




सुप्रीम कोर्ट आज (मंगलवार) सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की पत्नी डॉ. गितांजलि अंगमो की याचिका पर सुनवाई करेगा। यह याचिका वांगचुक की नेशनल सिक्योरिटी एक्ट, 1980 (NSA) के तहत गिरफ्तारी को चुनौती देती है।
गितांजलि अंगमो ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि उनके पति की गिरफ्तारी के पीछे के कारण और उनकी सुरक्षा को लेकर स्पष्ट जानकारी कोर्ट के सामने लाई जाए।
6 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को मौखिक रूप से निर्देश दिया था कि वे सोनम वांगचुक की रक्षक पत्नी गितांजलि अंगमो को उनके पति की रुकावट की वजह बताने पर विचार करें। इस दौरान केंद्र सरकार ने उनकी याचिका को “भावनात्मक माहौल बनाने की चाल” बताते हुए खारिज करने की कोशिश की।
सोनम वांगचुक को NSA के तहत 26 सितंबर को राजस्थान के जोधपुर में हिरासत में लिया गया था, जो सितंबर 24 को लेह में हुए हिंसक प्रदर्शन के बाद हुई थी।
गितांजलि ने कोर्ट को बताया कि 10 दिनों से वांगचुक के हिरासत में होने की कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है, न ही उनकी सेहत के बारे में कोई खबर मिल रही है।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति एन.वी. अंजरिया शामिल हैं, ने केंद्र और लद्दाख प्रशासन को नोटिस जारी किया। उन्होंने कहा, “कुछ किया गया है फिलहाल,” लेकिन मामले को आगे सुनवाई के लिए 14 अक्टूबर तक टाल दिया।
इस फैसले ने उम्मीद जगाई कि जल्द ही वांगचुक की हिरासत के कारणों और उनकी सुरक्षा की जानकारी स्पष्ट की जाएगी।
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याचिकाकर्ता गितांजलि अंगमो ने कहा है कि उनके पति को बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के हिरासत में लिया गया है, जो मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
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उन्हें हिरासत में लिए जाने के कारण, हिरासत स्थल, और उनके स्वास्थ्य की जानकारी भी नहीं दी गई।
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NSA के तहत गिरफ्तारी से सोनम वांगचुक के अधिकार प्रभावित हुए हैं और यह न्यायालय की निगरानी में होना चाहिए।
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कोर्ट से मांग की गई है कि हिरासत के कागजात दिखाए जाएं और उन्हें न्यायालय में पेश किया जाए।
सोनम वांगचुक एक सामाजिक कार्यकर्ता और पर्यावरणविद हैं, जिन्होंने कई वर्षों से लद्दाख क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण और शिक्षा के क्षेत्र में काम किया है। उन्होंने क्षेत्र के पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक तकनीक का मिश्रण कर विकास की दिशा में कदम बढ़ाए हैं।
उनकी गिरफ्तारी ने पूरे देश में हलचल मचा दी है, खासकर मानवाधिकार और नागरिक स्वतंत्रता के लिए काम करने वाले समूहों के बीच।
सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी को लेकर विभिन्न सामाजिक, राजनीतिक और मानवाधिकार संगठन आवाज उठा रहे हैं। उन्होंने सरकार से अपील की है कि बिना उचित प्रक्रिया के गिरफ्तारी न की जाए और वांगचुक की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
कई नेताओं और एक्टिविस्ट्स ने कहा है कि यह मामला न्यायिक निगरानी और पारदर्शिता का विषय है, और कोर्ट का यह फैसला पूरे देश के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा।
सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई में दोनों पक्षों के तर्क सुनने के बाद आगे की कार्रवाई करेगा। केंद्र सरकार और लद्दाख प्रशासन को आदेश दिया जा सकता है कि वे हिरासत के पूरे दस्तावेज और स्थिति की रिपोर्ट अदालत में जमा करें।
कोर्ट का यह फैसला केवल वांगचुक के मामले तक सीमित नहीं होगा, बल्कि इससे भविष्य में अन्य मामलों में भी मानवाधिकार और सुरक्षा के बीच संतुलन स्थापित करने में मदद मिलेगी।
सुप्रीम कोर्ट में सोनम वांगचुक की पत्नी गितांजलि अंगमो की याचिका पर आज की सुनवाई देश के न्यायिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकती है। इस मामले की निगरानी पूरी तरह से न्यायपालिका और नागरिकों की निगाहों के सामने है।