• Create News
  • Nominate Now

    ‘जनसंघ-आरएसएस ने कर्पूरी ठाकुर की सरकार नहीं गिराई?’ — कांग्रेस ने पीएम मोदी से किए तीन तीखे सवाल, बिहार चुनाव में गरमाई सियासत

    इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं।

    बिहार विधानसभा चुनाव प्रचार अभियान के साथ ही राजनीतिक बयानबाजी तेज होती जा रही है। इसी बीच कांग्रेस पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोला है और तीन गंभीर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश कर रहे हैं और बिहार की जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। पार्टी ने सवाल किया कि क्या जनसंघ और आरएसएस ने कभी समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर की सरकार नहीं गिराई थी?

    कांग्रेस प्रवक्ताओं ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जब कर्पूरी ठाकुर का नाम लेकर सम्मान की बात करते हैं, तो उन्हें यह भी याद रखना चाहिए कि उनकी ही विचारधारा वाली पार्टी—जनसंघ—और आरएसएस ने उस समय कर्पूरी ठाकुर की सरकार को अस्थिर करने में अहम भूमिका निभाई थी। कांग्रेस ने कहा कि प्रधानमंत्री को इतिहास को चुनिंदा रूप से नहीं, बल्कि संपूर्णता में पेश करना चाहिए।

    कर्पूरी ठाकुर, जिन्हें “जनता के नेता” और “गरीबों के मसीहा” के रूप में जाना जाता है, बिहार के पहले ऐसे मुख्यमंत्री थे जिन्होंने सामाजिक न्याय और पिछड़ों के उत्थान की दिशा में साहसिक कदम उठाए। उन्होंने आरक्षण की नीति लागू की और सामाजिक समरसता के लिए बड़े फैसले लिए। कांग्रेस का कहना है कि उस दौर में जनसंघ और आरएसएस ने ठाकुर की नीतियों का विरोध किया था और सत्ता अस्थिर करने के प्रयास किए थे।

    पार्टी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी आज कर्पूरी ठाकुर के नाम का राजनीतिक उपयोग कर रहे हैं, जबकि वास्तविकता यह है कि ठाकुर के सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के सबसे बड़े विरोधी जनसंघ और आरएसएस ही थे। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, “प्रधानमंत्री को बताना चाहिए कि क्या जनसंघ और आरएसएस ने कर्पूरी ठाकुर की सरकार गिराने की कोशिश नहीं की थी? क्या वे सामाजिक न्याय की नीतियों के खिलाफ नहीं थे?”

    कांग्रेस ने दूसरा सवाल जाति जनगणना को लेकर उठाया। पार्टी ने कहा कि भाजपा और उसकी सरकार ने पहले जातिगत जनगणना के विचार को ‘अर्बन नक्सल एजेंडा’ बताकर खारिज किया था। कांग्रेस ने पूछा कि “क्या यह दलितों, पिछड़ों और वंचित वर्गों का अपमान नहीं था?” पार्टी का कहना है कि जाति जनगणना समाज में समानता और प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने का साधन है, और इसे नक्सली विचार कहकर नकारना सामाजिक न्याय की भावना पर प्रहार है।

    तीसरा सवाल कांग्रेस ने प्रधानमंत्री मोदी की “समावेशी राजनीति” की बातों पर उठाया। पार्टी ने कहा कि भाजपा सरकार ने पिछले दस वर्षों में पिछड़े वर्गों और दलित समुदायों के उत्थान के लिए वास्तविक रूप से क्या किया है? कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, “प्रधानमंत्री जब समावेश की बात करते हैं, तो उन्हें अपने कार्यकाल में किए गए ठोस कदमों की सूची भी जनता के सामने रखनी चाहिए। केवल भाषणों और भावनात्मक अपील से सामाजिक न्याय नहीं आता।”

