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उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में एक चौंकाने वाली ऐतिहासिक खोज ने सबका ध्यान अपनी ओर खींच लिया है। जिले के एक गांव में मिट्टी की खुदाई के दौरान एक मंदिरनुमा आकृति और कई प्राचीन वस्तुएं मिली हैं। ग्रामीणों का दावा है कि यह खजाना करीब पांच हजार साल पुराना है। इस खोज की जानकारी मिलते ही स्थानीय प्रशासन और पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) की टीम मौके पर पहुंच गई और जांच शुरू कर दी।
जानकारी के अनुसार, यह घटना बागपत के बिनोली क्षेत्र के पास स्थित एक छोटे से गांव में हुई। बताया जा रहा है कि स्थानीय किसान अपने खेत में एक तालाब की खुदाई करा रहे थे। खुदाई के दौरान मजदूरों को मिट्टी के भीतर पत्थर की बनी एक संरचना दिखाई दी। जब उसे और गहराई तक खोदा गया, तो एक मंदिरनुमा आकृति सामने आई। इसके साथ ही कुछ मिट्टी के बर्तन, पुराने सिक्के, और अन्य धातु की वस्तुएं भी निकलीं।
जैसे ही यह खबर गांव में फैली, सैकड़ों लोग मौके पर पहुंच गए। स्थानीय लोगों ने उस आकृति को भगवान का रूप मानकर पूजा-अर्चना शुरू कर दी। वहां दीपक जलाए गए और फूल चढ़ाए गए। ग्रामीणों ने बताया कि आकृति पर नक्काशी के ऐसे निशान हैं, जो किसी प्राचीन सभ्यता या धार्मिक स्थल की ओर संकेत करते हैं।
कुछ ही घंटों में यह मामला प्रशासन तक पहुंच गया। इसके बाद मेरठ से पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) की टीम मौके पर पहुंची। टीम ने क्षेत्र को घेरकर जांच शुरू की और वहां खुदाई को अस्थायी रूप से रोक दिया गया। ASI अधिकारियों ने कहा कि मिले हुए अवशेषों का वैज्ञानिक तरीके से परीक्षण किया जाएगा ताकि उनकी सही उम्र और ऐतिहासिक महत्व का निर्धारण हो सके।
ASI टीम के अधिकारी डॉ. आलोक मिश्रा ने बताया,
“प्रारंभिक जांच से यह प्रतीत होता है कि यह संरचना अत्यंत प्राचीन है। इसमें उपयोग किए गए पत्थर, डिजाइन और मिट्टी के बर्तन सिंधु घाटी या गंगा-यमुना सभ्यता के समय के हो सकते हैं। फिलहाल हम इसे भारत की धरोहर के रूप में सुरक्षित रख रहे हैं।”
अधिकारियों ने स्थानीय लोगों से अपील की कि वे किसी भी तरह से इन अवशेषों को नुकसान न पहुंचाएं और प्रशासन के निर्देशों का पालन करें। साथ ही, पुरातत्व टीम ने इलाके को संरक्षित क्षेत्र घोषित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
गांव के लोगों के लिए यह खोज किसी चमत्कार से कम नहीं है। स्थानीय निवासी रामवीर चौधरी ने बताया,
“हम तो बस तालाब खुदवा रहे थे, लेकिन जब पत्थर की आकृति निकली तो सभी लोग दंग रह गए। हमें ऐसा लगा जैसे धरती के भीतर कोई मंदिर दबा हुआ था।”
वहीं एक अन्य ग्रामीण सुषमा देवी ने कहा कि जिस स्थान पर यह मूर्ति निकली, वहां उन्होंने पूजा की और प्रसाद भी बांटा। उनके अनुसार, यह गांव अब एक पवित्र स्थल बन गया है और लोग दूर-दूर से यहां दर्शन के लिए आने लगे हैं।
इस घटना के बाद प्रशासन ने वहां सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। बागपत के एसडीएम रजनीश कुमार ने बताया कि क्षेत्र में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस तैनात की गई है। उन्होंने कहा,
“यह एक ऐतिहासिक खोज है। फिलहाल हमने खुदाई पर रोक लगा दी है और ASI टीम को जांच की पूरी छूट दी गई है। जब तक रिपोर्ट नहीं आती, तब तक इस स्थल को सुरक्षित रखा जाएगा।”
इतिहासकारों का मानना है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश का यह इलाका प्राचीन काल से ही सभ्यता का केंद्र रहा है। बागपत, मेरठ और हापुड़ के क्षेत्र सिंधु घाटी सभ्यता के विस्तार वाले इलाकों से जुड़े माने जाते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस खोज से भारतीय इतिहास के नए पहलू सामने आ सकते हैं।
गौरतलब है कि इससे पहले भी बागपत जिले के आसपास कई पुरातात्विक वस्तुएं मिली थीं। वर्ष 2018 में बड़ौत क्षेत्र में खुदाई के दौरान तांबे के औजार और मिट्टी के बर्तन मिले थे, जिन्हें बाद में हरियाणा और दिल्ली के पुरातत्व संग्रहालय में रखा गया।
फिलहाल, मेरठ से आई ASI टीम ने खुदाई स्थल को सील कर दिया है और वैज्ञानिक परीक्षण के लिए कुछ नमूने ले लिए हैं। टीम का कहना है कि रिपोर्ट आने के बाद ही यह तय हो सकेगा कि यह संरचना वास्तव में कितनी पुरानी है।
लेकिन गांव के लोगों के लिए यह कोई विज्ञान नहीं बल्कि श्रद्धा और आस्था का विषय बन गया है। वे मानते हैं कि यह स्थान अब “धार्मिक ऊर्जा” से भर गया है। आने वाले दिनों में यह इलाका एक ऐतिहासिक और पर्यटन केंद्र के रूप में उभर सकता है।








