




भारत में 2025 की जनगणना की तैयारियां अब अंतिम चरण में पहुंचने लगी हैं। केंद्र सरकार ने 10 से 30 नवंबर तक देश के चुनिंदा इलाकों में जनगणना का प्री-टेस्ट (Pre-Test) आयोजित करने का फैसला लिया है। इस प्री-टेस्ट का उद्देश्य आगामी जनगणना प्रक्रिया में आने वाली तकनीकी और व्यवस्थागत चुनौतियों को समझना और उन्हें पहले से सुधारना है।
गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, इस प्री-टेस्ट के दौरान सरकार यह जांचेगी कि नई डिजिटल गणना प्रणाली कितनी प्रभावी और पारदर्शी है। साथ ही, नागरिकों को 1 नवंबर से 7 नवंबर 2025 तक स्व-गणना (Self Enumeration) का भी अवसर दिया जाएगा। इसका मतलब है कि लोग स्वयं अपने घर की जानकारी ऑनलाइन माध्यम से जनगणना पोर्टल पर दर्ज कर सकेंगे।
गौरतलब है कि भारत में पिछली जनगणना वर्ष 2011 में हुई थी, और उसके बाद 2021 में निर्धारित जनगणना कोविड-19 महामारी के चलते स्थगित कर दी गई थी। अब करीब 14 साल बाद देश एक बार फिर सबसे बड़े डेटा संग्रह अभियान की तैयारी कर रहा है।
सरकार के मुताबिक, इस बार की जनगणना पूरी तरह डिजिटल और पेपरलेस होगी। एन्यूमरेटर (गणनाकर्मी) टैबलेट और मोबाइल एप के माध्यम से डेटा एकत्र करेंगे। यह कदम न केवल प्रक्रिया को तेज बनाएगा बल्कि डेटा की त्रुटियों को भी कम करेगा।
गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, इस प्री-टेस्ट में उन सभी चरणों का अभ्यास किया जाएगा जो असली जनगणना के दौरान अपनाए जाएंगे। इसमें घर-घर जाकर सर्वेक्षण, डेटा वेरिफिकेशन, डिजिटल एंट्री, और स्व-गणना की प्रक्रिया शामिल होगी।
प्री-टेस्ट के लिए कुछ विशेष जिलों और राज्यों का चयन किया गया है, जो भौगोलिक और सामाजिक विविधता को दर्शाते हैं। इससे सरकार को विभिन्न परिस्थितियों में जनगणना प्रणाली की कार्यक्षमता की जांच करने में मदद मिलेगी।
स्व-गणना की सुविधा इस बार की जनगणना की सबसे बड़ी विशेषता मानी जा रही है। नागरिक घर बैठे अपने स्मार्टफोन या कंप्यूटर के जरिए निर्धारित पोर्टल पर अपनी परिवार से संबंधित जानकारी भर सकेंगे। इसके लिए एक यूनीक कोड जारी किया जाएगा, जो प्रत्येक परिवार को उनके क्षेत्रीय जनगणना अधिकारी के माध्यम से मिलेगा।
डिजिटल माध्यम से जानकारी भरने के बाद गणनाकर्मी उस डेटा की पुष्टि करेंगे और आवश्यकतानुसार फिजिकल सत्यापन भी करेंगे। इससे डेटा की विश्वसनीयता बनी रहेगी।
विशेषज्ञों के अनुसार, भारत की जनगणना न केवल जनसंख्या का आंकड़ा पेश करती है, बल्कि यह देश की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक स्थिति की सटीक तस्वीर भी प्रस्तुत करती है। यही डेटा भविष्य की योजनाओं और नीतियों की नींव बनता है।
इस बार की जनगणना में पहली बार कई नई श्रेणियों को भी शामिल किया जा सकता है। इनमें डिजिटल साक्षरता, इंटरनेट उपयोग, कार्यस्थल लचीलापन, स्वच्छ ऊर्जा उपयोग और घरों में जलापूर्ति की स्थिति जैसे विषय शामिल हैं। इससे सरकार को समाज के हर क्षेत्र में विकास की वास्तविक स्थिति समझने में मदद मिलेगी।
गृह मंत्रालय ने बताया कि प्री-टेस्ट के नतीजों का विस्तृत मूल्यांकन किया जाएगा, जिसके बाद अंतिम जनगणना कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की जाएगी। इसके लिए आवश्यकतानुसार फॉर्मेट, सवालों और तकनीकी प्लेटफॉर्म में संशोधन भी किया जा सकता है।
जनगणना भारत के लिए सिर्फ एक सांख्यिकीय प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह हर नागरिक के जीवन से सीधे तौर पर जुड़ी है। इसी डेटा के आधार पर सरकार विभिन्न योजनाओं जैसे कि गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम, शिक्षा नीति, स्वास्थ्य सेवाएं, आवास योजनाएं, और रोजगार अवसरों का निर्धारण करती है।
इस बार की डिजिटल जनगणना से सरकार को रियल-टाइम डेटा तक पहुंच मिल सकेगी, जिससे नीति निर्माण और संसाधनों के वितरण में पारदर्शिता और दक्षता बढ़ेगी।
सूत्रों के मुताबिक, गृह मंत्रालय ने राज्य सरकारों और जिला प्रशासन को पहले ही निर्देश जारी कर दिए हैं कि वे जनगणना कर्मियों के प्रशिक्षण, तकनीकी उपकरणों की उपलब्धता और नागरिकों की जागरूकता अभियान पर काम शुरू कर दें।
वहीं, नागरिकों के लिए जल्द ही एक हेल्पलाइन नंबर और जनगणना मोबाइल एप जारी किया जाएगा, जिसके जरिए लोग अपनी जानकारी दर्ज कर सकेंगे और किसी भी तकनीकी समस्या के समाधान के लिए सहायता प्राप्त कर सकेंगे।
कुल मिलाकर, 10 से 30 नवंबर तक होने वाला यह प्री-टेस्ट भारत की सबसे बड़ी डिजिटल जनगणना की तैयारी का एक महत्वपूर्ण कदम है। इस परीक्षण से मिली सीख न केवल असली जनगणना को सुचारु रूप से संपन्न करने में मदद करेगी, बल्कि भारत को डेटा-संचालित नीति निर्माण की दिशा में एक और कदम आगे बढ़ाएगी।
सरकार का यह कदम यह दर्शाता है कि आने वाले वर्षों में भारत डिजिटल शासन और पारदर्शी प्रशासन की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है, और जनगणना जैसी ऐतिहासिक प्रक्रिया भी अब टेक्नोलॉजी के सहारे एक नए युग में प्रवेश करने जा रही है।