




ओडिशा के युवा उद्यमी सौरभ खंडेलवाल ने अपनी साधारण लेकिन प्रेरणादायक कहानी से यह साबित कर दिया कि साहस, सही विचार और लगन किसी भी व्यक्ति को सफलता की ऊँचाइयों तक ले जा सकते हैं। 2019 में होटल मैनेजमेंट से ग्रेजुएट होने के बाद सौरभ के पास एक प्रतिष्ठित कॉर्पोरेट नौकरी का अवसर था, जिसमें ₹35 लाख सालाना पैकेज प्रस्तावित था। लेकिन उन्होंने यह अवसर छोड़कर अपने सपनों की दिशा में कदम बढ़ाया और एक ऐसा बिजनेस मॉडल तैयार किया, जिसने उन्हें अब ₹1.8 करोड़ का टर्नओवर दिया है।
सौरभ ने कॉर्पोरेट नौकरी की सुरक्षित राह छोड़कर ‘दहीबड़ा एक्सप्रेस’ नामक ब्रांड की नींव रखी। यह ब्रांड मूल रूप से भारत की पारंपरिक दही-बड़ा और आलू दम जैसी लोकप्रिय और घर-घर बनने वाली डिश को आधुनिक और ब्रांडेड तरीके से पेश करता है। सौरभ का मानना है कि भारतीय खाने की सरलता और स्वाद में अनोखी खासियत है, जिसे यदि सही तरीके से प्रस्तुत किया जाए तो यह बड़े व्यवसाय में बदल सकती है।
ब्रांड की शुरुआत एक छोटे से स्टॉल से हुई। सौरभ ने शुरुआत में केवल स्थानीय ग्राहकों को ध्यान में रखते हुए उत्पाद की गुणवत्ता और स्वाद पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि उनकी रणनीति हमेशा यह रही कि ग्राहक को ताजगी और पारंपरिक स्वाद का अनुभव मिले, जिससे वे बार-बार लौटकर आएं। धीरे-धीरे उनकी डिश की लोकप्रियता शहर के कई हिस्सों में फैल गई।
सौरभ खंडेलवाल ने अपने बिजनेस मॉडल में ऑनलाइन ऑर्डर और होम डिलीवरी की सुविधा जोड़कर ग्राहकों की सुविधा और मांग को ध्यान में रखा। इससे युवा और ऑफिस कर्मचारियों के बीच उनका ब्रांड तेजी से लोकप्रिय हुआ। इस रणनीति ने ‘दहीबड़ा एक्सप्रेस’ को केवल एक स्ट्रीट फूड आइटम से बढ़ाकर एक ब्रांडेड और भरोसेमंद फूड चेन बना दिया।
ब्रांड के सफलता की कहानी में सौरभ की लगन, मेहनत और ग्राहक की जरूरत को समझने की क्षमता का बड़ा योगदान है। उन्होंने बताया कि शुरुआत में कई बार चुनौतियाँ आईं, जैसे निवेश की कमी, उच्च गुणवत्ता वाली सामग्री की उपलब्धता और मार्केटिंग की समस्याएँ। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और छोटे-छोटे सुधार और नवाचार करके इन्हें पार किया।
आज ‘दहीबड़ा एक्सप्रेस’ का ₹1.8 करोड़ का सालाना टर्नओवर दर्शाता है कि पारंपरिक भारतीय व्यंजनों में भी सही रणनीति और ब्रांडिंग से अत्यधिक व्यवसायिक सफलता हासिल की जा सकती है। सौरभ का मानना है कि हर छोटा कदम बड़े सपनों की ओर ले जाता है, और किसी भी व्यावसायिक निर्णय में जोखिम लेना और नवाचार करना आवश्यक है।
सौरभ ने अपने ब्रांड में स्वच्छता, स्वाद और समय पर डिलीवरी को प्राथमिकता दी है। उनके स्टॉल और आउटलेट्स में ग्राहकों को ताजगी और पारंपरिक स्वाद का अनुभव मिलता है। उन्होंने सोशल मीडिया का उपयोग कर ब्रांड की पहचान को और मजबूत किया। इंस्टाग्राम और फेसबुक पर ‘दहीबड़ा एक्सप्रेस’ के पोस्ट और वीडियो तेजी से वायरल हो रहे हैं, जिससे युवा वर्ग में इसकी लोकप्रियता और बढ़ गई है।
उनकी कहानी इस बात का प्रमाण है कि साधारण चीज़ को सही दिशा और दृष्टिकोण से पेश करना उसे ब्रांड और व्यवसाय में बदल सकता है। सौरभ का कहना है कि भारत में पारंपरिक फूड आइटम्स में अपार संभावनाएँ हैं, बस सही रणनीति, गुणवत्ता और मार्केटिंग की जरूरत है।
सौरभ की सफलता न केवल ओडिशा बल्कि पूरे भारत के युवा उद्यमियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। यह दिखाता है कि सपने देखना और उनके लिए जोखिम उठाना ही सफलता की कुंजी है। उनके अनुसार, युवा वर्ग को चाहिए कि वे अपने जुनून और हुनर को पहचानें और उसमें निवेश करें।
अंततः, सौरभ खंडेलवाल की कहानी साबित करती है कि व्यवसाय में सफलता के लिए बड़ा पैकेज या बड़े अवसर का इंतजार करना जरूरी नहीं है। यदि आपके पास सही दृष्टिकोण, मेहनत और नवाचार की भावना है, तो कोई भी साधारण आइटम भी ब्रांड और करोड़ों के टर्नओवर में बदल सकता है। ‘दहीबड़ा एक्सप्रेस’ का उदाहरण यही सिद्ध करता है।
सौरभ खंडेलवाल आज सिर्फ एक सफल उद्यमी नहीं हैं, बल्कि उन युवा लोगों के लिए मिसाल हैं जो कॉर्पोरेट नौकरी छोड़कर अपने सपनों को जीना चाहते हैं। उनकी कहानी हर उस व्यक्ति को प्रेरित करती है जो पारंपरिक और साधारण चीज़ों में भी संभावनाओं को पहचानकर व्यवसायिक सफलता हासिल करना चाहता है।