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राजस्थान हाईकोर्ट ने नाबालिग से दुष्कर्म मामले में दोषी ठहराए गए आसाराम बापू को छह महीने की मेडिकल जमानत दी है। यह पहली बार है जब आसाराम जेल से बाहर आए हैं। अदालत ने यह फैसला उनके स्वास्थ्य संबंधी कारणों के आधार पर सुनाया।
आसाराम को सालों से नाबालिग से दुष्कर्म और यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोपों के चलते जेल में रखा गया था। इस केस ने राष्ट्रीय स्तर पर काफी सुर्खियां बटोरीं। दोषी घोषित होने के बाद भी अब उनके स्वास्थ्य के कारण अदालत ने राहत देने का निर्णय लिया।
हाईकोर्ट का निर्णय और जमानत की शर्तें
राजस्थान हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि आसाराम को छह महीने के लिए मेडिकल जमानत दी जाए। जमानत अवधि के दौरान उन्हें नियमित रूप से चिकित्सकीय जांच कराई जाएगी। इसके अलावा, अदालत ने यह भी निर्देश दिए कि अगर किसी भी समय उनका स्वास्थ्य गंभीर स्थिति में पहुंचता है, तो संबंधित मेडिकल रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत की जाए।
जमानत मिलने के बाद आसाराम को जेल से रिहा किया गया। यह पहली बार है जब उन्हें जेल से बाहर जाने की अनुमति मिली है। अदालत ने स्पष्ट किया कि यह निर्णय केवल स्वास्थ्य कारणों के आधार पर दिया गया है, और इसके तहत किसी अन्य कानूनी अधिकार या दोषमुक्ति का दावा नहीं किया जा सकता।
सामाजिक और कानूनी प्रतिक्रिया
इस फैसले के बाद समाज और मीडिया में मिश्रित प्रतिक्रिया देखने को मिली। कुछ लोग इसे न्यायिक प्रक्रिया और मानवाधिकार का हिस्सा मान रहे हैं, जबकि अन्य इसे नाबालिग पीड़िता और समाज के प्रति संवेदनशीलता के लिहाज से आलोचना कर रहे हैं।
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि मेडिकल जमानत एक सामान्य प्रक्रिया है, जिसमें जेल में बंद व्यक्ति के गंभीर स्वास्थ्य मुद्दों को देखते हुए अदालत उसे अस्थायी रूप से जेल से बाहर रहने की अनुमति देती है। यह जमानत दोषमुक्ति का प्रमाण नहीं है, बल्कि केवल मानवाधिकार और स्वास्थ्य सुरक्षा की दृष्टि से दी जाती है।
पीड़िता और सामाजिक दृष्टिकोण
नाबालिग से दुष्कर्म मामले में पीड़िता और उसके परिवार के लिए यह निर्णय संवेदनशील है। समाज में ऐसे मामलों को लेकर हमेशा ही बहस रहती है कि दोषियों को स्वास्थ्य कारणों के लिए जमानत देना सही है या नहीं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा है, लेकिन इससे पीड़िता के मानसिक और भावनात्मक असर को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
इस फैसले ने कई सामाजिक और महिला अधिकार संगठनों को भी सक्रिय कर दिया है। उनका कहना है कि न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करने वाले सभी कारकों को सावधानीपूर्वक देखा जाना चाहिए, खासकर ऐसे मामलों में जहां पीड़िता नाबालिग हो।
राजस्थान कोर्ट और जोधपुर अपडेट
जोधपुर कोर्ट और राजस्थान हाईकोर्ट से मिली ताजा जानकारी के अनुसार, आसाराम की मेडिकल जमानत की अवधि छह महीने है। इस दौरान उनके स्वास्थ्य और सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जाएगा। कोर्ट ने अधिकारियों को आदेश दिया है कि वे सुनिश्चित करें कि आसाराम की मेडिकल जांच नियमित रूप से हो और किसी भी स्वास्थ्य समस्या की रिपोर्ट अदालत में पेश की जाए।
आगे की कानूनी प्रक्रिया
मेडिकल जमानत की अवधि समाप्त होने के बाद, अदालत मामले की स्थिति और स्वास्थ्य रिपोर्ट को देखकर आगे का निर्णय लेगी। दोषी ठहराए गए आसाराम के खिलाफ अब भी लंबित अपील और अन्य कानूनी कार्यवाही जारी रहेंगे।
कानूनी विशेषज्ञ बताते हैं कि मेडिकल जमानत का मतलब यह नहीं है कि दोषी को दोषमुक्ति मिल गई। इसे केवल अस्थायी राहत और स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए प्रदान किया जाता है। अदालत हमेशा इस तरह के मामलों में पीड़िता की सुरक्षा और समाज के हित को ध्यान में रखती है।
राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा आसाराम को छह महीने की मेडिकल जमानत देना स्वास्थ्य सुरक्षा का एक कदम है। यह पहली बार है जब दोषी जेल से बाहर आया है। हालांकि, न्यायिक प्रक्रिया और दोषमुक्ति पर इसका कोई असर नहीं है।








