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पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) मनोज कुमार अग्रवाल ने मंगलवार को कहा कि आगामी विशेष मतदाता सूची संशोधन (Special Intensive Revision – SIR) प्रक्रिया के दौरान किसी भी वैध मतदाता का नाम हटाया नहीं जाएगा। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों को आश्वस्त किया कि यह पूरी प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से पूरी की जाएगी।
यह घोषणा कोलकाता में आयोजित सर्वदलीय बैठक के बाद की गई, जिसमें राज्य की प्रमुख राजनीतिक पार्टियाँ — तृणमूल कांग्रेस (TMC), भारतीय जनता पार्टी (BJP), कांग्रेस और वाम दलों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए मनोज अग्रवाल ने कहा:
“हम यह सुनिश्चित करेंगे कि किसी भी वैध मतदाता का नाम मतदाता सूची से हटाया नहीं जाए। यह प्रक्रिया पारदर्शी होगी और सभी राजनीतिक दलों की उपस्थिति में की जाएगी।”
उन्होंने कहा कि आयोग का लक्ष्य राज्य में मतदाता सूची को सटीक और अद्यतन बनाना है ताकि कोई भी पात्र नागरिक मतदान के अधिकार से वंचित न रह जाए।
बैठक के दौरान यह भी स्पष्ट किया गया कि आधार कार्ड को 12वें पहचान दस्तावेज़ के रूप में जोड़ा गया है, लेकिन इसे नागरिकता प्रमाण के रूप में नहीं माना जाएगा।
मनोज अग्रवाल ने कहा:
“आधार केवल पहचान प्रमाण के रूप में उपयोग किया जाएगा, यह नागरिकता का प्रमाण नहीं है। निर्वाचन आयोग के दिशानिर्देशों के अनुसार यह परिवर्तन पारदर्शिता बढ़ाने के लिए किया गया है।”
इससे पहले 11 प्रकार के पहचान दस्तावेज़ मान्य थे, जिनमें पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, राशन कार्ड आदि शामिल थे। अब आधार को जोड़ने से पहचान सत्यापन की प्रक्रिया और सुगम हो जाएगी।
इस बैठक में मौजूद सभी राजनीतिक दलों ने आयोग के निर्णयों का स्वागत किया और सहयोग का भरोसा दिया।
तृणमूल कांग्रेस (TMC) के प्रतिनिधियों ने कहा कि यह प्रक्रिया लोकतंत्र को मजबूत करेगी, लेकिन यह भी सुनिश्चित करना जरूरी है कि किसी भी वैध मतदाता को सूची से हटाया न जाए।
भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने कहा कि मतदाता सूची में फर्जी नाम हटाने की यह पहल स्वागत योग्य है।
वाम दलों और कांग्रेस ने भी पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया।
मनोज अग्रवाल ने सभी दलों से आग्रह किया कि वे अपने बूथ-स्तरीय एजेंट (BLA) नियुक्त करें ताकि वे प्रक्रिया की निगरानी में सक्रिय भूमिका निभा सकें।
विशेष मतदाता सूची संशोधन प्रक्रिया निर्वाचन आयोग द्वारा हर वर्ष चलाई जाती है। इसका उद्देश्य है —
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नए योग्य मतदाताओं (18 वर्ष से अधिक आयु वाले) को सूची में शामिल करना,
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मृत या स्थानांतरित मतदाताओं के नाम हटाना,
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सूची में गलतियों को सुधारना।
इस वर्ष पश्चिम बंगाल में यह प्रक्रिया 4 नवंबर 2025 से शुरू होकर दिसंबर के अंतिम सप्ताह तक चलेगी। अंतिम अद्यतन मतदाता सूची जनवरी 2026 में प्रकाशित की जाएगी।
CEO ने कहा कि सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों (DEO) और बूथ-स्तरीय अधिकारियों (BLO) को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि किसी भी नाम को हटाने से पहले उचित कारण दर्ज किया जाए।
उन्होंने कहा,
“यदि किसी मतदाता का नाम हटाया जाता है, तो उसे पूर्व सूचना दी जाएगी और आपत्ति दर्ज करने का अवसर मिलेगा। इस प्रक्रिया की निगरानी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि भी कर सकेंगे।”
उन्होंने यह भी बताया कि आयोग ने मतदाता सूची से संबंधित शिकायतों के लिए हेल्पलाइन नंबर और ईमेल पोर्टल सक्रिय किया है, जिससे मतदाता सीधे संपर्क कर सकेंगे।
TMC के प्रवक्ता ने कहा,
“हम आयोग के निर्णय का स्वागत करते हैं, लेकिन हम यह सुनिश्चित करेंगे कि किसी वैध मतदाता का नाम सूची से गलत तरीके से न हटाया जाए।”
CPI(M) के प्रतिनिधि ने कहा कि,
“हम चाहते हैं कि सभी राजनीतिक दलों को डेटा सत्यापन प्रक्रिया की जानकारी दी जाए ताकि निष्पक्षता बनी रहे।”
BJP प्रवक्ता ने कहा,
“यह कदम फर्जी वोटिंग रोकने की दिशा में बड़ा सुधार है। हम आयोग के साथ मिलकर पारदर्शी प्रक्रिया सुनिश्चित करेंगे।”
हाल के वर्षों में आधार को मतदाता पहचान से जोड़ने को लेकर देशभर में बहस रही है। कुछ विशेषज्ञों ने आशंका जताई थी कि इससे नागरिकता और गोपनीयता से जुड़े विवाद उत्पन्न हो सकते हैं।
मनोज अग्रवाल ने इन चिंताओं को दूर करते हुए कहा कि आधार का उद्देश्य केवल मतदाताओं की पहचान सत्यापन प्रक्रिया को सरल बनाना है, न कि नागरिकता तय करना।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने राज्य के नागरिकों से अपील की कि वे अपने दस्तावेज़ तैयार रखें और Form 6, 7, या 8 के माध्यम से किसी भी त्रुटि, नामांकन या सुधार के लिए आवेदन करें।
उन्होंने कहा कि आयोग हर जिले में सहायता केंद्र और बूथ-स्तरीय हेल्प डेस्क स्थापित कर रहा है ताकि किसी मतदाता को कठिनाई का सामना न करना पड़े।
पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची को लेकर चल रही राजनीतिक चिंताओं के बीच मुख्य निर्वाचन अधिकारी मनोज अग्रवाल का यह आश्वासन राज्य के मतदाताओं के लिए एक सकारात्मक और भरोसेमंद संदेश लेकर आया है।
सभी दलों का सहयोग, पारदर्शी प्रक्रिया और आधार को केवल पहचान प्रमाण के रूप में मान्यता देने का निर्णय लोकतांत्रिक प्रणाली को और सशक्त बनाएगा।
यदि यह प्रक्रिया नियमानुसार पूरी हुई, तो यह पश्चिम बंगाल में आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों के लिए एक निष्पक्ष, विश्वसनीय और अद्यतन मतदाता सूची तैयार करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी।








