




छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले से एक भयावह और चिंताजनक खबर सामने आई है। माओवादी आतंकियों ने रविवार देर रात एक भाजपा कार्यकर्ता की हत्या कर दी, जिस पर उन्हें पुलिस का मुखबिर होने का संदेह था। अधिकारियों ने मंगलवार (14 अक्टूबर 2025) को इस बात की पुष्टि की।
मृतक भाजपा कार्यकर्ता का नाम अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है, लेकिन स्थानीय सूत्रों के अनुसार वह पिछले कई वर्षों से भाजपा से जुड़ा हुआ था और क्षेत्र में सक्रिय था। माओवादीयों ने उसे पकड़कर गला घोंटकर मौत के घाट उतार दिया।
सूत्रों के मुताबिक, माओवादीयों ने पहले भाजपा कार्यकर्ता को निगरानी में रखा था और उन्हें शक था कि वह पुलिस को महत्वपूर्ण जानकारी देता है। इसी संदेह के चलते, उन्होंने उसे पकड़ लिया और गुपचुप तरीके से हत्या कर दी।
स्थानीय पुलिस के अनुसार, मृतक की हत्या माओवादीयों की ओर से सख्त संदेश के तौर पर भी देखी जा रही है, जिससे इलाके में उनके खिलाफ काम करने वालों को डरा-धमकाकर चुप कराने की कोशिश की जा रही है।
बीजापुर छत्तीसगढ़ के उन जिलों में से एक है, जहां माओवादी गतिविधियां सबसे ज्यादा सक्रिय हैं। यह क्षेत्र वर्षों से माओवादी हिंसा की आग में झुलस रहा है, जहां नियमित रूप से राजनीतिक कार्यकर्ताओं, सुरक्षा बलों, और आम नागरिकों को निशाना बनाया जाता है।
माओवादी आतंकवादी अक्सर ग्रामीण इलाकों में अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए ऐसे भयपूर्ण कदम उठाते हैं। इस तरह की घटनाएं इलाके के सामाजिक और आर्थिक विकास में बाधा डालती हैं और आम लोगों की जिंदगी को असुरक्षित बनाती हैं।
मृत्यु की सूचना मिलने के बाद पुलिस और सुरक्षा बल घटनास्थल पर पहुंचे और इलाके की घेराबंदी कर माओवादी आतंकियों की तलाश शुरू कर दी है। बीजापुर पुलिस अधीक्षक ने कहा,
“हम इस घटना को बेहद गंभीरता से ले रहे हैं और दोषियों को जल्द से जल्द पकड़ने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं।”
सरकार ने मृतक के परिवार को उचित मुआवजा देने और उनकी सुरक्षा का आश्वासन भी दिया है। साथ ही इलाके में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने इस हत्या की कड़ी निंदा की है और माओवादी हिंसा के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। राज्य भाजपा अध्यक्ष ने कहा,
“यह हमला न केवल हमारे कार्यकर्ता के प्रति है, बल्कि लोकतंत्र और विकास के प्रति भी है। हम मांग करते हैं कि माओवादी हिंसा को तुरंत रोका जाए।”
कई विपक्षी दलों ने भी इस घटना पर चिंता जताई और माओवादी समस्या के स्थायी समाधान के लिए केंद्र और राज्य सरकार से मिलकर काम करने की अपील की है।
बीजापुर के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों में इस घटना के बाद डर और असुरक्षा की भावना बढ़ गई है। कई लोगों ने कहा कि माओवादी आतंक की वजह से वे अपने घरों में भी सुरक्षित महसूस नहीं कर पा रहे हैं।
एक स्थानीय निवासी ने कहा,
“हम लगातार माओवादी हिंसा और खतरों के बीच जी रहे हैं। हमें उम्मीद है कि सरकार और सुरक्षा एजेंसियां हमारी सुरक्षा सुनिश्चित करेंगी।”
माओवादी समस्या छत्तीसगढ़ और उससे जुड़े अन्य राज्यों के लिए एक पुरानी चुनौती है। पिछले कई वर्षों में सरकार ने विकास योजनाएं लागू की हैं, सुरक्षा बलों को सशक्त किया है और साथ ही माओवादियों को वापस मुख्यधारा में लाने के लिए पुनर्वास योजनाएं भी शुरू की हैं।
फिर भी, हिंसा और संघर्ष जारी है। विशेषज्ञ मानते हैं कि इस समस्या का स्थायी समाधान सिर्फ कड़ी सुरक्षा कार्रवाई से नहीं, बल्कि सामाजिक विकास, शिक्षा, आर्थिक सशक्तिकरण और स्थानीय समुदायों की भागीदारी से संभव है।
बीजापुर में माओवादीयों द्वारा भाजपा कार्यकर्ता की हत्या ने छत्तीसगढ़ के माओवादी समस्या की जटिलता और गंभीरता को पुनः उजागर कर दिया है। यह घटना राज्य सरकार और केंद्र सरकार दोनों के लिए एक चुनौती प्रस्तुत करती है कि वे इस हिंसा को रोकने और क्षेत्र में स्थायी शांति स्थापित करने के लिए ठोस कदम उठाएं।