




भारतीय खेल जगत के लिए यह सप्ताह गर्व का विषय लेकर आया है। सिर्फ 16 साल की उम्र में तन्वी शर्मा ने वह कर दिखाया जो बीते 17 सालों से कोई भारतीय महिला खिलाड़ी नहीं कर पाई थी। उन्होंने जूनियर वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप में इतिहास रचते हुए भारत के लिए महिला एकल वर्ग में पदक पक्का कर दिया है। यह उपलब्धि भारतीय बैडमिंटन के इतिहास में एक सुनहरे अध्याय के रूप में दर्ज हो गई है।
तन्वी शर्मा ने लड़कियों के सिंगल्स क्वार्टर फाइनल में जापान की मजबूत खिलाड़ी साकी मात्सुमोतो को हराकर यह सफलता हासिल की। यह मुकाबला बेहद रोमांचक रहा, जिसमें तन्वी ने पहला गेम 13-15 से गंवाया, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। अगले दो गेमों में तन्वी ने जबरदस्त वापसी करते हुए 15-9 और 15-10 से जीत दर्ज की। इस जीत के साथ उन्होंने सेमीफाइनल में प्रवेश किया और भारत के लिए पदक सुनिश्चित कर दिया।
तन्वी की इस जीत ने भारतीय बैडमिंटन इतिहास में नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया। इससे पहले वर्ष 2008 में सायना नेहवाल ने इस टूर्नामेंट में पदक जीता था। अब पूरे 17 साल बाद तन्वी शर्मा ने उस गौरव को फिर से जीवित कर दिया है।
उनकी जीत सिर्फ एक मैच की जीत नहीं, बल्कि उस जज़्बे और समर्पण की मिसाल है, जो भारतीय खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय मंच पर अलग पहचान दिलाता है। तन्वी के इस प्रदर्शन ने देशभर के खेलप्रेमियों को उत्साहित कर दिया है। सोशल मीडिया पर #TanviSharma और #ProudMomentIndia ट्रेंड करने लगा है।
तन्वी की कोच पुष्पा गोयल ने इस ऐतिहासिक जीत पर कहा,
“तन्वी बेहद अनुशासित और मेहनती खिलाड़ी हैं। उनकी फिटनेस और मानसिक मजबूती ही उन्हें बाकी खिलाड़ियों से अलग बनाती है। आज जो उन्होंने किया, वह सिर्फ उनकी नहीं बल्कि पूरे भारत की जीत है।”
तन्वी शर्मा हरियाणा के करनाल जिले की रहने वाली हैं। उन्होंने बहुत कम उम्र में ही बैडमिंटन खेलना शुरू किया था। उनके पिता एक स्कूल टीचर हैं, जिन्होंने हमेशा बेटी के सपनों को उड़ान देने का काम किया। तन्वी ने स्थानीय कोच की देखरेख में बैडमिंटन की बुनियादी ट्रेनिंग ली, और जल्द ही उनकी प्रतिभा को पहचान मिल गई।
राष्ट्रीय स्तर पर लगातार अच्छे प्रदर्शन के बाद तन्वी को जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप टीम में चुना गया। उन्होंने अपनी मेहनत और खेल से इस मौके को सही साबित कर दिखाया।
क्वार्टर फाइनल मैच के बाद तन्वी ने कहा,
“पहला गेम हारने के बाद भी मैंने खुद से कहा कि अब हर पॉइंट आखिरी पॉइंट की तरह खेलना है। मैंने अपनी रणनीति बदली, और मैच को अपने कंट्रोल में लिया। यह जीत मेरे कोच, माता-पिता और टीम के सहयोग से संभव हुई है।”
तन्वी की जीत के बाद भारतीय बैडमिंटन संघ (BAI) ने ट्वीट कर बधाई दी। संघ ने लिखा —
“17 साल बाद भारत की बेटी ने जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में रचा इतिहास। तन्वी शर्मा को इस अद्भुत उपलब्धि पर गर्व।”
देश के कई दिग्गज खिलाड़ियों ने भी तन्वी की तारीफ की। पूर्व विश्व चैंपियन पी.वी. सिंधु ने सोशल मीडिया पर लिखा,
“यह तो बस शुरुआत है, तन्वी! तुम्हारा यह जज़्बा भारत के हर युवा खिलाड़ी को प्रेरित करेगा।”
तन्वी की कहानी उन लाखों भारतीय बेटियों के लिए प्रेरणा है जो छोटे शहरों से बड़े सपने लेकर निकलती हैं। उनके पास भले संसाधनों की कमी रही हो, लेकिन इच्छाशक्ति और मेहनत की कोई कमी नहीं रही।
विशेषज्ञों का मानना है कि तन्वी शर्मा अब भारत की अगली बैडमिंटन स्टार बन सकती हैं। जिस आत्मविश्वास और संतुलन के साथ उन्होंने विश्व स्तरीय प्रतिद्वंद्वियों का सामना किया, वह उन्हें भविष्य के लिए एक मजबूत दावेदार बनाता है।
तन्वी अब सेमीफाइनल में उतरने जा रही हैं, जहां उनका सामना एक और एशियाई दिग्गज खिलाड़ी से होगा। पूरा भारत अब उनकी अगली जीत का इंतजार कर रहा है। देश के करोड़ों खेलप्रेमियों की निगाहें उनके रैकेट से निकलने वाले हर शॉट पर टिकी हैं।
उनकी यह उपलब्धि न केवल भारतीय बैडमिंटन को नई दिशा देगी, बल्कि यह साबित करती है कि भारत की नई पीढ़ी अब विश्व मंच पर किसी से पीछे नहीं। तन्वी शर्मा का नाम अब सायना, सिंधु और नेहा अग्रवाल जैसी दिग्गज खिलाड़ियों की सूची में शामिल हो चुका है।
आज जब वह विश्व मंच पर तिरंगे के साथ खड़ी होती हैं, तो यह सिर्फ एक खिलाड़ी की जीत नहीं, बल्कि उस सपने की जीत है जो हर भारतीय बेटी अपने दिल में संजोए रखती है — अपने देश का नाम रोशन करने का।