




बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि हर्बल या तंबाकू-मुक्त हुक्का परोसने की अनुमति है, बशर्ते यह सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम, 2003 (COTPA) के उल्लंघन में न हो। अदालत ने यह आदेश हर्बल हुक्का बार संचालकों को सुरक्षा प्रदान करने और उन्हें मनमाने पुलिस एक्शन से बचाने के लिए जारी किया है।
इस मामले में हाई कोर्ट ने 2019 के अपने आदेश को दोहराते हुए कहा कि हर्बल हुक्का बार में तंबाकू का उपयोग नहीं किया जा रहा है, इसलिए इन पर प्रतिबंध लगाने का कोई आधार नहीं है। अदालत ने महाराष्ट्र सरकार और पुलिस विभाग को स्पष्ट निर्देश दिए कि वे कानून के दायरे में रहते हुए ही कार्रवाई करें और किसी भी प्रकार का मनमाना या अनुचित दबाव न बनाएं।
हर्बल हुक्का बार पिछले कुछ वर्षों में युवाओं और युवावर्ग के बीच लोकप्रिय हुए हैं। कई बार पुलिस प्रशासन ने उन्हें बिना जांच-पड़ताल के बंद करने या सख्त कार्रवाई करने की कोशिश की थी। इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि हुक्का बार संचालक कानूनी दायरे में हैं और उनकी व्यावसायिक गतिविधियों को बाधित करना गैरकानूनी होगा।
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि हर्बल हुक्का में तंबाकू का उपयोग नहीं होता और यह कानून द्वारा परिभाषित तंबाकू उत्पादों में शामिल नहीं है। ऐसे में राज्य पुलिस या किसी भी सरकारी अधिकारी को संचालकों के खिलाफ अनधिकृत कार्रवाई करने का अधिकार नहीं है। अदालत ने कहा कि यदि कोई भी अधिकारी नियमों का उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
हर्बल हुक्का बार संचालकों ने बॉम्बे हाई कोर्ट के इस आदेश का स्वागत किया। उनका कहना है कि अदालत ने उनके व्यवसाय को कानूनी सुरक्षा प्रदान की है और अब उन्हें ग्राहकों को सेवाएं देने में कोई डर नहीं रहेगा। उन्होंने बताया कि हुक्का बार युवाओं को सुरक्षित और तंबाकू-मुक्त विकल्प प्रदान करते हैं, जिससे पारंपरिक तंबाकू सेवन के खतरे कम होते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि हाई कोर्ट का यह आदेश न केवल हुक्का बार संचालकों के अधिकारों की रक्षा करता है, बल्कि राज्य पुलिस को भी स्पष्ट दिशा-निर्देश देता है कि उन्हें कानून के दायरे में रहकर ही कार्रवाई करनी है। अदालत ने यह आदेश इसलिए भी जारी किया क्योंकि पिछले कुछ सालों में हुक्का बार संचालकों और पुलिस के बीच अक्सर विवाद देखने को मिलता रहा है।
कोटपा एक्ट, 2003 के तहत सिगरेट और तंबाकू उत्पादों पर सख्ती से नियंत्रण है, लेकिन हर्बल हुक्का तंबाकू-मुक्त होने के कारण इस अधिनियम के तहत नहीं आता। हाई कोर्ट ने यह साफ कर दिया कि हर्बल हुक्का परोसना कानूनी है और इसका कोई भी प्रकार का प्रतिबंध गैरकानूनी होगा।
हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि राज्य प्रशासन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हुक्का बार में केवल हर्बल उत्पाद ही परोसे जाएं और किसी भी प्रकार का तंबाकू या निकोटीन युक्त उत्पाद इस्तेमाल न हो। यदि इस नियम का उल्लंघन होता है तो तब ही कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
हर्बल हुक्का बार संचालकों के अनुसार, अदालत के आदेश से अब उन्हें ग्राहकों के लिए नए विकल्प और स्वाद पेश करने में आसानी होगी। इसके अलावा यह आदेश राज्य सरकार और पुलिस के लिए भी मार्गदर्शक साबित होगा कि हुक्का बार पर कार्रवाई करते समय उन्हें कानून का पूरा पालन करना होगा।
इस फैसले के बाद मुंबई और महाराष्ट्र में हर्बल हुक्का बार संचालक अधिक सक्रिय और आत्मविश्वासी नजर आएंगे। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि किसी भी तरह की मनमानी कार्रवाई या बार को बंद करने का प्रयास गैरकानूनी माना जाएगा।
बॉम्बे हाई कोर्ट का यह आदेश हुक्का बार संचालकों के लिए राहत का संदेश है और उन्हें कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है। साथ ही, यह आदेश युवाओं को सुरक्षित विकल्प प्रदान करने वाले हर्बल हुक्का उद्योग के लिए भी सकारात्मक माना जा रहा है।