




मीरा भायंदर में अवैध कबूतरबाजी को लेकर हाल ही में एक गंभीर विवाद सामने आया है। मीरा रोड के एक इलाके में एक अनाज विक्रेता ने अवैध कबूतरबाज़ी के दौरान एक शख्स को पीट दिया, जिससे इलाके में हड़कंप मच गया। यह घटना ऐसे समय में हुई है जब बॉम्बे हाईकोर्ट पहले ही अवैध कबूतरबाजी पर रोक लगाने और लोगों के स्वास्थ्य के हित में कार्रवाई करने के आदेश दे चुका है।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया था कि कबूतरबाज़ी से न केवल शहरी स्वच्छता प्रभावित होती है, बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर खतरा उत्पन्न करती है। अदालत ने नगर निगम और संबंधित प्रशासनिक अधिकारियों को निर्देश दिया था कि वे तुरंत कानूनी कार्रवाई करें और अवैध कबूतरबाज़ी को रोकें। इसके बावजूद मीरा भायंदर नगर निगम की ओर से इस मामले में पर्याप्त कदम नहीं उठाए गए।
घटना के समय स्थानीय लोग और दुकान मालिक काफी परेशान नजर आए। अनाज विक्रेता ने आरोप लगाया कि कबूतरबाज़ी के दौरान पंक्षियों की फेकिंग और बेमेल गतिविधियों के कारण उसकी दुकान और आसपास के इलाके में व्यवसाय प्रभावित हो रहा है। इसी के चलते उसने उस व्यक्ति को हाथों से पीट दिया। घटना के बाद इलाके में तनाव फैल गया और पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि मीरा रोड और आसपास के इलाके में अवैध कबूतरबाज़ी वर्षों से एक समस्या बन चुकी है। कबूतरबाज़ी के कारण गंदगी फैलती है, कचरा और अनियमित मल-जल निकासी से स्वास्थ्य संबंधी खतरे बढ़ते हैं। इसके अलावा, कबूतरों की शोरगुल और उड़ान से शांति भंग होती है। बावजूद इसके नगर निगम की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, जिससे स्थानीय लोग काफी नाराज हैं।
मामले की गंभीरता को देखते हुए स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने दोनों पक्षों को समझाया और शांतिपूर्वक विवाद को समाप्त करने का प्रयास किया। हालांकि, यह घटना यह सवाल भी उठाती है कि क्या नगर निगम और प्रशासनिक विभाग हाईकोर्ट के आदेशों का पालन करने में सक्षम हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि अवैध कबूतरबाज़ी जैसी गतिविधियां शहरी स्वास्थ्य के लिए खतरा हैं। कबूतरों से होने वाली गंदगी, संक्रमण और रोग फैलाने की संभावना बढ़ती है। इसके अलावा, यह गतिविधि अक्सर गैरकानूनी तरीके से चलती है, जिससे स्थानीय लोगों और व्यवसायियों को समस्याएं उठानी पड़ती हैं। बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस कारण से कार्रवाई का निर्देश दिया था, लेकिन लागू करने में देरी और प्रशासनिक उदासीनता इस विवाद को और बढ़ा रही है।
मीरा भायंदर नगर निगम ने अब तक इस घटना पर आधिकारिक बयान नहीं दिया है। नागरिक और मीडिया संगठन लगातार पूछ रहे हैं कि कब तक हाईकोर्ट के आदेशों पर अमल किया जाएगा और कब तक अवैध कबूतरबाज़ी पर रोक लगेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि नगर निगम और पुलिस को मिलकर इलाके में नियमित निगरानी और अवैध गतिविधियों पर तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।
हालांकि, स्थानीय दुकानदारों का कहना है कि कबूतरबाज़ी ने उनके व्यापार को प्रतिकूल प्रभावित किया है। अनाज विक्रेता द्वारा की गई पिटाई से यह समस्या और स्पष्ट हो गई कि अवैध कबूतरबाज़ी के कारण स्थानीय स्तर पर तनाव और हिंसा की घटनाएं भी बढ़ रही हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह पहला मामला नहीं है जब मीरा भायंदर में अवैध कबूतरबाज़ी को लेकर विवाद सामने आया हो। इससे पहले भी हाईकोर्ट और नागरिक संगठन कई बार नगर निगम को चेतावनी दे चुके हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर सख्त कानूनी कार्रवाई और निगरानी नहीं हुई तो ऐसे विवाद समय-समय पर उत्पन्न होते रहेंगे।
कुल मिलाकर, मीरा रोड की यह घटना न केवल अवैध कबूतरबाज़ी के खिलाफ उच्च न्यायालय के आदेश की अनदेखी को उजागर करती है, बल्कि यह स्थानीय प्रशासन की जिम्मेदारी और जवाबदेही पर भी सवाल खड़ा करती है। नगर निगम और पुलिस प्रशासन को इस समस्या का समाधान करने और हाईकोर्ट के आदेश का पालन करने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
इस विवाद ने यह भी स्पष्ट किया कि अवैध गतिविधियों के कारण स्थानीय नागरिकों और व्यवसायियों में असुरक्षा और नाराजगी बढ़ रही है। प्रशासन और नगर निगम की निष्क्रियता भविष्य में ऐसे घटनाओं को बढ़ावा दे सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर हाईकोर्ट के निर्देशों के अनुसार तुरंत कदम उठाए गए, तो मीरा भायंदर में शांति और नियम-कानून की स्थिति कायम हो सकती है।