हेमा मालिनी ने हल्के गुलाबी रंग की साड़ी चुनकर एक कोमल लेकिन सशक्त बयान दिया। साड़ी का फैब्रिक, उसका ड्रेपिंग स्टाइल, ब्लाउज़ का कट, गहनों की शान — सब कुछ ऐसा कि पुरानी फिल्मों की झलक देती हुई आज की दुनिया में भी अपनी अद्वितीय पहचान बनाती हो। चेहरे पर हल्की मेक-अप, बालों को खुले या सौम्य अंदाज़ से सजाया हुआ — हेमा ने वह संतुलन किया जिसे युवा सितारों के अक्सर प्रयासों में अधूरेपन का पुट दिखता है।
रेखा ने तो जैसे समय को पीछे धकेल दिया हो। एक सुनहरी-ओरेंज कांचीवरम या बनारसी जैसे पारंपरिक सिल्क साड़ियों में आकर उन्होंने उस राजसी शैली का उद्घोष कर दिया, जिसे उन्होंने दशकों से परिभाषित किया है। गहनों के चुनाव में कुछ भारी सिंगार, पारंपरिक नेकलेस, झुमके, हाथों में जोड़ी-चूड़ियाँ, और माथे पर बिंदी — इस तरह के क्लासिक तत्वों ने उनके लुक को और अधिक प्रभावशाली बना दिया। उनकी चाल, उनके पोज़, उनका आत्म-अभिमान — सब कुछ ऐसा कि सभी कैमरे उन्हीं को चाहता दिखे।
पार्टी में मौजूद युवा अभिनेत्रियां — जो साड़ियों, लहांगों और डिज़ाइनर आउटफिट्स में सज-धज कर आई थीं — उनकी उदारता, चमक या फिर मॉडर्न एक्सेसरीज़ में कुछ भी कम नहीं थीं, पर हेमा-रेखा की मौजूदगी ने फैशन की उस परंपरा को फिर से जीवंत कर दिया जिसे कम लोग आज प्रेरणा के रूप में देखते हैं। युवा कलाकारों की कोशिशें जितनी भी प्रेरणादायक हों, लेकिन इस तरह की साड़ी की राजसी स्मृति, ऐसे संतुलन और संयम, और उस आत्मविश्वास की चमक, कुछ ऐसी चीजें हैं जो केवल समय और अनुभव से आती हैं।
यह रात सिर्फ एक पार्टी नहीं थी — यह एक मेले जैसा था जहाँ पारंपरिक भारतीय फैशन, शादी-शुदा संस्कृति और सिनेमाई गौरव के स्मरण ने मिलकर एक दृश्य निर्मित किया। हेमा मालिनी और रेखा की साड़ी लुक ने यह दिखाया कि फैशन ट्रेंड्स आ सकते हैं और फिर जाएँ, लेकिन असली स्टाइल वह है जो समय की कसौटी पर खरा उतरे। उन्होंने यह साबित कर दिया कि चाहे कैमरों की लाइटें जवान चेहरे पर चमकें, लेकिन सच्चा प्रभाव वहीं छोड़ता है जहाँ व्यक्तित्व, आत्मभान और पारंपरिक सौंदर्य का तड़का हो।
पार्टी के बाद सोशल मीडिया पर उनकी यह झलक लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गई। प्रशंसकों ने लिखा कि “उमराव जान की साड़ी ऐसी कि दीपावली की रात में भी चाँद खुद फीका पड़ जाए।” किसी ने कहा कि हेमा का लुक सपनों की तरह खूबसूरत है, किसी ने कहा ये दिखावे से ज़्यादा आत्म-विश्वास की बात है। फैशन आलोचकों ने भी इस बात की तारीफ की कि कैसे उन्होंने साड़ी को सिर्फ एक पोशाक नहीं बल्कि आत्म-अभिव्यक्ति बनाया।
इस तरह, मनीष मल्होत्रा की दिवाली पार्टी ने निश्चय ही युवा सितारों के स्टाइल को एक मंच दिया, लेकिन हेमा मालिनी और रेखा ने उस मंच की निगाहों को धुंधला करके एक नई मिसाल कायम कर दी। यह रात याद रहेगी उन कई लड़कियों सहित, जो साड़ी पहनती हैं, पर सपना देखती हैं कि एक दिन उनकी मौजूदगी भी वैसी हो कि सब चुप हो जाएँ।