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    दिवाली से पहले दम घोंटू हवा: देश के 10 सबसे प्रदूषित शहरों में 8 दिल्ली-NCR के, गाजियाबाद बना सबसे खराब हवा वाला शहर

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    दिवाली से ठीक पहले दिल्ली-एनसीआर की हवा एक बार फिर जहरीली होती जा रही है। ठंड के आगमन के साथ राजधानी और इसके आसपास के इलाकों में वायु गुणवत्ता बेहद खराब श्रेणी में पहुंच गई है। गुरुवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, देश के 10 सबसे प्रदूषित शहरों में से 8 शहर दिल्ली-एनसीआर के रहे। गाजियाबाद इस सूची में सबसे ऊपर है, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 307 दर्ज किया गया, जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है।

    सर्दी की शुरुआत के साथ ही प्रदूषण का स्तर हर साल की तरह तेजी से बढ़ने लगा है। हवा में धूल, धुआं और जहरीले कणों की मात्रा खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है। दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद, गुरुग्राम, बागपत, भिवाड़ी और ग्रेटर नोएडा जैसे शहरों में हालात लगातार बिगड़ रहे हैं। इस प्रदूषण का सीधा असर लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है—खासकर बुजुर्गों, बच्चों और सांस की बीमारी से पीड़ित मरीजों को काफी दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं।

    गाजियाबाद का औसत AQI 307 दर्ज किया गया, जो देश में सबसे ज्यादा रहा। इसके बाद दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम और फरीदाबाद का स्थान रहा, जिनका AQI 280 से 300 के बीच दर्ज हुआ। विशेषज्ञों के मुताबिक, दिवाली से पहले ही हवा की गुणवत्ता में गिरावट का मुख्य कारण है — पराली जलाना, वाहन प्रदूषण, औद्योगिक धुआं, और मौसम में नमी का बढ़ना।

    केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, दिल्ली में औसत AQI 289 दर्ज किया गया, जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में है। वहीं, नोएडा का AQI 295 और फरीदाबाद का 287 तक पहुंच गया। गुरुग्राम और ग्रेटर नोएडा भी इस श्रेणी में शामिल हैं। राजधानी के कई इलाकों जैसे आनंद विहार, विवेक विहार, आरके पुरम और आईटीओ में प्रदूषण का स्तर खतरनाक सीमाओं को पार कर गया है।

    पर्यावरण मंत्रालय ने स्थिति को देखते हुए ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) का पहला चरण लागू कर दिया है। GRAP के तहत अब प्रदूषण नियंत्रण के लिए कई सख्त कदम उठाए जाएंगे। निर्माण कार्यों में धूल नियंत्रण अनिवार्य किया गया है, कूड़ा जलाने पर सख्त पाबंदी लगाई गई है और सड़कों की नियमित सफाई के लिए नगर निगम को अलर्ट किया गया है।

    दिल्ली सरकार ने भी प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कई उपाय शुरू किए हैं। सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने, वाहनों की जांच में सख्ती और खुले में कचरा या प्लास्टिक जलाने वालों पर कार्रवाई की जा रही है। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा है कि, “दिवाली से पहले प्रदूषण बढ़ना चिंता का विषय है। सरकार हर स्तर पर कदम उठा रही है, लेकिन लोगों को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी।”

    विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदूषण की यह स्थिति मौसमी नहीं, बल्कि एक संरचनात्मक समस्या बन चुकी है। प्रदूषण नियंत्रण के उपाय केवल सर्दियों तक सीमित नहीं रहने चाहिए, बल्कि सालभर के लिए स्थायी नीति की जरूरत है। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का 40% हिस्सा वाहनों और उद्योगों से आता है, जबकि पराली जलाने का योगदान 25% तक होता है।

    स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगर हवा की गुणवत्ता और खराब हुई तो लोगों को सांस, एलर्जी, आंखों में जलन और हृदय रोग जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं। डॉक्टरों ने सलाह दी है कि बुजुर्ग, बच्चे और गर्भवती महिलाएं सुबह-शाम घर से बाहर निकलने से बचें और एन95 मास्क का इस्तेमाल करें।

    दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर बढ़ने से हवाई उड़ानों और सड़कों पर भी असर दिखने लगा है। विजिबिलिटी (दृश्यता) में कमी आने से कई स्थानों पर ट्रैफिक की रफ्तार धीमी पड़ गई है। सुबह और शाम के समय धुंध के कारण वाहनों की हेडलाइट्स का इस्तेमाल अनिवार्य हो गया है।

    सरकारी एजेंसियों ने इस बात की चेतावनी दी है कि यदि प्रदूषण का स्तर ऐसे ही बढ़ता रहा, तो GRAP के दूसरे चरण को भी लागू करना पड़ेगा। दूसरे चरण में निर्माण कार्यों पर और कड़ी पाबंदी, डीजल जनरेटर पर प्रतिबंध और औद्योगिक गतिविधियों की सीमाएं तय की जाएंगी।

    पिछले कुछ वर्षों से दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण एक गंभीर संकट बन चुका है। सर्दियों में हवा का ठहराव और तापमान में गिरावट के कारण प्रदूषक कण वातावरण में फंस जाते हैं, जिससे स्थिति और भयावह हो जाती है। दिवाली के बाद पटाखों के धुएं से यह समस्या और विकराल रूप ले लेती है।

    इस साल सरकार ने लोगों से अपील की है कि वे ग्रीन पटाखों का इस्तेमाल करें और पर्यावरण की रक्षा में अपना योगदान दें। कई स्कूलों और संस्थाओं में प्रदूषण जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं ताकि नागरिक अपनी जिम्मेदारी समझें और प्रदूषण फैलाने वाली गतिविधियों से बचें।

    पर्यावरण कार्यकर्ताओं का कहना है कि अगर अभी भी कड़े कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले समय में दिल्ली-एनसीआर में रहना और कठिन हो जाएगा। हवा में जहरीले कणों की मात्रा न केवल स्वास्थ्य पर असर डालती है, बल्कि बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास को भी प्रभावित करती है।

    गाजियाबाद का देश के सबसे प्रदूषित शहर के रूप में सामने आना इस बात का संकेत है कि दिल्ली-एनसीआर का पूरा इलाका प्रदूषण की गिरफ्त में है। दिवाली से पहले हवा में बढ़ता जहर एक चेतावनी है कि यदि अब भी सावधानी नहीं बरती गई, तो आने वाले दिनों में यह समस्या और गंभीर रूप ले सकती है।

    इस बीच, आम नागरिकों से अपील की जा रही है कि वे निजी वाहनों के बजाय सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करें, पेड़ लगाएं, पटाखों से दूरी बनाएं और अपने स्तर पर प्रदूषण कम करने की कोशिश करें।

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