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    श्रीलंका की पीएम हरिनी अमरसूर्या अपनी पहली यात्रा पर दिल्ली पहुंचीं, भारत-श्रीलंका सहयोग को बढ़ावा देने की उम्मीद

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    श्रीलंका की नई प्रधानमंत्री डॉ. हरिनी अमरसूर्या ने गुरुवार को भारत की राजधानी नई दिल्ली में अपनी पहली औपचारिक यात्रा के लिए कदम रखा। यह दौरा उनके पदभार ग्रहण करने के बाद पहला अंतरराष्ट्रीय भ्रमण है और इसे भारत-श्रीलंका संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। भारत के विदेश मंत्रालय ने इस बात की पुष्टि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर की और लिखा कि श्रीलंका की प्रधानमंत्री डॉ. हरिनी अमरसूर्या अब नई दिल्ली पहुंच गई हैं।

    इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक और रणनीतिक संबंधों को और मजबूती प्रदान करना है। विशेषज्ञों के अनुसार, श्रीलंका और भारत के बीच आर्थिक, सुरक्षा और सांस्कृतिक सहयोग के कई क्षेत्र हैं जिनमें यह दौरा नए समझौतों और पहल का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।

    डॉ. अमरसूर्या का स्वागत भारतीय अधिकारियों द्वारा राजधानी में राजनयिक गरिमा के साथ किया गया। उनका कार्यक्रम कई उच्चस्तरीय बैठकों और औपचारिक समारोहों से भरा हुआ है। प्राथमिक दौर में वह भारत की प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री के साथ द्विपक्षीय बातचीत करेंगी, जिसमें दोनों देशों के बीच व्यापार, निवेश, समुद्री सुरक्षा और क्षेत्रीय सहयोग के मुद्दों पर चर्चा होगी।

    श्रीलंका की प्रधानमंत्री के आगमन पर विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत और श्रीलंका के बीच साझा इतिहास, संस्कृति और आर्थिक हितों को देखते हुए यह यात्रा विशेष महत्व रखती है। दोनों देश एशिया में स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए सहयोग को और गहरा करना चाहते हैं।

    इस दौरे के दौरान डॉ. अमरसूर्या भारत के आर्थिक केंद्रों और कुछ प्रमुख सरकारी संस्थानों का दौरा भी करेंगी। व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के लिए कई परियोजनाओं पर समझौते हो सकते हैं। विशेष रूप से ऊर्जा, परिवहन और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाने के प्रयास किए जाएंगे।

    सुरक्षा और रणनीतिक सहयोग भी इस यात्रा का एक महत्वपूर्ण पहलू है। भारतीय अधिकारियों और श्रीलंका की पीएम के बीच समुद्री सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी सहयोग पर चर्चा की संभावना जताई जा रही है। भारत और श्रीलंका लंबे समय से समुद्री मार्गों की सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता में सहयोग करते रहे हैं। डॉ. अमरसूर्या की यह यात्रा इन पहलुओं को और मजबूती देने का अवसर है।

    कूटनीतिक सूत्रों का कहना है कि यह दौरा दोनों देशों के बीच उच्चस्तरीय राजनीतिक संवाद को बढ़ावा देने के साथ ही द्विपक्षीय समझौतों और MoUs को अंतिम रूप देने का भी अवसर प्रदान करेगा। इसके अलावा, श्रीलंका के प्रधानमंत्री की यह यात्रा भारत में निवेशकों और उद्योगपतियों के लिए भी संदेश देती है कि श्रीलंका निवेश और व्यापार के लिए सुरक्षित और स्थिर गंतव्य है।

    डॉ. अमरसूर्या ने पदभार संभालने के बाद कई बार यह संकेत दिया था कि उनका प्रशासन भारत के साथ विशेष संबंधों को प्राथमिकता देगा। उनका मानना है कि दोनों देश ऐतिहासिक और रणनीतिक दृष्टि से जुड़े हैं और आर्थिक और सुरक्षा सहयोग के क्षेत्रों में और अधिक प्रगति की आवश्यकता है। इस यात्रा के दौरान उनके एजेंडे में शिक्षा, तकनीकी सहयोग, जलवायु परिवर्तन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान जैसे मुद्दे भी शामिल हैं।

    विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि श्रीलंका की प्रधानमंत्री का यह दौरा क्षेत्रीय राजनीति के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है। भारत-श्रीलंका संबंधों को मजबूत करना केवल द्विपक्षीय हितों के लिए ही नहीं बल्कि पूरे दक्षिण एशिया में स्थिरता और विकास के लिए आवश्यक है। इस दौरे से दोनों देशों के बीच आर्थिक साझेदारी, रणनीतिक संवाद और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को नई दिशा मिल सकती है।

    प्रधानमंत्री अमरसूर्या के कार्यक्रम में विभिन्न स्तरों पर बैठकें, मीडिया संवाद और औपचारिक स्वागत समारोह शामिल हैं। इसके अलावा वह सांस्कृतिक कार्यक्रमों और विश्वविद्यालयों का दौरा करके युवाओं और छात्रों के बीच भारत-श्रीलंका रिश्तों को बढ़ावा देंगी।

    इस यात्रा की प्रतीक्षा लंबे समय से की जा रही थी, क्योंकि डॉ. अमरसूर्या का कार्यकाल शुरू होते ही यह उनकी पहली विदेश यात्रा है। इस दौरे से न केवल कूटनीतिक संबंधों में मजबूती आएगी बल्कि व्यापार, निवेश, सुरक्षा और सांस्कृतिक सहयोग के क्षेत्र में नए समझौतों और पहलों को भी बल मिलेगा।

    कुल मिलाकर, श्रीलंका की प्रधानमंत्री डॉ. हरिनी अमरसूर्या की भारत यात्रा दोनों देशों के लिए ऐतिहासिक और रणनीतिक महत्व रखती है। यह दौरा न केवल द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करेगा बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता और समृद्धि में भी योगदान देगा। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले हफ्तों में इस यात्रा के परिणामस्वरूप कई नए समझौते और पहल सामने आएंगी, जो भारत और श्रीलंका के रिश्तों को नई ऊंचाई पर ले जाएंगे।

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