




रणजीत कुमार | जहानाबाद, बिहार | समाचार वाणी न्यूज़
कृषि के क्षेत्र में जैविक पद्धतियों को बढ़ावा देने और किसानों को आधुनिक तकनीकों से जोड़ने के उद्देश्य से जहानाबाद जिले के 20 किसानों का दल “जैविक सब्जी उत्पादन” विषय पर प्रशिक्षण प्राप्त करने हेतु नालंदा जिले के नेहुसा प्रखंड स्थित रैन्बो एग्रो पार्क के लिए रवाना हुआ।
इस दल को जिला कृषि पदाधिकारी-सह-परियोजना निदेशक (आत्मा) संभावना ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। कार्यक्रम के दौरान उप परियोजना निदेशक आत्मा अनुप्रिति माला एवं राकेश कुमार भी उपस्थित रहे।
यह प्रशिक्षण पाँच दिवसीय एवं आवासीय कार्यक्रम होगा, जो 16 अक्टूबर तक चलेगा। इस दौरान किसानों को जैविक सब्जी उत्पादन की वैज्ञानिक तकनीक, खाद एवं कीटनाशक के जैविक विकल्प, मिट्टी की उर्वरा शक्ति बनाए रखने के उपाय, और जैविक उत्पादों के विपणन से संबंधित विस्तृत जानकारी दी जाएगी।
परियोजना निदेशक संभावना ने बताया कि आत्मा (ATMA) योजना के तहत यह पहल किसानों को रासायनिक खेती से हटाकर जैविक खेती की ओर प्रोत्साहित करने के लिए की गई है। उन्होंने कहा कि “जैविक विधि से उपजाई गई सब्जियां न केवल स्वादिष्ट और पौष्टिक होती हैं, बल्कि अधिक समय तक टिकाऊ रहती हैं। इससे उपभोक्ता और किसान दोनों को लाभ होता है।”
प्रशिक्षण के दौरान किसानों को बताया जाएगा कि जैविक विधि अपनाने से मिट्टी की संरचना सुधरती है, भू-जल प्रदूषण कम होता है और उत्पादन की गुणवत्ता बढ़ती है। साथ ही, जैविक सब्जियों का बाजार मूल्य सामान्य सब्जियों की तुलना में अधिक होता है, जिससे किसानों की आमदनी में वृद्धि होती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि “जैविक खेती में देशी खाद, गोबर, वर्मी कम्पोस्ट, नीम खली और जैविक कीटनाशकों का उपयोग कर खेती की लागत को कम किया जा सकता है।” इस तरह की खेती न केवल पर्यावरण संरक्षण में सहायक है, बल्कि मानव स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है।
प्रशिक्षण के लिए चयनित किसानों में काफी उत्साह देखा गया। रवाना होने से पहले किसानों ने बताया कि उन्हें उम्मीद है कि इस प्रशिक्षण से वे नई तकनीकों को सीखकर अपने खेतों में सफलतापूर्वक लागू कर पाएंगे।
किसान नीरज कुमार, भोला केवट, सुरेन्द्र प्रसाद, सुबोध यादव, वासुदेव पासवान, पंकज कुमार, जगदीश सिंह आदि ने कहा कि इस पहल से उन्हें “जैविक खेती” के व्यावहारिक पहलुओं की जानकारी मिलेगी, जिससे वे अपनी उपज की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों को बेहतर बना सकेंगे।
प्रखंड कृषि पदाधिकारी निकिता कौशल ने प्रशिक्षण से पूर्व किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि “जैविक सब्जी उत्पादन भविष्य की आवश्यकता है। यह न केवल लाभदायक है बल्कि पर्यावरणीय दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।” उन्होंने किसानों को प्रेरित किया कि वे प्रशिक्षण से जो भी ज्ञान प्राप्त करें, उसे अपने गाँव और समुदाय में फैलाएँ, ताकि अधिक से अधिक लोग इस आंदोलन से जुड़ सकें।
विशेषज्ञों ने बताया कि रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का अत्यधिक उपयोग मिट्टी की उर्वरा शक्ति को क्षीण कर रहा है। ऐसे में जैविक विधि न केवल कृषि की स्थिरता सुनिश्चित करती है, बल्कि प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण में भी अहम भूमिका निभाती है।
इस अवसर पर अधिकारियों ने किसानों से अपील की कि वे इस प्रशिक्षण को केवल औपचारिकता न समझें, बल्कि इसे एक सीखने और नवाचार की प्रक्रिया के रूप में अपनाएँ।
जहानाबाद से नालंदा रवाना हुआ यह किसानों का दल न केवल जैविक खेती की दिशा में एक सशक्त कदम है, बल्कि यह आत्मा योजना की सफलता और किसान सशक्तिकरण का प्रतीक भी है। प्रशिक्षण से लौटने के बाद ये किसान अपने अनुभव और ज्ञान को जिले के अन्य किसानों तक पहुँचाएँगे, जिससे जैविक खेती का दायरा और प्रभाव क्षेत्र दोनों का विस्तार होगा।