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इंदौर, जिसे अक्सर स्वच्छ और सुरक्षित शहर के रूप में जाना जाता है, इस बार मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के बयान के कारण सुर्खियों में है। हाल ही में ऑस्ट्रेलियाई महिला क्रिकेटरों के साथ हुई छेड़छाड़ की घटना ने शहर की सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठाए। इस घटना के बाद मंत्री विजयवर्गीय ने एक बयान दिया, जिसने विवाद को और बढ़ा दिया। उन्होंने कहा कि अगर महिलाएं बाहर निकलती हैं, तो पुलिस और प्रशासन को पहले बता दें, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या इंदौर वास्तव में इतना असुरक्षित है कि बेटियों को अपनी मौजूदगी की सूचना देना जरूरी हो।
मंत्री का यह बयान न केवल महिलाओं की सुरक्षा को लेकर असहजता पैदा कर रहा है, बल्कि शहर की छवि पर भी गंदा धब्बा लगा रहा है। इंदौर को हमेशा स्वच्छता और सुरक्षित वातावरण के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है, लेकिन इस बयान ने शहर के इस प्रतिष्ठान को झकझोर दिया है।
स्थानीय नागरिकों और महिला संगठनों ने मंत्री के बयान की आलोचना की है। उनका कहना है कि महिलाओं को अपनी सुरक्षा के लिए लगातार अपने कदम की रिपोर्ट देना पड़ना सकारात्मक सुरक्षा उपाय की बजाय एक असुरक्षा की चेतावनी देता है। उनका यह भी मानना है कि प्रशासन और पुलिस का काम यह सुनिश्चित करना है कि नागरिक बिना डर के बाहर निकल सकें, न कि महिलाओं को खुद अपनी गतिविधियों की जानकारी देने के लिए मजबूर किया जाए।
इस बीच, ऑस्ट्रेलियाई महिला क्रिकेटरों के साथ हुई घटना ने इंदौर की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाए हैं। शहर में सार्वजनिक स्थानों की सुरक्षा, कैमरा निगरानी, पुलिस की त्वरित प्रतिक्रिया और महिला सुरक्षा के उपायों की आवश्यकता को लेकर बहस तेज हो गई है। सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे बयानों से न केवल शहरवासियों में असुरक्षा की भावना बढ़ती है, बल्कि पर्यटन और खेल आयोजनों की साख पर भी असर पड़ सकता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि मंत्री का यह बयान जनता की संवेदनशीलता और शहर की प्रतिष्ठा दोनों के लिए नकारात्मक साबित हो सकता है। उनके अनुसार, सार्वजनिक पदों पर रहने वाले नेताओं को ऐसे मामलों में सतर्क और जिम्मेदार बयान देना चाहिए, जिससे महिलाओं और नागरिकों का भरोसा बढ़े, न कि कम।
महिला अधिकार संगठन और सोशल मीडिया पर नागरिकों की प्रतिक्रिया में यह देखा गया कि कई लोग मंत्री के बयान को महिलाओं की स्वतंत्रता और सम्मान के खिलाफ मान रहे हैं। उनका कहना है कि बेटियों को हमेशा किसी सूचना या अनुमति के लिए बाध्य करना उनकी व्यक्तिगत आज़ादी पर चोट करता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि शहर की सुरक्षा व्यवस्था में सुधार और महिलाओं के लिए सुरक्षित माहौल बनाना सिर्फ नीति और नियमों से नहीं, बल्कि व्यवहारिक कार्रवाई और सामाजिक जागरूकता से भी संभव है। ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटरों के साथ हुई घटना को लेकर प्रशासन को सख्त और प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है, ताकि भविष्य में ऐसे हादसे न हों।
इंदौर के नागरिक और स्थानीय पत्रकार भी शहर की सुरक्षा और प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि मंत्री के बयान से यह संदेश जाता है कि महिलाओं की सुरक्षा उनकी जिम्मेदारी नहीं, बल्कि उनकी ही सावधानी पर निर्भर है, जो समाज में असमानता और असुरक्षा की भावना को बढ़ाता है।
कुल मिलाकर, मंत्री कैलाश विजयवर्गीय का यह बयान न केवल इंदौर की छवि पर असर डालता है, बल्कि महिलाओं की सुरक्षा और समाज में उनकी स्वतंत्रता को लेकर एक बड़ा बहस का मुद्दा बन गया है। शहर को एक सुरक्षित, स्वच्छ और समृद्ध स्थान बनाने के लिए प्रशासन, नागरिक और नेता सभी को मिलकर जिम्मेदारी निभानी होगी। महिलाओं को बिना डर के बाहर निकलने की सुविधा देने के लिए ठोस कदम उठाना अब और भी जरूरी हो गया है।
इस घटना और बयान के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि केवल स्वच्छता और सुंदरता ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि सुरक्षा और न्यायसंगत प्रशासन भी किसी शहर की सच्ची पहचान है। इंदौरवासियों और देशभर के लोगों की निगाहें अब इस बात पर हैं कि सरकार और प्रशासन इस मामले में कदम कैसे उठाते हैं और बेटियों के लिए एक सुरक्षित वातावरण कैसे सुनिश्चित करते हैं।








