इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं।

कहते हैं कि अगर इरादे मजबूत हों तो कोई भी मंज़िल मुश्किल नहीं होती। इसका बेहतरीन उदाहरण राजस्थान के टोंक जिले के देवली अस्पताल के तीन नर्सिंग कर्मचारियों ने पेश किया है। अपनी ड्यूटी के साथ-साथ दिन-रात की मेहनत से इन तीनों ने राजस्थान प्रशासनिक सेवा (RAS) परीक्षा पास कर ली है। अब ये कर्मचारी आरएएस अधिकारी बनकर न केवल अपने परिवार, बल्कि पूरे देवली क्षेत्र का नाम रोशन कर रहे हैं।
देवली हॉस्पिटल, जो अब तक मरीजों की सेवा के लिए जाना जाता था, अब प्रेरणा का केंद्र बन गया है। यहां के कर्मचारी अब यह साबित कर रहे हैं कि सरकारी नौकरी के साथ भी अगर लगन और अनुशासन हो, तो सफलता को पाया जा सकता है।
तीनों नर्सिंग स्टाफ ने रचा इतिहास
देवली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के नर्सिंग स्टाफ के तीन कर्मचारियों — महेश कुमार, ललित मीणा और नितिन शर्मा — ने इस साल घोषित राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) की परीक्षा में सफलता हासिल की है। तीनों ने आरएएस परीक्षा पास कर अपने सपनों को साकार किया है।
तीनों का कहना है कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि एक दिन नर्सिंग की ड्यूटी के साथ-साथ वे प्रशासनिक अधिकारी के रूप में राज्य की सेवा करेंगे। उन्होंने अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि हॉस्पिटल की व्यस्तता के बीच भी उन्होंने हर दिन पढ़ाई के लिए समय निकाला और एक रूटीन बनाकर उसे पालन किया।
दिन में सेवा, रात में अध्ययन का संघर्ष
महेश कुमार ने बताया कि उनकी ड्यूटी अक्सर इमरजेंसी वॉर्ड में लगती थी, जहां दिन और रात का फर्क मिट जाता है। लेकिन उन्होंने अपने लक्ष्य को कभी नहीं छोड़ा। ड्यूटी के बाद दो से तीन घंटे की पढ़ाई उनकी दिनचर्या का हिस्सा बन गई।
ललित मीणा ने कहा, “देवली हॉस्पिटल की नाइट शिफ्ट में काम करते हुए भी मैंने हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश की। ऑफिसर्स की तरह काम करने की इच्छा ही मेरी प्रेरणा बनी।”
वहीं नितिन शर्मा ने कहा कि हॉस्पिटल में मरीजों के साथ काम करने से उनमें धैर्य और संवेदना विकसित हुई, जो प्रशासनिक सेवा के लिए जरूरी गुण हैं।
देवली हॉस्पिटल बना प्रेरणा का केंद्र
देवली हॉस्पिटल के कर्मचारी अब इन तीनों साथियों की सफलता से बेहद खुश हैं। अस्पताल के प्रमुख डॉ. अनिल शर्मा ने कहा, “हमारे नर्सिंग स्टाफ ने दिखा दिया कि मेहनत और लगन से कोई भी अपनी राह बना सकता है। आज देवली का नाम पूरे राजस्थान में गर्व से लिया जा रहा है।”
अब देवली हॉस्पिटल में काम करने वाले कई अन्य कर्मचारी भी प्रशासनिक परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। हॉस्पिटल के भीतर एक “स्टडी ग्रुप” बनाया गया है, जहां कर्मचारी अपनी शिफ्ट के बाद मिलकर पढ़ाई करते हैं और एक-दूसरे की मदद करते हैं।
परिवार और सहयोगियों का साथ
तीनों नवनियुक्त आरएएस अधिकारियों ने अपनी सफलता का श्रेय परिवार और सहयोगियों को दिया। महेश कुमार ने कहा कि परिवार ने कभी उनके काम और पढ़ाई के बीच संतुलन बनाने को लेकर शिकायत नहीं की। ललित मीणा ने बताया कि उनके सीनियर डॉक्टरों ने भी उन्हें समय-समय पर प्रोत्साहित किया और परीक्षा की तैयारी के दौरान जरूरी गाइडेंस दी।
राजस्थान में बनी नई मिसाल
देवली हॉस्पिटल का यह उदाहरण अब पूरे राजस्थान में प्रेरणादायक बन गया है। जहां आम तौर पर नर्सिंग और प्रशासनिक सेवाओं के बीच कोई संबंध नहीं दिखता, वहीं इन तीनों ने साबित कर दिया कि इच्छाशक्ति सबसे बड़ा हथियार होती है।
राज्य सरकार के एक अधिकारी ने कहा, “देवली हॉस्पिटल के ये कर्मचारी आने वाले युवाओं के लिए रोल मॉडल बन गए हैं। यह दिखाता है कि यदि सरकारी कर्मचारी चाहे तो अपनी सीमाओं को पार कर समाज में नई दिशा दे सकता है।”
भविष्य की योजनाएं
तीनों नवनियुक्त आरएएस अधिकारी अब राज्य के विभिन्न विभागों में अपनी सेवाएं देने की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वे स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े अनुभवों का उपयोग समाज और प्रशासन के बेहतर प्रबंधन के लिए करेंगे। उनका लक्ष्य है कि वे ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य व्यवस्था को और सशक्त बनाने के लिए काम करें।
देवली का यह ‘नर्सिंग पॉवर’ सिर्फ एक खबर नहीं, बल्कि एक संदेश है — कि अगर मेहनत, लगन और लक्ष्य के प्रति समर्पण हो, तो कोई भी व्यक्ति अपनी पहचान खुद बना सकता है। देवली हॉस्पिटल आज न केवल इलाज का केंद्र है, बल्कि यह साबित कर चुका है कि यहां से नर्सिंग स्टाफ भी आरएएस अधिकारी बन सकता है।








