




जम्मू और कश्मीर में होने वाले आगामी राज्यसभा चुनाव के मद्देनजर सियासी हलचल तेज हो गई है। इस बार राज्य में बीजेपी के लिए एक अच्छी खबर यह है कि पीडीपी नेता सज्जाद लोन ने वोटिंग से दूरी बनाने का ऐलान किया है। सज्जाद लोन ने इस फैसले के पीछे राजनीतिक कारणों का हवाला देते हुए कहा कि नेशनल कांफ्रेंस ने कांग्रेस को चौथी सीट ‘सेफ’ देने से इनकार किया, और इसके लिए उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी का दखल रहा।
सज्जाद लोन का यह कदम राज्य में राजनीतिक समीकरणों को पूरी तरह बदल सकता है। राज्यसभा की चार सीटों में से तीन पर नेशनल कांफ्रेंस का पलड़ा भारी है। चौथी सीट को लेकर मुकाबला कड़ा होने के कारण लोन की यह रणनीति बीजेपी के पक्ष में लाभकारी साबित हो सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पार्टी का मकसद राज्य में लोकतंत्र को सुदृढ़ करना है और इसके लिए सटीक समय पर कदम उठाना जरूरी था।
नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष उमर अब्दुल्ला और पार्टी के अन्य नेता राज्यसभा चुनाव के लिए तैयारी में जुटे हैं। उमर अब्दुल्ला पर यह आरोप भी लगाया जा रहा है कि उन्होंने कांग्रेस को चौथी सीट देने में बीजेपी की मदद की। सियासी जानकारों का कहना है कि यह आरोप राज्य में चुनावी रणनीति और गठबंधन की राजनीति को दर्शाता है।
सज्जाद लोन ने अपने बयान में स्पष्ट किया कि वह किसी भी दबाव में नहीं आएंगे और केवल राजनीतिक निष्पक्षता के आधार पर निर्णय लेंगे। उन्होंने कहा कि राज्यसभा चुनाव में लोकतांत्रिक प्रक्रिया का सम्मान किया जाना चाहिए और किसी भी सियासी दल का दबाव इसे प्रभावित नहीं कर सकता।
राज्य में चार सीटों के लिए मुकाबला इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि तीन सीटों पर नेशनल कांफ्रेंस का मजबूत दबदबा है। चौथी सीट के लिए राजनीतिक गठबंधन और दलों की रणनीति राज्य के चुनावी समीकरण को पूरी तरह प्रभावित करेगी। इस बार की परिस्थितियों में सज्जाद लोन की वोटिंग से दूरी ने बीजेपी के लिए चुनावी रास्ता आसान कर दिया है।
सज्जाद लोन के इस कदम के बाद राज्य में राजनीतिक विश्लेषक और मीडिया लगातार इस मुद्दे पर नजर रखे हुए हैं। उनका मानना है कि लोन की रणनीति बीजेपी को चौथी सीट जीतने में मदद कर सकती है। इसके साथ ही, यह फैसला कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस के बीच रणनीतिक समीकरणों को भी चुनौती देता है।
वहीं, नेशनल कांफ्रेंस ने इस आरोप पर फिलहाल कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। लेकिन पार्टी सूत्रों का कहना है कि राज्य में चुनावी रणनीति और सीट बंटवारे के निर्णय नेशनल कांफ्रेंस की आंतरिक राजनीति का हिस्सा हैं। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि राज्यसभा चुनाव में गठबंधन और दलों की आपसी रणनीति का असर अंतिम परिणाम पर बड़ा होगा।
राज्यसभा चुनाव के नजदीक आते ही जम्मू-कश्मीर में सियासी गतिविधियां तेज हो गई हैं। सज्जाद लोन का फैसला और उमर अब्दुल्ला पर लगे आरोप राज्य में राजनीतिक हलचल को और बढ़ा रहे हैं। बीजेपी के लिए यह अवसर इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि चौथी सीट जीतकर पार्टी राज्य में अपनी राजनीतिक पकड़ मजबूत कर सकती है।
राजनीतिक जानकार यह भी मानते हैं कि सज्जाद लोन की यह चाल केवल वोटिंग से दूरी तक सीमित नहीं है। यह कदम उनके और बीजेपी के बीच अप्रत्यक्ष सहमति और गठबंधन की संभावनाओं को भी दर्शाता है। राज्य में चुनावी समीकरण ऐसे समय में बदल रहे हैं, जब हर वोट और गठबंधन की भूमिका निर्णायक हो सकती है।