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    सोने-चांदी की कीमतों का क्या होगा अगला रुख? दिवाली के बाद थमी चमक पर जानिए विशेषज्ञों की राय

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    दिवाली से पहले जहां सोने और चांदी के दामों में जबरदस्त तेजी देखने को मिली थी, वहीं अब त्योहारी रौनक के बाद इनकी चमक कुछ फीकी पड़ गई है। निवेशकों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि क्या अब सोने और चांदी के दाम और नीचे जाएंगे या फिर आने वाले दिनों में इनमें फिर से उछाल देखने को मिलेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि वर्तमान गिरावट अल्पकालिक है और आने वाले महीनों में सोना और चांदी दोनों ही फिर से मजबूती पकड़ सकते हैं।

    दिवाली से पहले अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोने की कीमतें 2,400 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच गई थीं, जबकि भारत में 24 कैरेट सोना ₹1,30,000 प्रति 10 ग्राम के पार चला गया था। लेकिन दिवाली के बाद बाजार में मुनाफावसूली और डॉलर की मजबूती के चलते सोना ₹1,27,000 तक फिसल गया। इसी तरह, चांदी अब ₹1,62,000 के आसपास कारोबार कर रही है।

    सोने की कीमतों में गिरावट क्यों आई?

    विशेषज्ञों के अनुसार, सोने की हालिया गिरावट की सबसे बड़ी वजह अंतरराष्ट्रीय बाजार में डॉलर इंडेक्स का मजबूत होना है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में सख्ती के संकेत से सोने पर दबाव बढ़ा है। वहीं, मध्य पूर्व में भू-राजनीतिक तनाव में थोड़ी कमी आने से निवेशकों का रुख इक्विटी की ओर बढ़ा है।

    इसके अलावा, भारत में दिवाली और धनतेरस के दौरान भारी खरीदारी के बाद बाजार में स्वाभाविक रूप से कुछ ठहराव देखा गया है। त्योहारी सीजन में जो कृत्रिम मांग बनी थी, उसके कम होने से कीमतों पर अस्थायी असर पड़ा है।

    आने वाले महीनों का रुख क्या रहेगा?

    विशेषज्ञ मानते हैं कि सोने की यह गिरावट लंबी नहीं चलेगी। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक अनिश्चितता और ब्याज दरों में संभावित कटौती की उम्मीदों के चलते 2025 की पहली तिमाही तक सोना फिर से ऊपर जा सकता है।

    निवेशकों को क्या करना चाहिए?

    निवेश सलाहकारों का कहना है कि वर्तमान गिरावट निवेशकों के लिए एक अच्छा अवसर है। अगर कोई निवेशक लंबी अवधि के लिए सोना या चांदी खरीदना चाहता है, तो यह सही समय हो सकता है। हालांकि, अल्पकालिक ट्रेडिंग करने वालों के लिए बाजार में उतार-चढ़ाव जारी रह सकता है।

    विशेषज्ञ यह भी कहते हैं कि निवेशकों को फिजिकल गोल्ड के बजाय सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) या गोल्ड ईटीएफ (ETF) में निवेश करने पर विचार करना चाहिए। इन साधनों के ज़रिए न केवल सुरक्षा मिलती है, बल्कि ब्याज और पूंजी लाभ का फायदा भी होता है।

    वैश्विक बाजार की स्थिति

    अंतरराष्ट्रीय बाजार में फिलहाल सोना $2,320 प्रति औंस और चांदी $26 प्रति औंस के आसपास कारोबार कर रहे हैं। अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति (Inflation) और बेरोजगारी के आंकड़े आने वाले दिनों में सोने की दिशा तय करेंगे। विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर डॉलर कमजोर होता है और फेड दरों में कटौती करता है, तो सोने में फिर से तेजी लौट सकती है।

    भारत में शादी के सीजन की शुरुआत के चलते आने वाले महीनों में घरेलू मांग भी बढ़ने की उम्मीद है। सर्राफा व्यापारियों का कहना है कि दिसंबर और जनवरी में सोने-चांदी की मांग एक बार फिर बढ़ सकती है, जिससे कीमतों में सुधार संभव है।

    ऐतिहासिक दृष्टि से सुरक्षित निवेश

    सोना हमेशा से ही अनिश्चित आर्थिक माहौल में निवेशकों का भरोसेमंद साथी रहा है। पिछले 10 वर्षों में औसतन सोने ने 8–10 प्रतिशत का वार्षिक रिटर्न दिया है। चांदी ने भी कई बार सोने से बेहतर प्रदर्शन किया है, खासकर तब जब औद्योगिक मांग बढ़ी हो।

    दिवाली के बाद सोना और चांदी की कीमतों में आई गिरावट भले ही निवेशकों को थोड़ी निराश कर रही हो, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि यह केवल एक अस्थायी ठहराव है। दीर्घकालिक दृष्टि से देखा जाए तो सोना और चांदी दोनों ही स्थिर और सुरक्षित निवेश बने रहेंगे।

     

    अगर निवेशक रणनीतिक तरीके से निवेश करें और हर गिरावट को एक अवसर के रूप में देखें, तो आने वाले महीनों में उन्हें बेहतर रिटर्न मिल सकता है। जैसा कि विशेषज्ञ कहते हैं — “सोना गिरता है, लेकिन कभी थमता नहीं।”

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