




हरियाणा सरकार ने एक बड़ा प्रशासनिक कदम उठाते हुए राज्य के पुलिस महानिदेशक (DGP) शत्रुजीत कपूर को छुट्टी पर भेज दिया है। यह फैसला IPS अधिकारी वाई. पूरन कुमार की संदिग्ध मौत और उसके बाद उठे विवाद के चलते लिया गया है। कपूर की अनुपस्थिति में ओम प्रकाश सिंह को पुलिस प्रमुख का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है।
सरकार के इस फैसले की पुष्टि करते हुए मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार राजीव जैतली ने कहा,
“DGP को छुट्टी पर भेज दिया गया है। इस संबंध में औपचारिक आदेश जल्द ही जारी होगा।”
52 वर्षीय वाई. पूरन कुमार, 2001 बैच के IPS अधिकारी, 7 अक्टूबर को चंडीगढ़ स्थित अपने आवास में मृत पाए गए। उनकी मौत कथित रूप से आत्महत्या थी और मौके से 9 पन्नों का सुसाइड नोट बरामद हुआ, जिसमें उन्होंने कई वरिष्ठ अधिकारियों पर मानसिक उत्पीड़न, जातिगत भेदभाव और प्रशासनिक अपमान के गंभीर आरोप लगाए।
उनके सुसाइड नोट में DGP शत्रुजीत कपूर, रोहतक के एसपी नरेंद्र बिजारनिया, और कुछ अन्य वरिष्ठ अधिकारियों का नाम स्पष्ट रूप से दर्ज था।
वाई. पूरन कुमार की मौत के बाद, राजनीतिक गलियारों और सामाजिक संगठनों में आक्रोश फैल गया। कांग्रेस, BSP, और दलित अधिकार संगठनों ने तुरंत कार्रवाई की मांग की।
कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा:
“यह केवल आत्महत्या नहीं है, यह संस्थागत हत्या है। सरकार को DGP और अन्य अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज करनी चाहिए।”
दलित संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि 10 दिनों में न्यायिक जांच शुरू नहीं हुई तो वे राज्यव्यापी आंदोलन करेंगे।
विपक्षी दबाव और जनता के गुस्से के बाद, हरियाणा सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए कि जांच निष्पक्ष और पारदर्शी रहे, DGP शत्रुजीत कपूर को छुट्टी पर भेज दिया। यह कदम जांच को प्रभावित न करने और प्रशासनिक निष्पक्षता बनाए रखने के उद्देश्य से उठाया गया है।
इसके साथ ही, ओम प्रकाश सिंह को DGP का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया, जिनकी प्रशासनिक छवि और अनुभव सकारात्मक माने जाते हैं।
सरकार ने इस मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) गठित किया है। जांच के मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं:
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सुसाइड नोट में दर्ज अधिकारियों के खिलाफ आरोपों की पुष्टि
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वाई. पूरन कुमार के कॉल रिकॉर्ड, ईमेल, डिजिटल कम्युनिकेशन की फॉरेंसिक जांच
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रोहतक एसपी और अन्य अधिकारियों के बयान
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मृतक अधिकारी की पत्नी और IAS अधिकारी अमनीत पी. कुमार के दावों की सत्यता
रोहतक के एसपी नरेंद्र बिजारनिया को भी पद से हटाकर प्रतीक्षा सूची में डाला गया है।
इस पूरे घटनाक्रम ने सोशल मीडिया पर भारी प्रतिक्रिया पैदा की है। Twitter पर #JusticeForPuranKumar, #SuspendDGP, और #DalitLivesMatter जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं।
राज्य के युवा और सामाजिक कार्यकर्ता मांग कर रहे हैं कि सिर्फ DGP को हटाना ही नहीं, बल्कि दोषियों पर आपराधिक कार्रवाई भी की जाए।
जहां एक ओर सरकार ने प्रशासनिक बदलाव कर स्थिति को शांत करने की कोशिश की है, वहीं विपक्षी दलों ने इसे अपर्याप्त बताया है।
बीएसपी नेता सतपाल मेहरा ने कहा:
“केवल छुट्टी पर भेजना समाधान नहीं है। जब तक FIR नहीं होती, तब तक यह न्याय नहीं है।”
वाई. पूरन कुमार की मौत ने हरियाणा के पुलिस प्रशासन के भीतर छिपे भेदभाव, मानसिक उत्पीड़न और पद के दुरुपयोग जैसे मुद्दों को उजागर किया है। DGP को छुट्टी पर भेजना एक आवश्यक कदम है, लेकिन यह जवाबदेही की दिशा में पहला कदम मात्र है।