




भारतीय वायुसेना अब अपनी हवाई शक्ति को अगले स्तर पर ले जाने की दिशा में बड़ा कदम उठाने जा रही है। देश की सुरक्षा को और मजबूत बनाने के उद्देश्य से वायुसेना ने लगभग 700 अस्त्र मार्क-2 (Astra MK-2) मिसाइलें खरीदने का फैसला किया है। यह सौदा भारत की स्वदेशी रक्षा परियोजनाओं के इतिहास में एक और मील का पत्थर साबित होगा। इन मिसाइलों को सुखोई-30MKI और लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA-Tejas) जैसे अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों में लगाया जाएगा।
‘अस्त्र मार्क-2’ मिसाइल को भारत की रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने विकसित किया है। इसकी रेंज 200 किलोमीटर से अधिक बताई जा रही है, जबकि इसके पहले संस्करण ‘अस्त्र मार्क-1’ की मारक क्षमता करीब 100 किलोमीटर तक सीमित थी। यह अपग्रेड भारत की हवाई युद्ध क्षमता को दोगुना कर देगा, जिससे दुश्मन के विमान को दूर से ही निशाना बनाया जा सकेगा।
रक्षा सूत्रों के अनुसार, यह परियोजना ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ाई जा रही है। मिसाइल का उत्पादन भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) और DRDO के सहयोग से किया जाएगा। यह सौदा वायुसेना के लिए न केवल एक रणनीतिक बल्कि तकनीकी दृष्टि से भी एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है।
‘अस्त्र मार्क-2’ मिसाइल को Beyond Visual Range Air-to-Air Missile (BVRAAM) की श्रेणी में रखा गया है। इसका मतलब है कि यह मिसाइल लक्ष्य को बिना देखे, रडार और सेंसर के माध्यम से 200 किलोमीटर से अधिक दूरी से ही नष्ट कर सकती है। यह प्रणाली अत्याधुनिक डुअल-पल्स रॉकेट मोटर, एडवांस्ड गाइडेंस सिस्टम और इलेक्ट्रॉनिक काउंटर-काउंटर मेजर (ECCM) तकनीक से लैस है, जो इसे जामिंग या इलेक्ट्रॉनिक हस्तक्षेप से बचाती है।
इन मिसाइलों का इस्तेमाल भारत के प्रमुख युद्धक विमानों — सुखोई-30MKI, तेजस LCA, और आगे चलकर मिराज-2000 — पर भी संभव होगा। इस प्रक्रिया के लिए मिसाइल और विमानों के बीच इलेक्ट्रॉनिक इंटीग्रेशन का काम शुरू हो चुका है। DRDO का दावा है कि आने वाले महीनों में इसका पूर्ण परीक्षण किया जाएगा।
रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक, इन मिसाइलों के शामिल होने से भारत की वायुसेना को बड़ी सामरिक बढ़त मिलेगी। अब भारतीय लड़ाकू विमान न केवल सीमा पर बल्कि दुश्मन के क्षेत्र के भीतर भी अपने लक्ष्य को दूर से भेद सकेंगे। यह पाकिस्तान और चीन जैसे देशों के लिए भी एक स्पष्ट संदेश होगा कि भारत की हवाई सीमाएं पहले से कहीं अधिक सुरक्षित और तैयार हैं।
‘अस्त्र मार्क-2’ के विकास का काम हैदराबाद स्थित DRDO लैब में चल रहा है। इसके प्रोटोटाइप का सफल परीक्षण पहले ही किया जा चुका है और आने वाले महीनों में इसे वायुसेना के वास्तविक अभियानों में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू होगी। इसके बाद DRDO ‘अस्त्र मार्क-3’ पर काम करेगा, जिसकी रेंज 350 किलोमीटर तक होने की संभावना जताई जा रही है।
रक्षा उद्योग के जानकारों का कहना है कि 700 मिसाइलों का यह सौदा भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ‘वायु शक्ति’ के रूप में और मजबूत बनाएगा। अब तक भारत फ्रांसीसी मेटेओर मिसाइल और रूसी R-77 जैसी विदेशी मिसाइलों पर निर्भर था, लेकिन अस्त्र श्रृंखला ने इस निर्भरता को कम करने का मार्ग प्रशस्त किया है।
भारत की सैन्य नीति में अब आत्मनिर्भरता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने ‘Atmanirbhar Bharat’ के तहत रक्षा निर्माण में निजी कंपनियों और स्टार्टअप्स की भागीदारी को भी प्रोत्साहित किया है। अस्त्र मार्क-2 जैसे स्वदेशी हथियार इस नीति की सफलता का प्रमाण हैं।