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    राज्यसभा सांसद नरेश बंसल ने किया 47वें अखिल भारतीय जनसंपर्क सम्मेलन के ब्रोशर का विमोचन, देहरादून बनेगा संवाद का केंद्र

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    देहरादून: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून इस वर्ष एक बड़े राष्ट्रीय आयोजन की मेजबानी करने जा रही है। यहां जल्द ही 47वां अखिल भारतीय जनसंपर्क सम्मेलन (All India Public Relations Conference) आयोजित किया जाएगा। सम्मेलन के आयोजन से पहले राज्यसभा सांसद नरेश बंसल ने देहरादून में इस कार्यक्रम के आधिकारिक ब्रोशर का विमोचन किया। यह समारोह मीडिया और जनसंपर्क जगत के लिए ऐतिहासिक माना जा रहा है।

    कार्यक्रम के दौरान सांसद नरेश बंसल ने कहा कि जनसंपर्क (Public Relations) केवल सूचना के आदान-प्रदान का माध्यम नहीं, बल्कि समाज और शासन के बीच विश्वास का सेतु है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में जनसंपर्क की भूमिका बेहद अहम है, क्योंकि यह जनता की भावनाओं, अपेक्षाओं और सरकार की नीतियों को जोड़ने का काम करता है।

    अखिल भारतीय जनसंपर्क संघ (AIPRPA) द्वारा आयोजित यह सम्मेलन दिसंबर 2025 में देहरादून में आयोजित किया जाएगा। सम्मेलन का उद्देश्य देशभर के जनसंपर्क विशेषज्ञों, मीडिया प्रोफेशनलों और संचार विद्यार्थियों को एक साझा मंच प्रदान करना है, जहां वे नई तकनीकों, रणनीतियों और चुनौतियों पर विचार-विमर्श कर सकें।

    ब्रोशर विमोचन कार्यक्रम में कई प्रतिष्ठित जनसंपर्क विशेषज्ञ, शिक्षाविद और मीडिया प्रतिनिधि उपस्थित रहे। इस मौके पर अखिल भारतीय जनसंपर्क संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. रमेश माथुर ने कहा कि इस सम्मेलन का थीम होगा — “विश्वसनीय संवाद: परिवर्तन का माध्यम” (Trusted Communication: Catalyst for Change)। उन्होंने बताया कि सम्मेलन में देशभर से लगभग 500 प्रतिनिधि शामिल होंगे, जिनमें सरकारी और निजी संस्थानों के पीआर प्रमुख, पत्रकार, कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन अधिकारी और जनसंपर्क के विद्यार्थी भी भाग लेंगे।

    राज्यसभा सांसद नरेश बंसल ने कहा कि देहरादून को इस आयोजन के लिए चुनना गर्व की बात है, क्योंकि यह शहर शिक्षा और संचार के क्षेत्र में लगातार प्रगति कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजन उत्तराखंड की बौद्धिक और सांस्कृतिक विरासत को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में मदद करेंगे।

    उन्होंने आगे कहा, “आज के दौर में सूचना की गति तेज़ है, लेकिन उसके साथ जिम्मेदारी भी बढ़ी है। जनसंपर्क विशेषज्ञों की यह जिम्मेदारी है कि वे सही और सकारात्मक संवाद के माध्यम से समाज में विश्वास और एकता को बनाए रखें।”

    सम्मेलन की आयोजन समिति की ओर से बताया गया कि इस तीन दिवसीय आयोजन में विभिन्न सत्रों का आयोजन किया जाएगा, जिनमें डिजिटल पीआर, मीडिया एथिक्स, सोशल मीडिया मैनेजमेंट, कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन और पब्लिक पॉलिसी कम्युनिकेशन जैसे विषयों पर चर्चा होगी।

    सम्मेलन के दौरान देश के कई प्रसिद्ध संचार विशेषज्ञ जैसे डॉ. कंचन चौधरी, प्रो. अजय माथुर, अनिल कुमार सिंह, और मीना जोशी मुख्य वक्ता के रूप में शामिल होंगी। इसके अलावा, कार्यक्रम में युवा जनसंपर्क प्रोफेशनलों के लिए कार्यशालाएं (Workshops) और संवाद सत्र (Interactive Sessions) भी रखे जाएंगे, ताकि उन्हें व्यावहारिक अनुभव और नेटवर्किंग के अवसर मिल सकें।

    अखिल भारतीय जनसंपर्क संघ (AIPRPA) की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि सम्मेलन का मकसद केवल चर्चा तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसमें कई ठोस प्रस्ताव और रणनीतियाँ भी तय की जाएंगी, जिनके ज़रिए देशभर में जनसंपर्क शिक्षा और प्रशिक्षण को और सशक्त बनाया जा सके।

    राज्यसभा सांसद बंसल ने कहा कि जनसंपर्क पेशेवरों को आज की सूचना-प्रधान दुनिया में नैतिकता और पारदर्शिता को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे सोशल मीडिया जैसे प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग केवल प्रचार के लिए नहीं, बल्कि जनजागरण और सकारात्मक संवाद के लिए करें।

    इस अवसर पर उत्तराखंड सूचना विभाग के अधिकारी, मीडिया कॉलेजों के प्राध्यापक, और कई सरकारी संस्थानों के पीआर अधिकारी भी उपस्थित रहे। सभी ने एक स्वर में कहा कि इस सम्मेलन से उत्तराखंड के युवाओं को सीखने और अवसर प्राप्त करने का बड़ा मंच मिलेगा।

    ब्रोशर विमोचन समारोह के अंत में धन्यवाद ज्ञापन करते हुए आयोजन समिति के सचिव सुनील शर्मा ने कहा कि देहरादून में होने वाला यह सम्मेलन न केवल राज्य बल्कि देशभर के जनसंपर्क क्षेत्र को नई दिशा देगा। उन्होंने बताया कि सम्मेलन की तैयारियाँ अंतिम चरण में हैं और आयोजन स्थल के रूप में देहरादून का प्रमुख होटल एवं कन्वेंशन सेंटर चुना गया है।

    कुल मिलाकर, 47वां अखिल भारतीय जनसंपर्क सम्मेलन केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि यह एक ऐसा अवसर है जो देश के संचार जगत को नई ऊर्जा देगा। सांसद नरेश बंसल के शब्दों में, “जनसंपर्क ही वह सूत्र है जो समाज, सरकार और नागरिकों के बीच संवाद को जीवंत रखता है — और यही किसी लोकतंत्र की असली शक्ति है।”

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