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    रविंद्र जडेजा की पत्नी रिवाबा जडेजा बनीं गुजरात सरकार में मंत्री, सादगी और सौम्यता से जीतीं लोगों का दिल

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    गुजरात की राजनीति में एक नया नाम अब तेजी से उभर रहा है — रिवाबा जडेजा, जो भारतीय क्रिकेट टीम के स्टार ऑलराउंडर रविंद्र जडेजा की पत्नी हैं। रिवाबा जडेजा, जो सौराष्ट्र के जामनगर से बीजेपी की विधायक थीं, अब गुजरात के मुख्यमंत्री के मंत्रिमंडल में मंत्री के रूप में शामिल हो गई हैं। राजनीति में उनकी यह नई जिम्मेदारी न सिर्फ उनके करियर का अहम पड़ाव है, बल्कि यह भी साबित करती है कि सादगी और समर्पण से कोई भी ऊंचाई पाई जा सकती है।

    रिवाबा जडेजा लंबे समय से गुजरात की राजनीति में सक्रिय हैं। उन्होंने 2022 के विधानसभा चुनावों में जामनगर (उत्तर) सीट से शानदार जीत हासिल की थी। उस समय कई लोगों ने उन्हें केवल “जडेजा की पत्नी” के रूप में देखा था, लेकिन रिवाबा ने अपने काम और समर्पण से साबित कर दिया कि वह अपनी खुद की पहचान बनाने में सक्षम हैं। विधायक के तौर पर उन्होंने अपने क्षेत्र में कई विकास कार्यों को आगे बढ़ाया — शिक्षा, स्वच्छता और महिला सशक्तिकरण के मुद्दों पर उन्होंने लगातार काम किया।

    अब जब मुख्यमंत्री ने उन्हें अपने मंत्रिमंडल में जगह दी है, तो राजनीतिक गलियारों में इस फैसले को ‘युवा नेतृत्व को बढ़ावा’ के रूप में देखा जा रहा है। रिवाबा जडेजा की कार्यशैली उनकी सादगी और विनम्रता से भरी है। वे न सिर्फ जनता से सीधा संवाद करती हैं, बल्कि हर कार्यक्रम में पारंपरिक भारतीय पहनावे में नजर आती हैं — उनका सिंपल सूट-सलवार, हल्का मेकअप और विनम्र मुस्कान उनके व्यक्तित्व को और भी खास बना देती है।

    सोशल मीडिया पर रिवाबा की तस्वीरें वायरल हो रही हैं, जहां लोग उनके सादगी भरे अंदाज की तारीफ कर रहे हैं। कई लोगों का कहना है कि जहां आज के नेता अपने लुक और लाइफस्टाइल को लेकर सुर्खियों में रहते हैं, वहीं रिवाबा जैसी नेता राजनीति में एक नई हवा लेकर आई हैं। उनके कपड़े, उनका व्यवहार और जनता के साथ उनका जुड़ाव उन्हें अन्य नेताओं से अलग बनाता है।

    रिवाबा का जन्म राजपूत परिवार में हुआ था और वे शुरू से ही राष्ट्रवादी सोच से प्रभावित रहीं। इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद उन्होंने सामाजिक सेवा के क्षेत्र में कदम रखा। बाद में वे बीजेपी से जुड़ीं और महिला मोर्चा में सक्रिय भूमिका निभाई। उनके पति रविंद्र जडेजा भी कई मौकों पर उनके राजनीतिक अभियानों में उनका साथ देते नजर आए, लेकिन रिवाबा ने हमेशा इस बात पर जोर दिया कि वह अपनी पहचान अपने काम से बनाना चाहती हैं।

    गुजरात की राजनीति में रिवाबा का उभार कई लोगों के लिए प्रेरणादायक है। महिला नेतृत्व के रूप में उनका नाम अब तेजी से चर्चा में है। भाजपा नेतृत्व ने भी उनके योगदान को देखते हुए उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया है, जिससे यह साफ है कि पार्टी राज्य में महिला नेताओं को अधिक जिम्मेदारी देने की दिशा में आगे बढ़ रही है।

    दिलचस्प बात यह है कि रिवाबा का राजनीतिक सफर काफी संयम और सादगी से भरा रहा है। वे न तो भव्य रैलियों की शौकीन हैं और न ही बड़े भाषणों की। उनकी ताकत है लोगों के बीच रहकर उनकी बात सुनना और समस्याओं का समाधान निकालना। जामनगर के लोग आज भी बताते हैं कि विधायक बनने के बाद भी रिवाबा अपने क्षेत्र में नियमित रूप से दौरे करती रहीं और आम नागरिकों के बीच बैठकर उनकी परेशानियां सुनीं।

    रविंद्र जडेजा और रिवाबा की जोड़ी को लोग ‘पावर कपल’ कहते हैं — लेकिन यह जोड़ी ग्लैमर से ज्यादा जिम्मेदारी का प्रतीक बन चुकी है। जहां जडेजा मैदान पर देश का नाम रोशन करते हैं, वहीं रिवाबा अब राज्य के विकास के लिए नीति स्तर पर काम करेंगी।

    गुजरात में महिला सशक्तिकरण की दिशा में यह कदम काफी अहम माना जा रहा है। राजनीति विशेषज्ञों का कहना है कि रिवाबा जडेजा की सादगी और जमीनी जुड़ाव उन्हें एक “जनप्रिय नेता” के रूप में स्थापित करेगा। वह आधुनिकता और परंपरा का संतुलन बखूबी निभाती हैं — यही उनकी सबसे बड़ी ताकत है।

    मंत्रिमंडल में शामिल होने के बाद रिवाबा ने अपने पहले संबोधन में कहा कि वह राज्य की जनता की सेवा को ही अपना सबसे बड़ा धर्म मानती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वह महिलाओं और युवाओं के लिए विशेष योजनाओं पर ध्यान केंद्रित करेंगी।

    रिवाबा जडेजा की यह नई भूमिका इस बात की मिसाल है कि अगर किसी में ईमानदारी, सादगी और समाज के लिए कुछ करने का जज़्बा हो, तो वह किसी भी क्षेत्र में पहचान बना सकता है।

    आज रिवाबा न सिर्फ एक मंत्री हैं, बल्कि लाखों महिलाओं के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं — जिन्होंने यह साबित कर दिया है कि “सरलता ही असली सुंदरता है” और सादगी में भी शक्ति छिपी होती है।

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