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क्रिकेट की वैश्विक राजनीति ने एक नया मोड़ ले लिया है। पूर्व भारतीय टीम के मुख्य कोच Greg Chappell ने खुलासा किया है कि Board of Control for Cricket in India (BCCI) ने लंबे समय से अन्तरराष्ट्रीय क्रिकेट में एक विशेष प्रभाव बनाए रखा है। उन्होंने यह बात तभी कही है जब पूर्व ICC मैच रेफरी Chris Broad ने इन व्यवस्थाओं की आलोचना करते हुए कहा था कि भारत को “तकनीकी रूप से थोड़ा लचीला” घोषित कर दिया जाता है।
Chris Broad ने कहा था कि उन्हें एक ऐसा कॉल आया था जिसमें कहा गया था: “भारत है, इसलिए थोड़ा हर कदम पर ध्यान दो।” चापल ने इस आरोप को दोहराते हुए कहा कि BCCI के अधिकारी कभी-कभी क्रिकेट के महत्वपूर्ण निर्णय-प्रक्रिया में हस्तक्षेप करते रहे हैं।
उनका यह बयान BCCI पर उन आरोपों का समर्थन करता है जिन्हें Broad ने लंबे समय से उठाए हैं। Chappell ने बताया कि पूर्व BCCI अध्यक्ष Jagmohan Dalmiya ने उनसे यह प्रस्ताव रखा था कि तत्कालीन कप्तान Sourav Ganguly की सस्पेंशन को कम किया जाए ताकि वो एक सिरीज़ में खेल सकें। Chappell ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था।
इस तरह की खुली टिप्पणी ने यह सवाल भी उठा दिया है कि क्या विश्व क्रिकेट के शासन-ढाँचे में एक देश विशेष का प्रभुत्व सही दिशा में है या इसके परिणामस्वरूप अन्य देशों की आवाज़ दबती जा रही है? चीप्ल के तर्कों के मुताबिक, यह स्थिति निष्पक्ष रूप से खेल को प्रभावित कर सकती है।
क्रिकेट विश्लेषकों का मानना है कि BCCI ने पिछले दशक में वित्तीय और ब्रॉडकास्ट अधिकारों के क्षेत्र में अभूतपूर्व वृद्धि देखी है। इसके परिणामस्वरूप उसकी वैश्विक भूमिका मजबूत हुई है। लेकिन इस बढ़ती शक्ति के साथ यह सवाल उभरता है कि क्या निर्णय-प्रक्रिया और नियम-निर्धारण में अन्य बोर्डों की भागीदारी पर्याप्त रह गई है?
भारत में इस तरह के बयान चर्चा में आने के बाद मुख्य रूप से यह देखा जा रहा है कि क्रिकेट सिर्फ खेल नहीं रहा, बल्कि राजनैतिक, आर्थिक और प्रशासनिक कारकों का मिश्रण बन चुका है। Greg Chappell की टिप्पणी यह दर्शाती है कि यदि एक बोर्ड इतनी बड़ी शक्ति प्राप्त कर ले तो खेल की मूल भावना में संतुलन बिगड़ सकता है।
BCCI की ओर से अभी इस मामले पर कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि विश्लेषक कह रहे हैं कि इस तरह की बहस ICC को भी अपनी संरचना तथा निर्णय-प्रक्रिया पर पुनर्विचार करने के लिए प्रेरित कर सकती है।
इस विवाद का असर सिर्फ भारत या BCCI तक सीमित नहीं है। यह पूरे अन्तरराष्ट्रीय क्रिकेट को छू रहा है — बेलेंस ऑफ पावर, विश्वसनीयता और प्रतिस्पर्धात्मक निष्पक्षता जैसे बड़े विषय फिर से सामने आए हैं।
इस प्रकार, Greg Chappell का यह बयान क्रिकेट प्रशासनों और हितधारकों के लिए एक चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है — “खेल के समारोह में शक्ति का संतुलन महत्वपूर्ण है।”
इस मामले ने यह साबित किया है कि खेल सिर्फ मैदान पर गेंद-बल्ले का नहीं रहा बल्कि उसकी राजनीतिक, प्रशासनिक और आर्थिक परतें भी जितनी गहरी हैं उतनी ही जटिल भी।








