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    एंटवर्प कोर्ट ने भगोड़े ज्वैलर मेहुल चोकसी के प्रत्यर्पण को दी मंजूरी, भारत वापसी का रास्ता साफ

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    पंजाब नेशनल बैंक (PNB) से जुड़े ₹13,000 करोड़ के बहुचर्चित घोटाले में वांछित हीरा व्यापारी मेहुल चोकसी के भारत प्रत्यर्पण की दिशा में एक बड़ी सफलता मिली है। 17 अक्टूबर 2025 को बेल्जियम की एंटवर्प कोर्ट ने चोकसी द्वारा दायर प्रत्यर्पण विरोधी याचिका को खारिज कर दिया, जिससे उसकी भारत वापसी का मार्ग लगभग साफ हो गया है

    अदालत ने यह फैसला भारतीय जांच एजेंसी सीबीआई (CBI) द्वारा दर्ज मामले की वैधता और चोकसी के “फ्लाइट रिस्क” (यानि फिर से भागने की संभावना) को देखते हुए सुनाया। इस फैसले को भारत के लिए कानूनी और कूटनीतिक मोर्चे पर एक बड़ी जीत माना जा रहा है।

    बेल्जियम की कोर्ट ऑफ अपील्स (Antwerp Court of Appeals) ने स्पष्ट किया कि मेहुल चोकसी के खिलाफ भारत में दर्ज आरोप बेल्जियम कानून के अंतर्गत भी अपराध की श्रेणी में आते हैं। ‘Dual Criminality’ की शर्त पूरी होने के चलते अदालत ने चोकसी की दलीलों को खारिज करते हुए कहा:

    “अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों और दस्तावेजों के आधार पर यह साबित होता है कि चोकसी गंभीर आर्थिक अपराधों में लिप्त रहे हैं। ऐसे में उनका प्रत्यर्पण वैध है।”

    अदालत ने यह भी स्वीकार किया कि चोकसी फ्लाइट रिस्क हैं, और यदि उन्हें बेल्जियम में रिहा किया जाता है तो उनके दोबारा फरार होने की पूरी संभावना है।

    मेहुल चोकसी और उसका भतीजा नीरव मोदी, दोनों पर 2011 से 2018 के बीच PNB बैंक की मुंबई ब्रैडी हाउस शाखा से फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LoU) और फॉरेन क्रेडिट फैसिलिटीज़ के जरिए हजारों करोड़ रुपये विदेश भेजने का आरोप है।

    इन दोनों ने बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से ये फर्जी दस्तावेज तैयार किए और कई विदेशी बैंकों से लोन लिया, जिसे बाद में चुकाया नहीं गया। इस घोटाले का पर्दाफाश जनवरी 2018 में हुआ, जिसके तुरंत बाद चोकसी भारत से फरार हो गया।

    भारत से फरार होने के बाद मेहुल चोकसी ने कैरेबियन देश एंटीगुआ और बारबुडा की नागरिकता ले ली थी। वहां के नागरिकता कानूनों का लाभ उठाकर वह लंबे समय तक प्रत्यर्पण से बचता रहा। हालांकि, भारत ने एंटीगुआ में भी उसके प्रत्यर्पण की प्रक्रिया शुरू की थी, लेकिन कानूनी पेचिदगियों और नागरिकता के मुद्दों के चलते सफलता नहीं मिल सकी।

    2023 में चोकसी बेल्जियम गया, जहां वह एंटवर्प, जो कि हीरा व्यापार का प्रमुख केंद्र है, में गिरफ्तार किया गया। भारत सरकार ने तुरंत बेल्जियम सरकार से प्रत्यर्पण की औपचारिक मांग की थी।

    भारत ने बेल्जियम सरकार और अदालत को भरोसा दिलाया कि चोकसी को भारत लाने के बाद उसे पूरी सुरक्षा दी जाएगी। भारत ने प्रस्ताव दिया कि:

    • उसे मुंबई की आर्थर रोड जेल के विशेष बैरक में रखा जाएगा।

    • उसकी स्वास्थ्य और मानवाधिकार से संबंधित सभी आवश्यक सुविधाएं सुनिश्चित की जाएंगी।

    • उसे अपने वकीलों और परिवार से मिलने की इजाज़त दी जाएगी।

    यह आश्वासन देने के बाद बेल्जियम अदालत ने इस मामले को गंभीरता से लिया और भारत के पक्ष में फैसला सुनाया।

    हालांकि एंटवर्प कोर्ट का यह फैसला बेहद अहम है, लेकिन चोकसी के पास अभी बेल्जियम की सर्वोच्च अदालत में अपील करने का विकल्प बचा है। विशेषज्ञों का मानना है कि वह अपनी प्रत्यर्पण प्रक्रिया को रोकने के लिए अंतिम स्तर तक कानूनी लड़ाई लड़ सकते हैं।

    फिर भी, जिस प्रकार कोर्ट ने स्पष्ट और ठोस आधारों पर फैसला सुनाया है, उससे यह संकेत मिल रहा है कि भारत को चोकसी को जल्द ही वापस लाने में सफलता मिल सकती है।

    भारत की CBI और प्रवर्तन निदेशालय (ED) दोनों ही एजेंसियाँ चोकसी को भारत वापस लाकर:

    • उससे पूछताछ करना चाहती हैं,

    • संपत्ति की जब्ती की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना चाहती हैं,

    • और इस बड़े घोटाले के अन्य अंतरराष्ट्रीय लिंक की जांच करना चाहती हैं।

    भारत में इस खबर के आने के बाद केंद्र सरकार, जांच एजेंसियाँ और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस फैसले का स्वागत किया है। आम जनता के बीच यह चर्चा भी शुरू हो गई है कि क्या अब अन्य भगोड़े जैसे विजय माल्या और नीरव मोदी को भी वापस लाना आसान होगा।

    बेल्जियम की एंटवर्प कोर्ट द्वारा मेहुल चोकसी के प्रत्यर्पण को मंजूरी दिया जाना भारत के लिए एक ऐतिहासिक और प्रतीकात्मक जीत है। इससे यह स्पष्ट संकेत मिला है कि अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक अपराधों के खिलाफ सहमति बन रही है, और जो लोग देश छोड़कर भाग जाते हैं, वे हमेशा के लिए बच नहीं सकते।

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