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उज्जैन के प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में अब वीआईपी भक्तों के दर्शन पर लाइव मॉनिटरिंग सिस्टम लागू कर दिया गया है। यह व्यवस्था उन सभी लोगों के लिए एक बड़ा कदम मानी जा रही है जो मंदिर में विशेष या वीआईपी दर्शन के दौरान होने वाली अनियमितताओं पर सवाल उठाते रहे हैं। अब हर वीआईपी श्रद्धालु की जानकारी, उनकी एंट्री, और दर्शन का पूरा रिकॉर्ड रियल टाइम में दर्ज किया जा रहा है।
मंदिर प्रशासन के अनुसार, यह प्रणाली तीन स्तरों की जांच व्यवस्था के तहत काम करेगी। सबसे पहले, वीआईपी दर्शन की स्वीकृति के दौरान उनकी जानकारी ऑनलाइन रजिस्टर होगी। इसके बाद दर्शन के समय कैमरों से लाइव मॉनिटरिंग होगी, और तीसरे चरण में यह डेटा सीधे मंदिर प्रशासक और उच्च अधिकारियों के मोबाइल पर रियल टाइम अपडेट के रूप में पहुंचेगा।
महाकाल मंदिर समिति के प्रशासक ने बताया कि इस नई व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ाना है। पहले कई बार शिकायतें सामने आई थीं कि वीआईपी दर्शन के नाम पर आम श्रद्धालुओं को दर्शन के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है। कुछ मामलों में यह भी आरोप लगे कि कुछ अधिकारी या जनप्रतिनिधि अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर प्राथमिकता पा जाते हैं। लेकिन अब ऐसा संभव नहीं होगा, क्योंकि हर वीआईपी दर्शन का रिकॉर्ड स्वतः डिजिटल रूप में दर्ज हो जाएगा।
मंदिर में लगे सीसीटीवी कैमरे और बायोमेट्रिक सिस्टम के जरिए सभी वीआईपी श्रद्धालुओं की गतिविधियों की निगरानी की जा रही है। मंदिर प्रशासन ने बताया कि यह डेटा 24 घंटे तक सुरक्षित रहता है और किसी भी संदिग्ध गतिविधि या नियम उल्लंघन की स्थिति में तत्काल कार्रवाई की जा सकेगी।
उज्जैन कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने बताया कि यह व्यवस्था न केवल मंदिर की प्रतिष्ठा बढ़ाने में मदद करेगी, बल्कि आम श्रद्धालुओं को यह भरोसा भी देगी कि कोई भी व्यक्ति विशेष सुविधा का अनुचित लाभ नहीं उठा सकता। उन्होंने कहा, “महाकाल मंदिर पूरी दुनिया के आस्था का केंद्र है। यहां किसी भी प्रकार का भेदभाव या अनुचित विशेषाधिकार अस्वीकार्य है। इसीलिए हमने तकनीक की मदद से व्यवस्था को पूरी तरह पारदर्शी बनाया है।”
दरअसल, महाकाल मंदिर में प्रतिदिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं। नवरात्र, सावन और महाशिवरात्रि जैसे पर्वों के दौरान यहां भक्तों की भीड़ कई गुना बढ़ जाती है। ऐसे में वीआईपी दर्शन व्यवस्था को लेकर हमेशा से विवाद रहा है। कई बार सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हुए, जिनमें वीआईपी दर्शन के दौरान आम श्रद्धालुओं को रोके जाने के दृश्य देखे गए थे।
इन्हीं शिकायतों को देखते हुए महाकाल मंदिर प्रबंधन समिति ने तकनीक के सहारे इस समस्या का समाधान खोजा। अब हर वीआईपी की एंट्री गेट से लेकर नंदी हॉल और गर्भगृह तक की यात्रा पर नजर रखी जा रही है।
प्रशासन के अनुसार, तीन प्रमुख स्थानों पर प्रोटोकॉल चेक पॉइंट्स बनाए गए हैं —
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मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार पर रजिस्ट्रेशन स्कैनिंग,
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नंदी हॉल के बाहर पहचान सत्यापन,
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गर्भगृह के पास अंतिम चरण की मॉनिटरिंग और रिपोर्टिंग।
इन सभी स्थानों पर लगाए गए हाई-डेफिनिशन कैमरे और स्वचालित रिपोर्टिंग सिस्टम के जरिए डेटा मंदिर प्रशासन के कंट्रोल रूम तक पहुंचता है।
इसके अलावा, अब यह भी तय किया गया है कि जनप्रतिनिधियों और वरिष्ठ अधिकारियों को भी बिना पूर्व अनुमति के वीआईपी दर्शन की सुविधा नहीं मिलेगी। उन्हें भी सामान्य प्रक्रिया के तहत अनुमति लेनी होगी। इससे यह सुनिश्चित होगा कि किसी भी व्यक्ति को धर्मस्थल पर विशेषाधिकार के आधार पर प्राथमिकता नहीं दी जा सकेगी।
मंदिर के पुजारियों और सेवकों ने इस नई व्यवस्था का स्वागत किया है। उनका कहना है कि यह प्रणाली न केवल भीड़ प्रबंधन में मदद करेगी, बल्कि विवादों को भी खत्म करेगी। महाकाल मंदिर के एक पुजारी ने कहा, “कई बार वीआईपी दर्शन को लेकर हमारे ऊपर भी अनावश्यक दबाव रहता था। अब सब कुछ रिकॉर्ड पर रहेगा, जिससे निष्पक्षता बनी रहेगी।”
महाकाल मंदिर की यह तकनीकी पहल अब अन्य धार्मिक स्थलों के लिए भी एक मॉडल के रूप में देखी जा रही है। खबर है कि उज्जैन प्रशासन ने इसकी सफलता के बाद इसे ओंकारेश्वर और उज्जैन के काल भैरव मंदिर में भी लागू करने की योजना बनाई है।
आम श्रद्धालुओं ने भी इस कदम की सराहना की है। उनका कहना है कि अगर प्रशासन इस व्यवस्था को सख्ती से लागू करे तो वीआईपी कल्चर खत्म होगा और सबको समान रूप से दर्शन का अवसर मिलेगा।
श्री महाकालेश्वर मंदिर के इस नए मॉनिटरिंग सिस्टम ने एक बार फिर साबित किया है कि तकनीक और परंपरा का संगम जब सही दिशा में होता है, तो धर्मस्थलों पर भी पारदर्शिता और विश्वास बढ़ता है।








