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    सोना बना 2025 का स्टार: महंगाई में भी बढ़ी चमक, पर ज्वेलर्स के लिए बुरा वक्त

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    साल 2025 भारत सहित वैश्विक बाजारों के लिए सोने का साल साबित हुआ। पिछले एक साल में सोने की कीमतों में ऐसी उछाल देखने को मिली जिसने शेयर बाजारों, रियल एस्टेट और यहां तक कि क्रिप्टो करेंसी को भी पीछे छोड़ दिया। आर्थिक अनिश्चितता, केंद्रीय बैंकों की ब्याज दरों में कटौती और डॉलर की कमजोरी ने सोने को निवेशकों के लिए सबसे भरोसेमंद ठिकाना बना दिया।

    मार्च 2025 तक जहां सोने की कीमतें ₹90,000 प्रति 10 ग्राम के आसपास थीं, वहीं अक्टूबर आते-आते यह आंकड़ा ₹1,30,000 के पार पहुंच गया। विशेषज्ञों का कहना है कि यह बढ़त केवल भावनात्मक नहीं, बल्कि आर्थिक कारकों से भी जुड़ी है — खासकर तब, जब महंगाई और ब्याज दरों के बीच संतुलन बिगड़ गया है।

    ज्वेलर्स के लिए मुसीबत, एनबीएफसी के लिए वरदान

    सोने की बढ़ती कीमतों ने जहां निवेशकों की झोली भर दी, वहीं ज्वेलरी कारोबारियों के लिए यह दौर बेहद कठिन रहा। ग्राहकों की खरीद क्षमता में गिरावट आई है। शादी-ब्याह के सीजन में भी बिक्री उम्मीद से काफी कम रही।

    दिल्ली के सर्राफा व्यापारी राजीव अग्रवाल बताते हैं,

    “इस साल ग्राहकों का रुझान भारी सोने के गहनों से हटकर हल्के डिज़ाइन और सिल्वर ज्वेलरी की ओर गया है। महंगे सोने ने लोगों की जेब ढीली कर दी है।”

    वहीं दूसरी ओर, गोल्ड लोन देने वाली एनबीएफसी कंपनियों जैसे कि मुथूट फाइनेंस, मणप्पुरम फाइनेंस और आईआईएफएल फाइनेंस ने रिकॉर्ड मुनाफा दर्ज किया। इन कंपनियों के पास गिरवी रखे गए सोने की वैल्यू बढ़ने से संपत्ति (Assets under management) में भी भारी उछाल देखा गया।

    विश्लेषकों का कहना है कि गोल्ड-सेंट्रिक एनबीएफसी आने वाले वर्षों में और भी मजबूत स्थिति में होंगी, क्योंकि लोग महंगे सोने को गिरवी रखकर लोन लेने की प्रवृत्ति बढ़ा रहे हैं।

    निवेशकों के लिए ‘सुरक्षित ठिकाना’ बना सोना

    2025 में जब दुनिया भर के शेयर बाजारों में उतार-चढ़ाव देखने को मिला, तब सोने ने एक बार फिर “सेफ हेवन” (Safe Haven) एसेट के रूप में अपनी पहचान मजबूत की।

    अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी सोने की कीमतें $2,700 प्रति औंस के स्तर को पार कर गईं — जो इतिहास का नया रिकॉर्ड था।

    भारत में भी निवेशकों ने गोल्ड ईटीएफ, सोवरेन गोल्ड बॉन्ड और डिजिटल गोल्ड में बड़े पैमाने पर निवेश किया। बैंक ऑफ इंडिया सिक्योरिटीज की एक रिपोर्ट के अनुसार,

    “पिछले 12 महीनों में सोने में औसतन 18% रिटर्न मिला है, जो सेंसेक्स के 9% रिटर्न से दोगुना है।”

     क्यों बढ़ीं सोने की कीमतें?

    सोने के इस उछाल के पीछे कई प्रमुख कारण रहे —

    वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता: यूरोप और एशिया के कई देशों में धीमी विकास दर और मंदी के डर ने निवेशकों को सोने की ओर आकर्षित किया।

    डॉलर की कमजोरी: अमेरिकी डॉलर इंडेक्स में गिरावट से सोना और ज्यादा महंगा हुआ।

    केंद्रीय बैंकों की खरीदारी: रूस, चीन, और भारत जैसे देशों ने अपने विदेशी मुद्रा भंडार में सोने का अनुपात बढ़ाया।

    महंगाई से सुरक्षा: लगातार बढ़ती महंगाई ने आम निवेशकों को भी सोने को ‘हैज’ (hedge) के रूप में देखने को मजबूर किया।

     ज्वेलरी सेक्टर में ‘कम खरीद, ज्यादा निराशा’

    जहां गोल्ड निवेशक मुस्कुरा रहे हैं, वहीं ज्वेलरी इंडस्ट्री में मायूसी का माहौल है। ज्वेलर्स को न सिर्फ कम बिक्री का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि पुराने स्टॉक को नई दरों पर अपडेट करने में भी कठिनाई आ रही है।

    मुंबई के एक प्रमुख ज्वेलर नीलम शाह के अनुसार,

    “ग्राहक अब शादी के गहने भी किराए पर लेने लगे हैं। महंगे सोने ने पारंपरिक खरीद संस्कृति को बदल दिया है।”

     क्या 2026 में भी रहेगा सोने का जलवा?

    वित्तीय विशेषज्ञों की राय में सोने की कीमतों में फिलहाल गिरावट के कोई संकेत नहीं हैं। वैश्विक ब्याज दरों में कटौती और केंद्रीय बैंकों की खरीदारी 2026 में भी जारी रह सकती है।

    सोना बना राजा, पर ज्वेलर्स हुए परेशान

    साल 2025 को याद रखा जाएगा — एक ऐसे साल के रूप में जब सोना निवेशकों के लिए वरदान बना, लेकिन ज्वेलर्स के लिए सिरदर्द। सोने की चमक ने जहां एनबीएफसी और निवेशकों की तिजोरियां भरीं, वहीं पारंपरिक ज्वेलरी कारोबार को झटका दिया।

    अगर यही रफ्तार जारी रही, तो आने वाले वर्षों में गोल्ड एक निवेश एसेट के रूप में और ज्वेलरी के रूप में कम देखा जाएगा।

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