




वायरल गानों की दुनिया में कुछ ऐसे नाम होते हैं जो हमेशा याद रह जाते हैं। ऐसा ही एक नाम है — भुबन बद्याकर (Bhuban Badyakar) — जिन्होंने अपने देसी अंदाज़ और सादगी भरी आवाज़ से पूरे भारत को झूमने पर मजबूर कर दिया था। उनका गाया हुआ गाना ‘कच्चा बादाम’ (Kacha Badam) इंटरनेट पर ऐसा छाया कि देखते ही देखते यह एक वैश्विक सनसनी बन गया। सोशल मीडिया से लेकर बॉलीवुड तक, हर जगह इस गाने की धूम मच गई थी।
लेकिन अब, दो साल बाद, भुबन बद्याकर की जिंदगी में काफी बदलाव आ चुका है। जो व्यक्ति कभी एक झोपड़ी में रहते थे, आज वे एक पक्के और सुंदर घर में अपनी नई जिंदगी बिता रहे हैं। हालांकि, उनके चेहरे पर अब भी एक सवाल झलकता है — “क्या प्रसिद्धि ने वास्तव में उन्हें वो दिया, जिसके वे हकदार थे?”
भुबन बद्याकर, जो पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के रहने वाले हैं, पेशे से मूंगफली बेचने वाले थे। वे गली-गली जाकर अपनी आवाज़ में कहते थे — “कच्चा बादाम लो कच्चा बादाम…”। किसी ने सोचा भी नहीं था कि यही धुन एक दिन देशभर में वायरल हो जाएगी।
जब सोशल मीडिया पर उनका वीडियो पहली बार सामने आया, तो लोग उनकी सादगी और आवाज़ से प्रभावित हो गए। देखते ही देखते यह गाना फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर ट्रेंड करने लगा। कई सेलेब्रिटी और इन्फ्लुएंसर्स ने इस गाने पर डांस वीडियो बनाए, जिससे भुबन रातोंरात स्टार बन गए।
लेकिन लोकप्रियता के साथ-साथ आई कुछ कड़वी सच्चाइयाँ भी। हाल ही में एक इंटरव्यू में भुबन बद्याकर ने बताया कि उन्हें ‘कच्चा बादाम’ गाने के असली राइट्स (अधिकार) नहीं मिले। उनके अनुसार, “गाना तो मेरा था, लेकिन उसके अधिकार किसी और ने ले लिए। मुझे शुरू में कुछ पैसे मिले, पर बाद में कोई हिस्सा नहीं दिया गया।”
भुबन ने कहा कि उन्हें इस बात का बहुत अफसोस है कि जिस गाने से उन्हें पहचान मिली, उसी से उन्हें आर्थिक फायदा नहीं हो पाया। “गाना दुनिया भर में चला, लेकिन मेरे पास बस तालियों की गूंज रह गई। लोग मुझे पहचानते हैं, लेकिन कमाई किसी और की हुई।”
हालांकि, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि गाने की वजह से उनकी जिंदगी में कुछ सकारात्मक बदलाव आए हैं। अब वे अपने परिवार के साथ एक पक्के मकान में रहते हैं। यह घर उनके गाँव में ही बना है, और इसमें बिजली, फर्नीचर और आधुनिक सुविधाएँ मौजूद हैं।
भुबन बताते हैं, “पहले जब बारिश होती थी, तो झोपड़ी में पानी भर जाता था। अब भगवान और जनता की मेहरबानी से मेरे सिर पर मजबूत छत है। मैं अब सुकून से रह पाता हूँ।”
उन्होंने यह भी कहा कि अब वे नए गानों पर काम कर रहे हैं और भविष्य में एक म्यूज़िक एल्बम निकालने की योजना बना रहे हैं। हालांकि, उन्होंने यह साफ किया कि इस बार वे किसी को अपने गानों के अधिकार नहीं सौंपेंगे।
भुबन बद्याकर के अनुसार, “इस बार मैं समझ गया हूँ कि नाम से ज्यादा जरूरी है अधिकार। मैंने अपनी गलती से बहुत कुछ सीखा है। अब मैं चाहता हूँ कि मेरे अगले गाने का सारा फायदा मेरे परिवार को मिले।”
‘कच्चा बादाम’ की लोकप्रियता ने भुबन को एक अलग पहचान दी। उन्हें कई टीवी शो में आमंत्रित किया गया, और कुछ बड़े म्यूज़िक प्रोड्यूसर्स ने भी उनसे संपर्क किया। लेकिन बाद में जब वायरल क्रेज कम हुआ, तो उनके पास काम के मौके घटने लगे।
भुबन कहते हैं, “जब मेरा गाना ट्रेंड कर रहा था, तब सब मेरे पास आते थे। अब सब गायब हो गए। लेकिन मैं दुखी नहीं हूँ, क्योंकि लोगों का प्यार ही मेरी सबसे बड़ी पूंजी है।”
उनके गाँव के लोग आज भी उन्हें सम्मान की नजर से देखते हैं। उनका कहना है कि भुबन ने गाँव का नाम रोशन किया है। स्थानीय प्रशासन ने भी उनके सम्मान में कुछ योजनाएँ शुरू की हैं, ताकि वे आगे भी अपने संगीत को जारी रख सकें।
भुबन की कहानी केवल सफलता की नहीं, बल्कि एक आम इंसान के संघर्ष की भी है। यह कहानी यह भी बताती है कि वायरल फेम हमेशा स्थायी नहीं होता, लेकिन सच्चा टैलेंट कभी नहीं मरता।
वर्तमान में भुबन बद्याकर फिर से स्टेज शो कर रहे हैं और छोटे स्तर पर प्रदर्शन के जरिए अपनी पहचान बनाए रखे हुए हैं। वे कहते हैं, “मैं अब भी वही साधारण आदमी हूँ जो पहले था। फर्क बस इतना है कि अब लोग मुझे जानते हैं।”
उनकी यह सादगी ही उन्हें खास बनाती है। गाने के राइट्स छिन जाने के बावजूद, भुबन के चेहरे पर कोई नाराजगी नहीं दिखती। बल्कि वे गर्व से कहते हैं, “कच्चा बादाम मेरा बच्चा है। उसने मुझे पहचान दी, और यही मेरे लिए काफी है।”
आज जब सोशल मीडिया पर हर दिन नए कलाकार उभर रहे हैं, भुबन बद्याकर की यह कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो मानता है कि एक छोटी सी आवाज़ भी दुनिया को बदल सकती है।