




भारत में सोने की चमक 14 अक्टूबर 2025 को एक बार फिर नई ऊंचाइयों पर पहुंच गई। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतों ने रिकॉर्ड तोड़ते हुए 4,060 डॉलर प्रति औंस का स्तर छुआ, जबकि भारत के मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर सोने का भाव ₹1,26,299 प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गया। इस तेज़ी ने निवेशकों और विश्लेषकों का ध्यान एक बार फिर बुलियन मार्केट की ओर खींच लिया है।
वैश्विक बाजार में बढ़त के पीछे के कारण
वैश्विक स्तर पर सोने की कीमतों में उछाल का प्रमुख कारण अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें हैं। आर्थिक संकेतों में सुस्ती, डॉलर की कमजोरी और अंतरराष्ट्रीय तनावों ने निवेशकों को सुरक्षित निवेश की ओर मोड़ा है। विशेषज्ञों के अनुसार, अमेरिका में आने वाले आर्थिक डेटा और मध्य-पूर्व में भू-राजनीतिक अस्थिरता ने गोल्ड की मांग को मजबूती दी है।
कई देशों के सेंट्रल बैंक, खासतौर पर चीन, रूस और भारत, अपने विदेशी मुद्रा भंडार में सोना लगातार जोड़ रहे हैं। इसका सीधा असर कीमतों पर पड़ा है। डॉलर में कमजोरी के कारण सोना अन्य मुद्राओं में सस्ता हो गया, जिससे विदेशी निवेशकों की खरीदारी बढ़ी।
भारतीय बाजार में रिकॉर्ड स्तर
भारत में त्योहारी सीजन की शुरुआत के साथ ही सोने की भौतिक मांग में तेजी देखी जा रही है। दशहरा और दीवाली जैसे त्योहारों के नजदीक आने से ज्वेलरी की बिक्री बढ़ी है। इसके अलावा, घरेलू निवेशकों ने गोल्ड ईटीएफ (Gold ETFs) में भी दिलचस्पी दिखाई है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, सितंबर 2025 में भारत के गोल्ड ईटीएफ में लगभग ₹10,000 करोड़ का शुद्ध प्रवाह दर्ज किया गया, जो अब तक का सबसे बड़ा निवेश माना जा रहा है। इससे यह संकेत मिलता है कि निवेशक दीर्घकालिक सुरक्षा के लिए सोने पर भरोसा जता रहे हैं।
तकनीकी विश्लेषण: आगे का रास्ता
तकनीकी विशेषज्ञों का मानना है कि MCX गोल्ड में ₹1,25,000 का स्तर एक मजबूत सपोर्ट जोन है। यदि कीमतें इस स्तर से नीचे नहीं फिसलतीं, तो ₹1,28,000 से ₹1,30,000 तक का अगला लक्ष्य संभव है। वहीं, अंतरराष्ट्रीय बाजार में $4,100 का स्तर मनोवैज्ञानिक बाधा बन सकता है।
कुछ विश्लेषकों का कहना है कि हालिया तेजी के बाद बाजार में हल्का सुधार (correction) भी देखने को मिल सकता है। इसलिए नए निवेशकों के लिए “डिप पर खरीदारी” (Buy on dips) की रणनीति उपयुक्त रहेगी।
निवेशकों के लिए रणनीति
लंबे समय से सोना भारतीय निवेश संस्कृति का हिस्सा रहा है, लेकिन अब यह केवल आभूषण तक सीमित नहीं है। गोल्ड बॉन्ड, ईटीएफ और डिजिटल गोल्ड जैसे विकल्पों ने निवेशकों को बेहतर अवसर दिए हैं।
वर्तमान परिस्थितियों में विशेषज्ञ सलाह दे रहे हैं कि कुल निवेश पोर्टफोलियो का 10-15% हिस्सा सोने में रखा जा सकता है। यह मुद्रास्फीति, आर्थिक अनिश्चितता और मुद्रा उतार-चढ़ाव से सुरक्षा प्रदान करता है।
हालांकि, अल्पकालिक निवेशकों को सावधानी बरतने की जरूरत है। यदि डॉलर में अचानक मजबूती आती है या फेड दरों में कटौती में देरी होती है, तो कीमतों पर दबाव बन सकता है।
चांदी भी नहीं पीछे
सोने के साथ-साथ चांदी ने भी 14 अक्टूबर को नया कीर्तिमान बनाया। MCX पर चांदी ₹1,54,000 प्रति किलोग्राम के स्तर तक पहुंची। यह बढ़ोतरी औद्योगिक मांग और हरित ऊर्जा प्रोजेक्ट्स में सिल्वर की बढ़ती खपत के कारण हुई है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि आने वाले महीनों में चांदी सोने से बेहतर रिटर्न दे सकती है।
फेडरल रिजर्व और आर्थिक डेटा पर निगाहें
अगले कुछ हफ्तों में अमेरिकी मुद्रास्फीति के आंकड़े और फेडरल रिजर्व की अगली बैठक के नतीजे पर बाजार की दिशा निर्भर करेगी। यदि फेड दरों में नरमी दिखाता है, तो सोने की कीमतें और ऊपर जा सकती हैं। इसके विपरीत, यदि मौद्रिक नीति सख्त रहती है, तो बुलियन बाजार में अस्थिरता देखने को मिल सकती है।
भारत में भी रुपया और तेल की कीमतों का असर गोल्ड पर स्पष्ट रहेगा। रुपया कमजोर होने से सोने का आयात महंगा होता है, जिससे घरेलू बाजार में कीमतें बढ़ जाती हैं।
14 अक्टूबर 2025 का दिन सोने के इतिहास में महत्वपूर्ण साबित हुआ है। ₹1,26,000 प्रति 10 ग्राम का स्तर न केवल निवेशकों के आत्मविश्वास को दर्शाता है, बल्कि वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों की झलक भी देता है।
आने वाले समय में सोना स्थिर लाभ का स्रोत बना रह सकता है, लेकिन निवेशकों को सतर्क रहकर रणनीतिक निर्णय लेने चाहिए। सोने में निवेश अब केवल परंपरा नहीं, बल्कि समझदारी भरा आर्थिक कदम बन चुका है।