




महिला वर्ल्ड कप में भारतीय महिला क्रिकेट टीम का सफर इस बार उम्मीदों के मुताबिक नहीं जा सका। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले गए अहम मुकाबले में भारत को हार का सामना करना पड़ा। मैच का नतीजा भले ही स्कोरबोर्ड पर साफ दिखा, लेकिन इस हार की असली वजह भारत की बल्लेबाजी के दौरान आई वह विनाशकारी गिरावट थी, जिसने पूरे मैच का रुख बदल दिया। 36 रन के भीतर भारतीय टीम ने अपने 6 विकेट खो दिए और वहीं से मुकाबला पूरी तरह हाथ से निकल गया।
इस मैच में टॉस जीतकर भारत ने पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया था। पिच बल्लेबाजी के लिए अनुकूल लग रही थी और शुरुआत भी कुछ हद तक संभली हुई रही। सलामी बल्लेबाज स्मृति मंधाना ने शानदार टाइमिंग के साथ कुछ चौके लगाए, जबकि शेफाली वर्मा ने भी तेजी से रन जुटाने की कोशिश की। लेकिन जैसे ही भारत का पहला विकेट गिरा, ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों ने मैच की तस्वीर ही बदल दी।
पहले 15 ओवर तक सब कुछ सही लग रहा था
भारतीय टीम ने शुरुआती 15 ओवरों में 70 रन बना लिए थे और ऐसा लग रहा था कि टीम 250-260 के स्कोर तक पहुंच जाएगी। लेकिन तभी ऑस्ट्रेलिया की तेज गेंदबाज मेगन शूट और स्पिनर जेस जॉनसन ने मिलकर भारतीय बल्लेबाजी की कमर तोड़ दी।
पहले स्मृति मंधाना एक अंदर आती गेंद पर बोल्ड हुईं, फिर अगले ही ओवर में शेफाली वर्मा का शॉट सीधा फील्डर के हाथों में चला गया। कप्तान हरमनप्रीत कौर भी ज्यादा देर टिक नहीं पाईं और सिर्फ 7 रन बनाकर आउट हो गईं।
36 रन में 6 विकेट — मैच का टर्निंग पॉइंट
स्कोरबोर्ड 100 रन पर 2 विकेट दिखा रहा था, और कुछ ही मिनटों में यह 136 पर 8 विकेट हो गया। इस बीच भारत ने सिर्फ 36 रन के अंतराल में 6 विकेट गंवा दिए। यह वह पल था जिसने मैच को पूरी तरह ऑस्ट्रेलिया की झोली में डाल दिया।
ऑस्ट्रेलिया की गेंदबाजों ने लाइन और लेंथ में जबरदस्त अनुशासन दिखाया। उन्होंने भारतीय बल्लेबाजों पर लगातार दबाव बनाए रखा। किसी भी बल्लेबाज को आसानी से रन नहीं लेने दिया। नतीजा यह हुआ कि भारत की मध्यक्रम बल्लेबाजें — जेमिमा रॉड्रिग्स, रिचा घोष और दीप्ति शर्मा — भी बिना बड़ी साझेदारी किए आउट होती चली गईं।
टीम की पूरी बल्लेबाजी एक ढहते हुए ताश के पत्तों की तरह बिखर गई।
हरमनप्रीत कौर का बयान
मैच के बाद कप्तान हरमनप्रीत कौर ने भी माना कि टीम की हार की सबसे बड़ी वजह बल्लेबाजी का यह ढह जाना था। उन्होंने कहा,
“हमने अच्छी शुरुआत की थी, लेकिन मिडिल ओवर्स में हमने लगातार विकेट गंवा दिए। हमारी योजना थी कि आखिरी ओवरों में तेजी से रन बनाएंगे, लेकिन बीच के ओवर्स में विकेट गिरने से हम वापसी नहीं कर सके।”
हरमनप्रीत ने आगे कहा कि टीम को इस हार से सबक लेकर आगे आने वाले मैचों में मानसिक मजबूती दिखानी होगी।
ऑस्ट्रेलिया की शानदार गेंदबाजी
ऑस्ट्रेलिया की तरफ से मेगन शूट और एलिस पेरी ने शानदार गेंदबाजी की। शूट ने 8 ओवरों में सिर्फ 23 रन देकर 3 विकेट लिए, जबकि पेरी ने 2 विकेट अपने नाम किए। वहीं स्पिनर जेस जॉनसन ने भी भारतीय बल्लेबाजों को खूब परेशान किया और 3 महत्वपूर्ण विकेट झटके।
ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों की खासियत यह रही कि उन्होंने भारतीय बल्लेबाजों को किसी भी समय खुलकर खेलने का मौका नहीं दिया। फील्डिंग भी बेहतरीन रही और हर कैच को सुरक्षित हाथों में समेटा गया।
भारत की बल्लेबाजी रही औसत
भारतीय टीम की पूरी पारी 44.2 ओवर में 182 रन पर सिमट गई। स्मृति मंधाना ने सर्वाधिक 42 रन बनाए, जबकि जेमिमा रॉड्रिग्स ने 27 रन का योगदान दिया। इनके अलावा कोई भी बल्लेबाज 30 रन के पार नहीं जा सका।
ऐसे कम स्कोर का बचाव करना आसान नहीं था, खासकर ऑस्ट्रेलिया जैसी मजबूत टीम के खिलाफ।
ऑस्ट्रेलिया की जीत आसान रही
लक्ष्य का पीछा करते हुए ऑस्ट्रेलिया की शुरुआत भी थोड़ी धीमी रही, लेकिन एलिसा हीली और बेथ मूनी ने शानदार साझेदारी की। दोनों ने 90 रन की साझेदारी कर भारत की उम्मीदों को खत्म कर दिया।
हालांकि भारत की स्पिन गेंदबाज दीप्ति शर्मा और पूनम यादव ने बीच में कुछ मौके बनाए, लेकिन स्कोर बहुत कम होने के कारण ऑस्ट्रेलिया पर दबाव नहीं बन सका।
ऑस्ट्रेलिया ने यह मुकाबला 6 विकेट से जीत लिया और सेमीफाइनल की ओर एक और कदम बढ़ा लिया।
भारतीय टीम के लिए सबक
इस हार से भारतीय टीम को यह सबक मिला है कि बड़े टूर्नामेंट में सिर्फ अच्छी शुरुआत काफी नहीं होती, मिडिल ऑर्डर की स्थिरता और साझेदारी भी उतनी ही जरूरी है।
भारत के लिए यह जरूरी है कि अगली बार जब टीम उतरे, तो बल्लेबाजी में धैर्य और समझदारी दिखाए। गेंदबाजी तो अच्छी रही, लेकिन कम स्कोर ने उनका सारा प्रयास बेकार कर दिया।