




भारत के इतिहास का एक गौरवशाली अध्याय 21 अक्टूबर 1943 से जुड़ा है। इसी दिन नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने सिंगापुर में ‘आजाद हिंद सरकार’ की स्थापना की थी और अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह में तिरंगा फहराकर भारत की आजादी की घोषणा की थी। इस ऐतिहासिक अवसर की याद में आज केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नेताजी और आजाद हिंद फौज के वीर सिपाहियों को श्रद्धांजलि दी।
अमित शाह ने इस अवसर पर ट्वीट करते हुए लिखा, “मैं नेताजी सुभाष चंद्र बोस और आजाद हिंद फौज के वीरों को नमन करता हूँ जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। नेताजी का ‘जय हिंद’ नारा आज भी हर भारतीय के दिल में जोश भर देता है।”
उन्होंने कहा कि आजाद हिंद फौज का इतिहास भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के उस अध्याय का प्रतीक है जिसने आजादी की लड़ाई को एक नई दिशा दी। नेताजी ने यह साबित कर दिया था कि अगर संकल्प और साहस हो, तो कोई भी शक्ति देश को स्वतंत्र होने से नहीं रोक सकती।
21 अक्टूबर 1943 को जब नेताजी ने सिंगापुर में ‘आजाद हिंद सरकार’ की स्थापना की थी, तब उन्होंने खुद को भारत का प्रधानमंत्री और युद्ध मंत्री घोषित किया था। इसके साथ ही उन्होंने ‘आजाद हिंद फौज’ (INA) का नेतृत्व संभाला था। यह वह क्षण था जब उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष का बिगुल बजाया और विश्व मंच से भारत की आजादी की घोषणा की।
कुछ समय बाद नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अंडमान-निकोबार द्वीपों को जापान से मुक्त करवाया और वहां भारतीय तिरंगा फहराकर प्रतीकात्मक रूप से स्वतंत्र भारत का निर्माण किया। उन्होंने अंडमान को “शहीद द्वीप” और निकोबार को “स्वराज द्वीप” नाम दिया। यह वह क्षण था जब पहली बार किसी भारतीय नेता ने विदेशी धरती पर स्वतंत्र भारत का झंडा लहराया और ब्रिटिश साम्राज्य को खुली चुनौती दी।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार नेताजी की स्मृतियों को संरक्षित करने और उनके विचारों को जन-जन तक पहुँचाने के लिए निरंतर प्रयासरत है। उन्होंने यह भी कहा कि अंडमान-निकोबार में कई ऐतिहासिक स्थलों का नामकरण नेताजी और आजाद हिंद फौज की स्मृति में किया गया है, जिससे आने वाली पीढ़ियाँ उनके योगदान से प्रेरणा ले सकें।
अमित शाह ने कहा, “नेताजी ने उस समय भारत के लिए जो सपना देखा था, वह आज ‘आत्मनिर्भर भारत’ के रूप में साकार हो रहा है। जिस जोश और देशभक्ति से आजाद हिंद फौज लड़ी थी, उसी भावना से आज का भारत आत्मनिर्भरता और वैश्विक नेतृत्व की ओर बढ़ रहा है।”
आजाद हिंद फौज, जिसे इंडियन नेशनल आर्मी (INA) के नाम से भी जाना जाता है, का गठन द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हुआ था। इसमें भारतीय युद्धबंदी और प्रवासी भारतीयों ने हिस्सा लिया था। इसका लक्ष्य था— ब्रिटिश साम्राज्य को उखाड़ फेंकना और भारत को स्वतंत्र करना। नेताजी का प्रसिद्ध नारा “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूँगा” आज भी भारतीय युवाओं के दिलों में जोश भर देता है।
अमित शाह ने अपने भाषण में कहा कि नेताजी का जीवन त्याग, साहस और राष्ट्रप्रेम का अद्भुत उदाहरण है। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे नेताजी के आदर्शों को अपनाएं और भारत को विश्वगुरु बनाने में योगदान दें। उन्होंने कहा कि “नेताजी सुभाष चंद्र बोस केवल एक नेता नहीं, बल्कि भारत की आत्मा का स्वर थे। उन्होंने जो राह दिखाई, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शन का स्रोत है।”
अंडमान-निकोबार में आजाद हिंद फौज और नेताजी की स्मृति में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए। स्थानीय प्रशासन और भारतीय सेना के अधिकारियों ने नेताजी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। बच्चों ने देशभक्ति गीत प्रस्तुत किए और इतिहासकारों ने नेताजी के योगदान पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम के अंत में राष्ट्रगान गूंज उठा और पूरा परिसर “जय हिंद” के नारों से गूंज गया — वही नारा जो नेताजी ने दिया था और जो आज भी भारत की आत्मा में जीवित है।
अमित शाह का यह वक्तव्य और श्रद्धांजलि केवल इतिहास को याद करने का अवसर नहीं था, बल्कि यह राष्ट्र को यह संदेश देने का भी माध्यम था कि आजाद हिंद फौज का संघर्ष व्यर्थ नहीं गया। उनकी वीरता, अनुशासन और देशभक्ति आज भी भारत के आत्मविश्वास और एकता के प्रतीक हैं।