इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं।

बंगाल की खाड़ी में तेजी से विकसित हो रहा दबाव क्षेत्र अब चक्रवात ‘मोंथा’ के रूप में आकार लेने लगा है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने बताया कि यह सिस्टम अगले 48 घंटे में और मजबूत होकर गंभीर चक्रवाती तूफान (Severe Cyclonic Storm) का रूप ले सकता है। इस संभावित चक्रवात से आंध्र प्रदेश, ओडिशा और तमिलनाडु के तटीय जिलों में भारी बारिश और तेज हवाओं का खतरा बढ़ गया है।
IMD ने इन तीनों राज्यों के तटीय इलाकों — खासकर आंध्र प्रदेश के यनम, श्रीकाकुलम, विशाखापट्टनम, गोदावरी क्षेत्र, दक्षिण ओडिशा के गजपति, गंजाम और कोरापुट जिले, और उत्तरी तमिलनाडु के नागपट्टिनम, कडलूर और चेन्नई तट — में चक्रवात-पूर्व चेतावनी (Pre-Cyclone Watch) जारी की है।
मौसम विभाग के अनुसार, वर्तमान में यह दबाव क्षेत्र बंगाल की खाड़ी के मध्य हिस्से में सक्रिय है और धीरे-धीरे उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर बढ़ रहा है। इसके 28 अक्टूबर तक तटीय आंध्र प्रदेश और ओडिशा के तट से टकराने की संभावना जताई जा रही है। इस दौरान हवा की गति 100–120 किलोमीटर प्रति घंटा तक पहुंच सकती है, जिससे पेड़ उखड़ने, बिजली के खंभे गिरने और समुद्री लहरों के उफान की स्थिति बन सकती है।
IMD के महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय मोहपात्रा ने बताया कि “मोंथा” का असर केवल तटीय राज्यों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसका प्रभाव तेलंगाना, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, झारखंड और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में भी देखने को मिल सकता है। यहां अगले कुछ दिनों तक मध्यम से भारी वर्षा की संभावना है।
सरकारी एजेंसियों ने सतर्कता बरतते हुए सभी मछुआरों को समुद्र में न जाने की सलाह दी है। समुद्री क्षेत्रों में लहरों की ऊंचाई 3 से 4 मीटर तक बढ़ सकती है। आंध्र प्रदेश और ओडिशा के तटीय जिलों में नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स (NDRF) की टीमें तैनात की जा रही हैं ताकि किसी भी आपात स्थिति से निपटा जा सके।
राज्य सरकारों ने निचले इलाकों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने की तैयारी शुरू कर दी है। तटीय गांवों में राहत शिविर स्थापित किए जा रहे हैं और स्कूलों को अस्थायी शरण स्थलों के रूप में तैयार किया गया है। बिजली, पेयजल और संचार व्यवस्था को लेकर भी अधिकारियों को अलर्ट पर रखा गया है।
इसी बीच, मौसम विभाग ने यह भी जानकारी दी कि पूर्व-मध्य अरब सागर में बना एक अन्य दबाव क्षेत्र भी महाराष्ट्र, गोवा और कर्नाटक के मौसम को प्रभावित कर सकता है। इससे इन राज्यों के कई हिस्सों में अगले 2 से 3 दिनों तक हल्की से मध्यम बारिश और तेज हवाएं चलने की संभावना है।
IMD की रिपोर्ट के अनुसार, बंगाल की खाड़ी में हर साल अक्टूबर-नवंबर के दौरान ऐसे चक्रवातों का बनना सामान्य है, लेकिन “मोंथा” की गति और दिशा को देखते हुए यह मध्यम से गंभीर श्रेणी का तूफान साबित हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि समुद्री तापमान में वृद्धि और जलवायु परिवर्तन ऐसे तूफानों की तीव्रता को बढ़ा रहे हैं।
ओडिशा के विशेष राहत आयुक्त (SRC) ने बताया कि राज्य प्रशासन पूरी तरह तैयार है। सभी जिला कलेक्टरों को अलर्ट पर रखा गया है और संवेदनशील इलाकों में राहत सामग्री पहले से पहुंचाई जा चुकी है। वहीं आंध्र प्रदेश सरकार ने एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की 15 टीमें प्रभावित क्षेत्रों में भेजने की घोषणा की है।
तमिलनाडु सरकार ने भी चेन्नई सहित तटीय जिलों में स्कूलों और कॉलेजों को दो दिनों के लिए बंद करने का निर्णय लिया है। मछुआरों को चेतावनी दी गई है कि वे अगले आदेश तक समुद्र में न जाएं।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर “मोंथा” अपनी वर्तमान दिशा में बढ़ता रहा, तो यह चक्रवात ओडिशा के दक्षिणी तट या आंध्र के उत्तरी हिस्से को पार कर सकता है, जिससे 28 और 29 अक्टूबर को भारी से अति भारी वर्षा की स्थिति बन सकती है।
मौसम विभाग ने नागरिकों से अपील की है कि वे अफवाहों से बचें और केवल आधिकारिक स्रोतों से प्राप्त जानकारी पर भरोसा करें। साथ ही, घरों में आवश्यक वस्तुएं और बैटरी से चलने वाले उपकरण तैयार रखें ताकि आपात स्थिति में परेशानी न हो।
इस प्रकार, आने वाले कुछ दिन दक्षिण और पूर्वी भारत के कई राज्यों के लिए चुनौतीपूर्ण रह सकते हैं। प्रशासनिक सतर्कता और जन-जागरूकता ही इस संभावित आपदा से होने वाले नुकसान को कम कर सकती है।








