




भारत के महान वैज्ञानिक, दूरदर्शी नेता और देश के 11वें राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की जयंती पर आज पूरा देश उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर भावभीनी श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि डॉ. कलाम केवल एक वैज्ञानिक या राष्ट्रपति नहीं थे, बल्कि वे भारत के हर युवा के भीतर छिपे सपनों को जगाने वाले प्रेरणास्रोत थे। प्रधानमंत्री ने कहा, “डॉ. कलाम ने देशवासियों को बड़े सपने देखने और उन्हें साकार करने की दिशा में काम करने के लिए प्रेरित किया। उनका जीवन हर भारतीय के लिए आदर्श है।”
डॉ. कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में एक साधारण मुस्लिम परिवार में हुआ था। आर्थिक रूप से सीमित परिवार में जन्म लेने के बावजूद उन्होंने अपनी मेहनत, लगन और प्रतिभा के बल पर विज्ञान और तकनीक की दुनिया में ऐसा नाम कमाया, जो आज भी करोड़ों भारतीयों के दिलों में बसा है। डॉ. कलाम का जीवन यह सिखाता है कि अगर इच्छाशक्ति और समर्पण हो, तो कोई भी सपना असंभव नहीं।
वे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) में लंबे समय तक कार्यरत रहे। भारत के मिसाइल कार्यक्रम को नई दिशा देने में उनका योगदान अतुलनीय रहा। इसी कारण उन्हें “मिसाइल मैन ऑफ इंडिया” के नाम से जाना जाता है। पृथ्वी, अग्नि, आकाश, नाग और त्रिशूल जैसी मिसाइलों के सफल परीक्षणों ने न केवल भारत की रक्षा क्षमता को मजबूत किया, बल्कि विश्व पटल पर देश की वैज्ञानिक प्रगति का भी लोहा मनवाया।
डॉ. कलाम का विज़न केवल विज्ञान तक सीमित नहीं था। उन्होंने हमेशा कहा कि “राष्ट्र की प्रगति उसके युवाओं के सपनों और उनके संकल्पों से तय होती है।” वे शिक्षा को विकास का सबसे शक्तिशाली माध्यम मानते थे। उनके शब्दों में — “सपना वह नहीं जो आप नींद में देखते हैं, सपना वह है जो आपको सोने नहीं देता।” यह कथन आज भी हर युवा के दिल में जोश और उम्मीद का संचार करता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संदेश में कहा कि डॉ. कलाम की सबसे बड़ी विशेषता थी कि वे हर वर्ग के व्यक्ति से सहजता से जुड़ जाते थे। उन्होंने कहा कि जब कलाम साहब राष्ट्रपति भवन में थे, तब भी उनका मन बच्चों और छात्रों में रमा रहता था। वे लगातार युवाओं से संवाद करते रहते और उन्हें अपने सपनों के भारत के निर्माण में योगदान देने के लिए प्रेरित करते थे।
डॉ. कलाम का जीवन सादगी, ईमानदारी और आत्मनिर्भरता का प्रतीक था। उन्होंने कभी अपने पद या शक्ति का व्यक्तिगत लाभ नहीं लिया। राष्ट्रपति बनने के बाद भी वे सामान्य जीवन जीते रहे, और राष्ट्रपति पद से मुक्त होने के बाद शैक्षणिक संस्थानों में जाकर छात्रों से मिलना-जुलना उनका प्रिय कार्य रहा। उनका यह समर्पण उनके व्यक्तित्व की सबसे बड़ी पहचान है।
उनकी पुस्तक “विंग्स ऑफ फायर” (Wings of Fire) ने लाखों युवाओं को प्रेरित किया। यह पुस्तक न केवल उनकी जीवन यात्रा का प्रतिबिंब है, बल्कि यह दिखाती है कि एक साधारण परिवार से निकलकर भी कोई व्यक्ति राष्ट्र निर्माण का आधार बन सकता है। कलाम का सपना था कि 2020 तक भारत एक विकसित राष्ट्र बने। भले ही वह वर्ष गुजर चुका हो, पर उनके विचार और दृष्टि आज भी भारत की नीतियों और युवाओं की सोच में जीवित हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि डॉ. कलाम ने अपने कर्मों से साबित किया कि सच्ची देशभक्ति किसी पद या सत्ता से नहीं, बल्कि राष्ट्र के लिए किए गए कार्यों से होती है। उन्होंने विज्ञान को जन-सेवा से जोड़ा और इसे राष्ट्र-निर्माण का उपकरण बनाया।
आज जब देश उनकी जयंती मना रहा है, तो यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि हर भारतीय को अपने क्षेत्र में श्रेष्ठता प्राप्त करने और राष्ट्र को मजबूत बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत रहना चाहिए। डॉ. कलाम का जीवन हमें यह सिखाता है कि सपनों को हकीकत में बदलने के लिए केवल कल्पना नहीं, बल्कि कठिन परिश्रम, अनुशासन और आत्मविश्वास की आवश्यकता होती है।
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरी मानवता के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं। उनकी शिक्षाएं और विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने उनके जीवनकाल में थे। भारत आज भी उनके सपनों का भारत बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है — एक ऐसा भारत, जो आत्मनिर्भर, नवोन्मेषी और विश्व के लिए प्रेरणादायक बने।