    कांग्रेस ने इस अवसर पर यह भी कहा कि बिहार की जनता इतिहास को जानती है और उसे गुमराह नहीं किया जा सकता। पार्टी ने दावा किया कि भाजपा चुनावी लाभ के लिए कर्पूरी ठाकुर जैसे महान समाजवादी नेताओं की विरासत को अपने राजनीतिक प्रचार का हिस्सा बना रही है, जबकि उनकी नीतियों को कभी स्वीकार नहीं किया था।

    प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा कि “कर्पूरी ठाकुर ने हमेशा समानता, सामाजिक न्याय और शिक्षा के अवसरों की बात की थी। वे चाहते थे कि हर गरीब और पिछड़ा व्यक्ति समाज की मुख्यधारा में शामिल हो। लेकिन भाजपा और आरएसएस की विचारधारा हमेशा इस सोच के विरोध में रही है। आज जो लोग ठाकुर का नाम ले रहे हैं, उन्होंने ही उस समय उनकी नीतियों को असफल बताने की कोशिश की थी।”

    कांग्रेस ने यह भी कहा कि अगर प्रधानमंत्री वास्तव में ठाकुर के विचारों का सम्मान करते हैं, तो उन्हें जाति जनगणना को तत्काल लागू करना चाहिए और पिछड़े वर्गों के लिए नीति निर्माण में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए। पार्टी ने मांग की कि केंद्र सरकार सार्वजनिक रूप से यह स्पष्ट करे कि वह जाति आधारित जनगणना को कब लागू करेगी और किन ठोस कदमों पर विचार कर रही है।

    बिहार में इस राजनीतिक बयानबाजी ने चुनावी माहौल को और गरमा दिया है। कांग्रेस और भाजपा के बीच शब्दों की जंग तेज होती जा रही है। जहां भाजपा खुद को कर्पूरी ठाकुर की नीतियों का समर्थक बताने की कोशिश कर रही है, वहीं कांग्रेस इसे “राजनीतिक अवसरवाद” बता रही है।

    राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बिहार में जातिगत समीकरण हमेशा से चुनावी रणनीति का अहम हिस्सा रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस द्वारा जाति जनगणना और कर्पूरी ठाकुर की विरासत को लेकर उठाए गए सवाल भाजपा को रक्षात्मक मुद्रा में ला सकते हैं।

    कांग्रेस ने अपने बयान के अंत में कहा कि यह समय इतिहास से सीखने का है, न कि उसे अपने अनुसार गढ़ने का। पार्टी ने दोहराया कि बिहार की जनता सच्चाई को जानती है और अब भावनात्मक भाषणों के बजाय ठोस नीतियों और जवाबदेही की मांग करेगी।

    इस तरह, बिहार चुनाव प्रचार में कांग्रेस ने प्रधानमंत्री मोदी पर सीधा निशाना साधते हुए जनसंघ, आरएसएस, और सामाजिक न्याय के मुद्दों को एक बार फिर केंद्र में ला दिया है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा इस हमले का क्या जवाब देती है और बिहार की राजनीति किस दिशा में जाती है।

    न्यूज़ शेयर करने के लिए क्लिक करें .
  • Advertisement Space

    Related Posts

    लाडकी बहिन योजना में 164 करोड़ रुपये का खुलासा: आदित्य ठाकरे ने पूछा – क्या यह बिना राजनीतिक वरदहस्त के संभव था?

    इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं। महाराष्ट्र की महायुति सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ‘माझी लाडकी बहिन योजना’ इन दिनों विवादों में है। राज्य में महिलाओं को…

    Continue reading
    भारत-अमेरिका ट्रेड डील पर जल्द मुहर! अंतिम चरण में वार्ता, 2030 तक 500 अरब डॉलर व्यापार का लक्ष्य तय

    इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं। भारत और अमेरिका के बीच चल रही बहुप्रतीक्षित द्विपक्षीय व्यापार डील (Bilateral Trade Deal) अब अपने अंतिम चरण में पहुंच…

    Continue reading

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *