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    नोएडा एयरपोर्ट के लिए जमीन देने वाले गरीब बेहाल: 2000 TDS वाला पानी और रोजगार की कमी से जूझ रहे विस्थापित

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    नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के निर्माण के लिए जमीन देने वाले गरीब और विस्थापित परिवारों की हालत गंभीर हो गई है। एयरपोर्ट परियोजना के लिए अपनी जमीन देने वाले इन परिवारों को न केवल आर्थिक और सामाजिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि उनका जीवन भी कठिन परिस्थितियों में गुजर रहा है। हाल ही में यह सामने आया है कि विस्थापित लोगों को 2000 TDS वाला पानी पीने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

    इन परिवारों के लिए रोजगार की समस्या भी गंभीर बनी हुई है। एयरपोर्ट परियोजना से प्रभावित हुए लोगों में कई लोग ऐसे हैं, जिनके पास पहले अपनी जमीन थी और कृषि या छोटे व्यवसाय से उनका जीवन चलता था। जमीन छिनने के बाद अब उनके पास रोजगार के विकल्प सीमित हो गए हैं। इस वजह से उन्हें अपने परिवार की जरूरतें पूरी करने में कठिनाई हो रही है।

    स्वास्थ्य सेवाओं की कमी भी विस्थापित लोगों के लिए बड़ा संकट बन चुकी है। स्थानीय प्रशासन और संबंधित अधिकारियों की ओर से उन्हें सुविधाजनक चिकित्सा व्यवस्था नहीं मिल पा रही है। 2000 TDS वाला पानी पीने के कारण लोगों में स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याएं देखने को मिल रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि लंबे समय तक उच्च TDS वाला पानी पीने से किडनी और पेट से जुड़ी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।

    विस्थापित लोगों का कहना है कि उन्हें वास्तविक मुआवजा और जीवन यापन के साधन नहीं मिले हैं। उनका कहना है कि एयरपोर्ट परियोजना के पीछे देश की प्रगति की बात की जाती है, लेकिन वास्तविकता में जो लोग जमीन दे चुके हैं, वे बुनियादी सुविधाओं से वंचित रह गए हैं।

    समाजशास्त्रियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि ऐसे बड़े परियोजनाओं में विस्थापित लोगों के अधिकार और जीवन स्तर की अनदेखी करना गंभीर समस्या है। वे यह भी मानते हैं कि सरकार और परियोजना प्रबंधन को केवल भूमि अधिग्रहण तक सीमित नहीं रहकर लोगों के रोजगार, स्वास्थ्य और जीवन स्तर में सुधार की दिशा में कदम उठाने चाहिए।

    स्थानीय प्रशासन ने विस्थापित लोगों को आश्वासन दिया है कि उनके जीवन स्तर सुधारने के लिए योजनाएं बनाई जाएंगी। लेकिन फिलहाल की स्थिति में इन परिवारों का जीवन कठिनाइयों और असुविधाओं से भरा हुआ है। लोगों की मांग है कि उन्हें पीने के सुरक्षित पानी, रोजगार और स्वास्थ्य सुविधाएं तुरंत उपलब्ध कराई जाएं।

    विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि बड़े प्रोजेक्ट के दौरान प्रभावित समुदायों को स्थायी समाधान और आर्थिक सुरक्षा देने के लिए विशेष योजनाएं बनाई जानी चाहिए। नोएडा एयरपोर्ट के मामले में यह विशेष रूप से जरूरी है क्योंकि हजारों परिवारों का जीवन सीधे प्रभावित हुआ है और उनके पास कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है।

    विस्थापित लोग और उनके परिवार इस कठिन स्थिति में लगातार संघर्ष कर रहे हैं। उन्हें यह आशंका है कि यदि समय रहते उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया गया तो स्वास्थ्य और सामाजिक संकट और बढ़ सकता है। इसके साथ ही उनके रोजगार के अवसरों की कमी भी भविष्य में उनके बच्चों के जीवन और शिक्षा को प्रभावित कर सकती है।

    कुल मिलाकर, नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए जमीन देने वाले गरीब परिवारों की स्थिति चिंताजनक है। उन्हें न केवल उच्च TDS वाला पानी पीने की मजबूरी झेलनी पड़ रही है, बल्कि रोजगार और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी भी उनके जीवन को कठिन बना रही है। विशेषज्ञ और मानवाधिकार कार्यकर्ता जोर दे रहे हैं कि प्रशासन को अब तुरंत और प्रभावी कदम उठाने होंगे ताकि इन परिवारों का जीवन सामान्य और सुरक्षित हो सके।

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